नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश में 2014 के लोकसभा चुनावों के दौरान भारतीय जनता पार्टी ने रिकॉर्ड तोड़ जीत हासिल की थी, राज्य की कुल 80 लोकसभा सीटों में से 71 अकेले भाजपा और 2 उसके सहयोगी दलों ने जीती थी। लेकिन बड़ा सवाल है कि क्या 2019 में भी BJP यह करिश्मा कर पाएगी? इस बार तो उत्तर प्रदेश के दो बड़े दल बहुजन समाज पार्टी (BSP) और समाजवादी पार्टी (SP) एक साथ आ गए हैं, ऐसे में क्या भाजपा अपनी सीटें बचा पाएगी?
इसी सवाल का उत्तर जानने के लिए इंडिया टीवी ने उत्तर प्रदेश में 2014 के लोकसभा चुनावों के दौरान हुई वोटिंग के आंकड़े खंगाले और पता लगाया कि उस समय BJP की जीत वाली 71 सीटों में उसे कितने वोट मिले थे और बसपा तथा सपा को कितने वोट हासिल हुए थे। इंडिया टीवी की टीम ने 2014 में बसपा और सपा के वोटों को जोड़ा और फिर पता किया कितनी सीटों पर इस गठबंधन के वोट BJP को मिले वोटों से ज्यादा हैं।
इंडिया टीवी को जो आंकड़े मिले वो काफी चौंकाने वाले हैं, 2014 में BJP की जीत वाली 71 सीटों में से कुल 35 सीटें ऐसी हैं जहां पर 2014 BSP और SP के मिलाकर वोट BJP से ज्यादा हैं। यानि 71 में से 36 सीटों पर BJP के वोट SP और BSP के कुल वोटों से अधिक दिख रहे हैं।
2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान उत्तर प्रदेश से भारतीय जनता पार्टी ने कई दिग्गज उम्मीदवार उतारे थे, अधिकतर दिग्गज उम्मीदवारों की सीट पर BJP को मिले वोट BSP और SP को मिले वोटों से बहुत ज्यादा आगे हैं। प्रधानमंत्री मोदी की वाराणसी सीट पर BJP को SP+BSP के 4.75 लाख वोट ज्यादा मिले हैं। वरिष्ठ भाजपा नेता और पूर्व पार्टी अध्यक्ष मुरली मनोहर जोशी की कानपुर सीट पर BJP के वोट SP+BSP के वोटों से 3.95 लाख ज्यादा हैं। राजनाथ सिंह की लखनऊ सीट पर BJP के पक्ष में 4.39 लाख वोटों का अंतर है, हेमा मालिनी की मथुरा सीट पर BJP को SP+BSP से 3.64 लाख वोट ज्यादा मिले हैं। पूर्व सेनाध्यक्ष जनरल वी के सिंह को गाजियाबाद लोकसभा सीट पर SP+BSP से 4.78 लाख अधिक वोट मिले हैं।
इन आंकड़ों से साफ जाहिर हो रहा है कि उत्तर प्रदेश में SP और BSP के गठबंधन के बाद भी भारतीय जनता पार्टी रेस से बाहर होती नहीं दिख रही, अगर 2019 के लोकसभा चुनाव में भी 2014 की तरह वोट पड़े और SP तथा BSP के साथ किसी और दल का गठबंधन नहीं हुआ तो BJP के खाते में अच्छी सीटें आ सकती हैं।