नई दिल्ली: मध्य प्रदेश विधानसभा चुनावों के लिए भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस ने प्रचार अभियान तेज कर दिया है। दोनों ही पार्टियों के शीर्ष नेता लगातार सूबे का दौरा कर रहे हैं और अपनी पार्टी के पक्ष में हवा बनाने की कोशिश कर रहे हैं। एक तरफ जहां कांग्रेस को लग रहा है कि उसका 15 साल का वनवास खत्म होने वाला है, वहीं मुख्यमंत्री शिवराज अपनी चौथी पारी की उम्मीद लगाए बैठे हैं। सियासत के इस खेल में एक ऐसा युवा नेता भी है, जिसको सूबे के कई लोग अपने अगले मुख्यमंत्री के तौर पर देख रहे हैं। जी हां, हम बात कर रहे हैं कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया की।
चुनावी राजनीति में लंबा अनुभव
ज्योतिरादित्य माधवराव सिंधिया का जन्म एक जनवरी 1971 को हुआ था। एक दुर्घटना में पिता माधवराव सिंधिया के निधन के बाद उन्हें सियासत की दुनिया में आना पड़ा। ज्योतिरादित्य पहली बार 2002 में लोकसभा सांसद चुने गए, और तब उनकी उम्र सिर्फ 31 साल थी। इसके बाद 2004, 2009 और 2014 के लोकसभा चुनावों में भी उन्होंने गुना से शानदार जीत दर्ज की। इस बार विधानसभा चुनावो में भी वह जोर-शोर से लगे हुए हैं और अपने 16 साल के राजनीतिक अनुभव का पूरा इस्तेमाल कर रहे हैं। कई लोगों का मानना है कि यदि इस बार चुनावों में कांग्रेस जीतती है तो ज्योतिरादित्य को ही सूबे का अगला मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है।
दावेदारी में कहां आ सकती है मुश्किल
हालांकि चुनाव जीतने के बाद भी ज्योतिरादित्य का मुख्यमंत्री पद तक पहुंचना आसान नहीं होगा। इस पद के लिए पहले से ही कमलनाथ और दिग्विजय सिंह जैसे कद्दावर नेताओं की चर्चा हो रही है। ज्योतिरादित्य के अलावा ये दोनों ही नेता मध्य प्रदेश में कांग्रेस के सबसे मजबूत चेहरे के रूप में गिने जाते हैं। हालांकि जनता की बात की जाए तो ज्योतिरादित्य सिंधिया अन्य दो नेताओं से ज्यादा लोकप्रिय माने माने जाते हैं। मध्य प्रदेश की जनता 28 नवंबर को अपने मताधिकार का प्रयोग करेगी और 11 दिसंबर को वोटों की गिनती के साथ ही पता चल जाएगा कि ऊंट भाजपा की करवट बैठा है या कांग्रेस की।
चुनावों पर इंडिया टीवी की विशाल कवरेज :
मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव 2018