नई दिल्ली। लोकसभा चुनावों के लिए उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और राष्ट्रीय लोकदल के बीच महागठबंधन होने से भारतीय जनता पार्टी (BJP) की राह आसान नहीं रही है। 2014 के लोकसभा चनावों में हुई वोटिंग के आंकड़ों को आधार मानें और उस दौरान सपा, बसपा और राष्ट्रीय लोकदल को मिले वोटों को जोड़ा जाए तो भाजपा की जीत वाली लगभग 37 सीटें ऐसी हैं जहां पर बसपा, सपा और राष्ट्रीय लोकदल को मिले कुल वोट भाजपा को मिले वोटों से ज्यादा हैं।
इन 37 सीटों में अगर 2014 में समाजवादी पार्टी को मिली 5 लोकसभा सीटों को मिला दिया जाए तो आंकड़ा 42 तक पहुंच जाता है। इन आंकड़ों को लेकर भले ही अभी कयास लगाए जा रहे हों लेकिन एक बात साफ है कि 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने उत्तर प्रदेश में जो करिश्मा किया था उसे 2019 के चुनाव में दोहरा पाना मुश्किल नजर आ रहा है।
ऊपर से इस बार उत्तर प्रदेश में कांग्रेस भी फ्रंट फुट पर खेल रही है और अमेठी तथा रायबरेली के अलावा कांग्रेस के प्रभाव वाली कई सीटे ऐसी हैं जहां पर उसके वोट शेयर में इजाफा होने की संभावना है।