भोपाल: सियासत की नजर से मध्य प्रदेश को एक शांत-सा राज्य माना जाता है। यहां की राजनीति में बहुत ज्यादा शोर-शराबा सुनने को नहीं मिलता। लेकिन 2018 का चुनाव बीते सभी चुनावों से अलग नजर आ रहा है। एक तरफ कांग्रेस जहां 15 सालों से सत्ता पर काबिज भाजपा को हटाना चाहती है, तो दूसरी तरफ भगवा दल यहां अपनी पकड़ बनाए रखना चाहता है। दोनों ही पार्टियों के बड़े नेता सूबे में लगातार चुनावी सभाएं कर रहे हैं, और यही वजह है कि आज सारे देश की नजरें यहां हो रहे विधानसभा चुनावों पर हैं।
विधानसभा चुनावों में 14 बार पड़ चुके हैं वोट
मध्य प्रदेश विधानसभा चुनावों के लिए अभी तक कुल 14 बार मतदान हुए हैं। सूबे में पहला विधानसभा चुनाव 26 मार्च 1952 को हुआ था। उस समय 184 विधानसभा क्षेत्रों के लिए कुल 1,122 उम्मीदवार मैदान में थे। उस समय 48 ऐसे विधानसभा क्षेत्र थे जहां से 2 उम्मीदवार चुने जाते थे। इस तरह मध्य प्रदेश की पहली विधानसभा में कुल 232 सदस्य थे। इन चुनावों में कांग्रेस ने 232 में से 194 सीटों पर जीत हासिल की थी। इसके बाद इस राज्य में 1952, 1957, 1962, 1967, 1972, 1977, 1980, 1985, 1990, 1993, 1998, 2003, 2008 और 2013 में चुनाव हो चुके हैं।
सूबे पर अब तक 17 मुख्यमंत्रियों ने किया है शासन
मध्य प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री रविशंकर शुक्ल थे। उनके बाद भगवंतराव मंडलोई, कैलाश नाथ काटजू, द्वारका प्रसाद मिश्रा, गोविंद नारायण सिंह, नरेशचंद्र सिंह, श्यामा चरण शुक्ल, प्रकाश चंद्र सेठी, कैलाश चंद्र जोशी, विरेंद्र कुमार सकलेचा, सुंदरलाल पटवा, अर्जुन सिंह, मोतीलाल वोरा, दिग्विजय सिंह, उमा भारती और बाबूलाल गौर ने यह जिम्मेदारी संभाली। सूबे के वर्तमान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान हैं। मध्य प्रदेश के पहले गैर-कांग्रेसी मुख्यमंत्री जनता पार्टी के कैलश चंद्र जोशी थे। वह 26 जून 1977 को मुख्यमंत्री बने थे।
दो पार्टियों से मुख्यमंत्री बनने वाले एकलौते नेता
सूबे में एक ऐसे भी नेता हुए हैं जिनको दो पार्टियों की तरफ से मुख्यमंत्री होने का गौरव हासिल है। सुंदरलाल पटवा जनता पार्टी में होते हुए 20 जनवरी 1980 से 17 फरवरी 1980 तक मुख्यमंत्री रहे थे। इसके बाद पटवा ने यह जिम्मेदारी भारतीय जनता पार्टी की तरफ से 5 मार्च 1990 को संभाली थी। 1990 में हुए विधासनभा चुनावों में भाजपा को शानदार कामयाबी मिली थी और पार्टी ने 330 में से 220 विधानसभा सीटों पर जीत दर्ज की थी। इस तरह पटवा दो पार्टियों की तरफ से इस पद पर पहुंचने वाले सूबे के पहले और एकमात्र मुख्यमंत्री हैं।