पटना: बिहार में लोकसभा चुनाव के इस मौसम में मतदाताओं को आकर्षित करने के लिए राजनीतिक दल हर हथकंडे अपना रहे हैं। मतदाताओं के सामने खुद को ज्यादा शुभचिंतक साबित करने में नेता एक-दूसरे पर खुलकर आरोप लगा रहे हैं, वहीं दोनों गठबंधनों द्वारा रोज नए-नए नारे भी गढ़े जा रहे हैं।
वैसे, यह कोई पहला मौका नहीं है कि राजनीतिक दल कम शब्दों में अपनी बात कहने और लोगों के बीच अपनी पैठ बनाने के लिए चुनाव प्रचार के दौरान नारों का सहारा ले रहे हैं। इस चुनाव में हालांकि सोशल मीडिया के नया चुनावी अखाड़ा बनने से इन नारों का महत्व और बढ़ गया है। बिहार में इस चुनाव में मुख्य मुकाबला विपक्षी दलों के महागठबंधन और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के बीच माना जा रहा है।
बिहार विधानसभा चुनाव 2015 में भी राज्य के राजनीतिक दल के नारे काफी चर्चित हुए थे। उस समय जद (यू) के 'झांसे में न आएंगे, नीतीश को जिताएंगे', 'आगे बढ़ता रहे बिहार, फिर एक बार नीतीश कुमार', 'बिहार में बहार हो नीतीशे कुमार हो' जैसे नारों से लोगों को आकर्षित किया था। उस समय राजद ने भी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर निशाना साधने के लिए 'न जुमलों वाली न जुल्मी सरकार, गरीबों को चाहिए अपनी सरकार' तथा 'युवा रूठा, नरेंद्र झूठा' जैसे नारों का सहारा लेकर सफलता पाई थी।
पिछले विधानसभा चुनाव की तरह इस लोकसभा चुनाव में भी राजनीतिक दल नए-नए नारे गढ़ने में जुटे हुए हैं, ताकि उसके माध्यम से जनता के बीच लोकप्रियता बढ़ाई जा सके। भाजपा ने इस चुनाव में 'मोदी है तो मुमकिन है' का नारा दिया है। भाजपा ने अपने प्रचार अभियान की टैगलाइन 'फिर एक बार, मोदी सरकार' में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पांच साल के कामकाज पर केंद्रित रखा है। इन नारों के पोस्टर पटना के प्रमुख चौराहों सहित विभिन्न क्षेत्रों में लगे हुए हैं।
पिछले विधानसभा चुनाव में कई हिट नारे दे चुके राजग में शामिल जद (यू) इस लोकसभा चुनाव में भी 'सच्चा है, अच्छा है-चलो नीतीश के साथ चलें' के सहारे नैया पार करने की जुगत में है। इसके अलावा 'संकल्प हमारा-एनडीए दोबारा' जैसे नारे भी इस चुनाव में हिट नजर आ रहे हैं।
जद (यू) इन नारों के सहारे चुनावी मैदान में है और वह अपने काम पर ज्यादा भरोसा जता रहा है। जद (यू) के प्रवक्ता नीरज कुमार कहते हैं कि इन नारों से मतदाताओं और कार्यकर्ताओं में जोश भरा जा सकता है, लेकिन मतदाताओं के दिलों पर राज नहीं किया जा सकता। मतदाताओं की नजर विकास पर होती है, यही कारण है कि जद (यू) विकास के नारे के साथ चुनावी मैदान में है।
इस चुनाव में महागठबंधन भी नारे के सहारे चुनावी मझधार पार करने की कोशिश में है। महागठबंधन में शामिल कांग्रेस ने इस चुनाव में 'अब होगा न्याय' के सहारे मतदाताओं को आकर्षित करने में जुटी है। इसके अलावा कांग्रेस भाजपा के 'अच्छे दिन' की तर्ज पर 'सच्चे दिन' का नारा देकर भाजपा को उसी के अंदाज में मात देने की कोशिश में है।
कांग्रेस के प्रवक्ता हरखू झा कहते हैं कि चुनाव में 'स्लोगन' का प्रयोग कोई नई बात नहीं है। इस चुनाव में भी सभी दल ऐसे स्लोगन को लेकर चुनावी मैदन में है। उन्होंने कहा कि इन स्लोगनों के जरिए कम शब्दों में अपनी बात कही जा सकती है। सोशल मीडिया पर सक्रिय रहने वाले राजद के नेता तेजस्वी प्रसाद यादव भी इस चुनाव में नारे का जमकर प्रयोग कर रहे हैं।
राजद ने अपने खास अंदाज में 'करे के बा, लड़े के बा, जीते के बा' के नारे के सहारे एक गीत को लेकर चुनाव मैदान में उतरी है। राजद नेता 'दुश्मन होशियार, जागा बिहार, किया है ये यलगार, बदलेंगे सरकार' के जरिए कार्यकर्ताओं में जोश भर रहे हैं। बहरहाल, राज्य में चुनाव प्रचार ने अब तेजी पकड़ ली है और राजनीतिक दल इन नारों के सहारे मतदाताओं को रिझाने में भी लगे हैं, लेकिन किस पार्टी का नारा मतदाताओं को सबसे ज्यादा आकर्षित कर रहा है, यह तो चुनाव परिणाम आने पर ही पता चलेगा।
बिहार में लोकसभा की कुल 40 सीटों पर सभी सात चरणों में मतदान होना है। पहले चरण के तहत चार सीटों पर गुरुवार को मतदान हुआ था। राज्य में अब 18 अप्रैल, 23 अप्रैल, 29 अप्रैल, 6 मई, 12 मई और 19 मई को मतदान होना है। मतों की गिनती 23 मई को होगी।