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लोकसभा चुनाव ग्राउंड रिपोर्ट: तिरुवनंतपुरम से आसान नहीं है शशि थरूर की राह, जानें क्यों

राज्य के दक्षिणतम छोर पर स्थित तिरुवनंतपुरम लोकसभा सीट अरब सागर के तट से लेकर पश्चिमी घाट के ढलान तक फैली है जहां 13,34,665 मतदाता हैं।

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published : April 02, 2019 14:57 IST
इस बार आसान नहीं है शशि थरूर की राह | Facebook
इस बार आसान नहीं है शशि थरूर की राह | Facebook

तिरुवनंतपुरम: यदि आगामी लोकसभा चुनाव में केरल में 3 दलों सत्तारूढ़ LDF, विपक्षी UDF और BJP-NDA के लिए कहीं भी ‘करो या मरो’ की स्थिति है तो वह है तिरुवनंतपुरम की प्रतिष्ठित सीट। इस सीट पर दिग्गजों के बीच त्रिकोणीय मुकाबला दिखने की उम्मीद है। कांग्रेस नीत UDF के मौजूदा सांसद शशि थरूर तीसरी बार जीत के लिए आत्मविश्वास से लबरेज हैं जबकि बीजेपी के वरिष्ठ नेता कुम्मनम राजशेखरन और CPM नीत LDF के प्रत्याशी एवं मौजूदा विधायक सी. दिवाकरण तीसरी बार जीत के थरूर के सपने को चकनाचूर करने के लिए हरसंभव प्रयास कर रहे हैं।

राज्य के दक्षिणतम छोर पर स्थित तिरुवनंतपुरम लोकसभा सीट अरब सागर के तट से लेकर पश्चिमी घाट के ढलान तक फैली है जहां 13,34,665 मतदाता हैं। शहरी, ग्रामीण और तटीय इलाकों वाले इस क्षेत्र में 7 विधानसभाएं आती हैं- तिरुवनंतपुरम, कझाकूट्टम, वत्तियार्कावू, निमोम, पारश्शाला, कोवलम और नेय्याटिंकारा। चुनावी इतिहास के अनुसार, कोई भी पार्टी तिरुवनंतपुरम लोकसभा क्षेत्र को अपना गढ़ बताने का दावा नहीं कर सकती क्योंकि इसने कांग्रेस और LDF के दूसरे सबसे बड़े घटक दल, CPI दोनों के प्रत्याशियों को चुना है।

UDF ने अपनी मौजूदा सीट को बरकरार रखने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक रखी है। वहीं, इस सीट को वापस हासिल करना LDF के लिए गर्व की बात होगी। 2014 के आम चुनाव में LDF को BJP के बाद इस सीट पर तीसरा स्थान मिला था। जहां तक BJP का सवाल है तो तिरुवनंतपुरम उन चुनिंदा सीटों में से एक है जहां वह कमल खिलने की उम्मीद कर रही है। भारतीय जनता पार्टी सबरीमला मुद्दे से लेकर नरेंद्र मोदी सरकार की विभिन्न विकास पहलों को भुनाने की कोशिश कर रही है।

अपने क्षेत्र में जनसंपर्क अभियान के दौरान कांग्रेस सांसद शशि थरूर | Facebook

अपने क्षेत्र में जनसंपर्क अभियान के दौरान कांग्रेस सांसद शशि थरूर | Facebook

2 बार इस सीट से विजयी रहे थरूर के लिए इस सीट को फिर से हासिल करना इस बार आसान नहीं होगा क्योंकि उनके प्रतिद्वंद्वी उम्मीदवार भी मतदाताओं के बीच उतने ही लोकप्रिय हैं और वे एक-एक वोट पाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रहे। थरूर ने 2009 में पहली चुनावी जीत में 99,998 मतों से भारी जीत हासिल की थी। हालांकि 2014 के आम चुनाव में यह अंतर गिरकर 15,000 रह गया। भाजपा के ओ राजगोपाल ने उन्हें आखिरी क्षण तक कड़ी टक्कर दी थी।

बहरहाल, थरूर का मानना है कि इस बार वह इस संख्या को सुधार सकते हैं और उनके निर्वाचन क्षेत्र के लोग पिछले 10 साल में उनके लिए किए काम से पूरी तरह अवगत हैं। इस बीच, बीजेपी राजशेखरन के साफ रिकॉर्ड और जमीन से जुड़े व्यक्तित्व को भुनाने की कोशिश कर रही है। राजशेखरन ने हाल ही में मिजोरम के राज्यपाल पद से इस्तीफा दिया था। साल 2011 की जनगणना के अनुसार, तिरुवनंतपुरम जिले की कुल आबादी में 66.46 प्रतिशत हिंदू, 19.1 प्रतिशत ईसाई और 13.72 प्रतिशत मुसलमान हैं। (भाषा)

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