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लोकसभा चुनाव 2019: बंगाल में BJP को रोकने के लिए तृणमूल कांग्रेस को वोट दे सकते हैं अल्पसंख्यक

साम्प्रदायिक दंगे रोकने में कथित नाकामी को लेकर पश्चिम बंगाल सरकार के खिलाफ नाराजगी के बावजूद राज्य के अल्पसंख्यक भाजपा को रोकने के लिए तृणमूल कांग्रेस को वोट दे सकते हैं।

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: March 17, 2019 17:54 IST
mamata banerjee- India TV Hindi
mamata banerjee

कोलकाता: साम्प्रदायिक दंगे रोकने में कथित नाकामी को लेकर पश्चिम बंगाल सरकार के खिलाफ नाराजगी के बावजूद राज्य के अल्पसंख्यक भाजपा को रोकने के लिए तृणमूल कांग्रेस को वोट दे सकते हैं। नेताओं ने दावा किया कि राज्य में कई लोकसभा सीटों पर निर्णायक भूमिका निभाने वाले अल्पसंख्यक खासतौर से मुस्लिम सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस को वोट दे सकते हैं जिसे वे कांग्रेस-माकपा गठबंधन से ज्यादा ‘‘विश्वसनीय पार्टी’’ मानते हैं।

अखिल बंगाल अल्पसंख्यक युवा फेडरेशन के महासचिव मोहम्मद कमरुज्जमान ने कहा, ‘‘राज्य में कई दंगों समेत विभिन्न मुद्दों को लेकर सरकार के खिलाफ गुस्सा होने के बावजूद अल्पसंख्यक अपनी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए राज्य में तृणमूल कांग्रेस को वोट देंगे।’’ उन्होंने कहा, ‘‘जब भाजपा से मुकाबले की बात आती है तो बंगाल में तृणमूल कांग्रेस को ज्यादा विश्वसनीय ताकत माना जाता है क्योंकि वह सत्ता में है।’’

कोलकाता की बड़ी मुस्लिम आबादी पर प्रभाव रखने वाले इमामों का मानना है कि अल्पसंख्यकों को सबसे मजबूत धर्मनिरपेक्ष उम्मीदवार के लिए वोट करना चाहिए। हर साल ईद पर रेड रोड में नमाज अता कराने वाले इमाम काजी फजलुर रहमान ने कहा, ‘‘हम अल्पसंख्यकों से अपने-अपने इलाकों में सबसे मजबूत धर्मनिरपेक्ष ताकतों के पक्ष में वोट देने की अपील करेंगे। यह सुनिश्चित करने के प्रयास होने चाहिए कि केवल धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक उम्मीदवार जीते।’’

मतदाताओं में से करीब 30 फीसदी लोग अल्पसंख्यक हैं और वे राज्य की लगभग 16-18 लोकसभा सीटों पर निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं। इस वोट बैंक को हर राजनीतिक पार्टी लुभाने की कोशिश करती है। उत्तर बंगाल में रायगंज, कूचबिहार, बालुरघाट, माल्दा उत्तर, माल्दा दक्षिण, मुर्शिदाबाद और दक्षिण बंगाल में डायमंड हार्बर, उलुबेरिया, हावडा, बीरभूम, कांथी, तमलुक, जॉयनगर जैसी संसदीय सीटों पर मुस्लिमों की आबादी बहुत अधिक है।

तृणमूल का राज्य में अल्पसंख्यक वोटों पर काफी प्रभाव है लेकिन पिछले चार सालों में कई दंगे हुए जिससे अल्पसंख्यकों का एक वर्ग काफी नाराज है। गृह मंत्रालय द्वारा 2018 में जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार, पश्चिम बंगाल में साल 2015 से ही साम्प्रदायिक हिंसा तेजी से बढ़ी है। टीएमसी के सूत्रों के अनुसार, अल्पसंख्यक भाजपा का रथ रोकने के लिए पार्टी को वोट दे सकते हैं।

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