Saturday, December 21, 2024
Advertisement
  1. Hindi News
  2. लोकसभा चुनाव 2024
  3. मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव 2018
  4. फारूक अब्दुल्ला के जमाई हैं सचिन पायलट, जानिए उनका पूरा राजनीतिक सफर

फारूक अब्दुल्ला के जमाई हैं सचिन पायलट, जानिए उनका पूरा राजनीतिक सफर

राजनीति में वंशवाद से उपजा एक युवा, आज अपना जनाधार खड़ा कर चुका है। जिस दौर में कांग्रेस एक-एक कर तमाम राज्यों से गायब हो रही थी उसी दौर में वो युवा राजस्थान कांग्रेस का नायक बन गया। नाम है- सचिन पायलट।

Written by: Lakshya Rana @LakshyaRana6
Updated : December 15, 2018 8:40 IST
सचिन पायलट और सारा की...
सचिन पायलट और सारा की फाइल फोटो

राजनीति में वंशवाद से उपजा एक युवा, आज अपना जनाधार खड़ा कर चुका है। जिस दौर में कांग्रेस एक-एक कर तमाम राज्यों से गायब हो रही थी उसी दौर में वो युवा राजस्थान कांग्रेस का नायक बन गया। नाम है- सचिन पायलट। पायलट सिर्फ कांग्रेस के ही नायक नहीं बने हैं, इससे पहले वो अपनी लव स्टोरी के नायक भी हैं। जिस देश में आए दिन धर्म और जातियों के नाम पर तलवारें खिंचती हों और तमाम मोहब्बत की कहानियों जातिवाद की स्याह अंधेरों संकरी गलियों में दम तोड़ देती हों, उसी देश में पायलत ने अपनी प्रेम कहानी को पंख लगाए।

15 जनवरी 2004, दुल्हन का नाम- सारा अब्दुल्ला, पिता का नाम- फारूक अब्दुल्ला, दूल्हे का नाम- सचिन पायलट, पिता का नाम, राजेश पायलट, मंडप की जगह- कांग्रेस सांसद रमा पायलट का घर। शादी हो गई, लेकिन वधू पक्ष की ओर से कोई शादी में नहीं पहुंचा। सारा के पिता फारूक अब्दुल्ला लंदन में थे, उमर अब्दुल्ला अंपेडिसाइटस का इलाज दिल्ली के बत्रा हास्पिटल में करा रहे थे। लेकिन, क्या फर्क पड़ता है? प्यार के पंछी एक दूसरे के सहारे ही जीवन बिता दिया करते हैं, फिर ये तो शुरुआत थी। दोनों की पहली मुलाकात लंदन में एक पारिवारिक क्रार्यक्रम के दौरान हुई थी।

खैर ये तो पायलट के प्रेम की बातें थी। अब राजनीति की बात भी हो जाए। पायलट यहां भी नायक ही सिद्ध हुए हैं। अमेरिका में पेंसिलवानिया विश्वविद्यालय के व्हॉर्टन स्कूल से MBA करने वाले पायलट ने बिजनेस मैनेजमेंट कितना सीखा और कितना नहीं, इसे छोड़ दीजिए। लेकिन, ये तय हो गया है कि वो पॉलिटिक्स को मैनेज करना बखूबी सीख गए हैं।

लगता है कल की ही तो बात थी जब सचिन पायलट के पिता राजेश पायलट अपना 57वां जन्मदिन मना रहे थे। बेटा अमेरिका से बिजनेस मैनेजमेंट पढ़कर लौटा था और पिता ने उसके अंदर राजनीति में सफलता की संभावनाएं तलाश ली थीं। वो तारीख 10 फरवरी थी और साल था 2002, जब पिता के जन्मदिन के मौके पर सचिन पायलट ने कांग्रेस पार्टी का ‘पंजा’ थामा था। आज 16 साल बाद पायलत राजस्थान में कांग्रेस का मजबूत ‘हाथ’ बन गए हैं।

राजनीति में सचिन पायलट की एंट्री के वक्त किसान सभा का आयोजन किया गया था। वहीं से पायलट लोगों के साथ जुड़ते चले गए। अपना जनाधार तैयार किया, 2 साल पर परिणाम मिला, जनता ने दौसा सीट से पायलट को अपना प्रतिनिधित्व करने के लिए लोकसभा का पथप्रदान कर दिया था। ये वो दौर था, जब हर तरफ अटर बिहारी वाजपेयी की सरकार को गिराना मुश्किल माना जा रहा था। लेकिन, कांग्रेस ने उनकी सत्ता में सेंध कर सेंट्रल की सियासत पर खुद को पुनर्स्थापना किया था, पीएम बनाए गए थे मनमोहन सिंह।

26 साल की उम्र में सांसद बनकर पायलत ने भारत के सबसे युवा सांसद होने का तमगा भी हालिस कर लिया था। 2004 से 2008 तक पायलत शांति से सियासत को देखते और समझते रहे। इस दौरान वो पार्टी में अपना कद इतना ऊंचा कर चुके थे कि जब काग्रेस ने 2008 में लगातार दूसरी बार केंद्र में सरकार बनाई तो उन्हें साल 2009 में केंद्रीय राज्य मंत्री बनाया गया। फिलहाल, वो राजस्थान में कांग्रेस अध्यक्ष और नवनिर्वाचित विधायक हैं।

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। Madhya Pradesh Assembly Election 2018 News in Hindi के लिए क्लिक करें लोकसभा चुनाव 2024 सेक्‍शन

Advertisement
Advertisement
Advertisement
detail