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नामांकन रद्द मामले में तेज बहादुर की याचिका पर सुनवाई, SC ने EC से शिकायतों पर गौर करने को कहा

उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को निर्वाचन आयोग से कहा कि वह सीमा सुरक्षा बल के बर्खास्त जवान तेज बहादुर यादव का वाराणसी संसदीय सीट पर नामांकन रद्द होने के मामले में उसकी शिकायतों पर गौर करे।

Written by: Bhasha
Updated : May 08, 2019 16:28 IST
Supreme Court of India
Supreme Court of India

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को निर्वाचन आयोग से कहा कि वह सीमा सुरक्षा बल के बर्खास्त जवान तेज बहादुर यादव का वाराणसी संसदीय सीट पर नामांकन रद्द होने के मामले में उसकी शिकायतों पर गौर करे। यादव ने वाराणसी संसदीय सीट पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ने के लिए नामांकन पत्र दाखिल किया था। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने निर्वाचन आयोग के वकील से कहा कि वह आवश्यक निर्देश प्राप्त करके बृहस्पतिवार को उसे अवगत कराएं।

तेज बहादुर यादव के वकील प्रशांत भूषण ने शीर्ष अदालत के एक फैसले का हवाला दिया और कहा कि आदर्श आचार संहिता लागू होने के दौरान भी चुनाव याचिका दायर की जा सकती है। निर्वाचन अधिकारी द्वारा वाराणसी संसदीय सीट पर तेज बहादुर यादव का नामांकन रद्द होने के बाद उसने शीर्ष अदालत में याचिका दायर की है। यादव का कहना है कि ऐसा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को ‘‘वाक ओवर’’ देने के लिए किया गया।

निर्वाचन अधिकारी ने एक मई को समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी यादव का नामांकन पत्र रद्द कर दिया था। यादव को सीमा सुरक्षा बल में जवानों को मिलने वाले भोजन के बारे में शिकायत संबंधी एक वीडियो पोस्ट करने की घटना के बाद 2017 में सुरक्षा बल से बर्खास्त कर दिया गया था। चुनाव अधिकारी का कहना था कि जनप्रतिनिधित्व कानून के तहत तेज बहादुर यादव यह अनिवार्य प्रमाण पत्र पेश नहीं कर सके थे कि उन्हें भ्रष्टाचार या राज्य के प्रति निष्ठाहीनता के लिए बर्खास्त नहीं किया गया है।

यादव ने अपनी याचिका में निर्वाचन आयोग के फैसले को पक्षपातपूर्ण और तर्कहीन बताते हुए इसे निरस्त करने और वाराणसी सीट पर 19 मई को होने वाले चुनाव में शामिल होने की अनुमति देने का अनुरोध न्यायालय से किया है। वाराणसी संसदीय सीट के लिए समाजवादी पार्टी ने शुरू में शालिनी यादव को अपना प्रत्याशी बनाया था लेकिन बाद में सीमा सुरक्षा बल के बर्खास्त जवान को अपना उम्मीदवार बना लिया था।

यादव के नामांकन पत्र को खारिज करते हुए निर्वाचन अधिकारी ने कहा था कि नामांकन पत्र के साथ चुनाव आयोग द्वारा निर्धारित स्वरूप में प्रमाण पत्र नहीं है कि उसे भ्रष्टाचार के लिए या राज्य के प्रति निष्ठाहीनता दिखाने के लिए बर्खास्त किया गया। यादव ने निर्वाचन अधिकारी की 29 अप्रैल की पहली नोटिस के जवाब में कहा था कि उसे अनुशासनहीनता के कारण सीमा सुरक्षा बल से बर्खास्त किया गया, जो चुनाव कानूनों के दायरे में नहीं आता है। अत: इस बारे में निर्वाचन आयोग से प्रमाण पत्र की आवश्यकता नहीं है।

निर्वाचन अधिकारी ने 30 अप्रैल को दूसरा नोटिस दिया और याचिकाकर्ता से एक मई को सवेरे 11 बजे तक यह प्रमाण पत्र पेश करने के लिये कहा कि उसे भ्रष्टाचार या निष्ठाहीनता के लिये सेवा से बर्खास्त नहीं किया गया है। याचिका में कहा गया है कि यादव ने दूसरी नोटिस का भी जवाब दिया था कि जनप्रतिनिधित्व कानून के प्रावधान उसके मामले में लागू नहीं होते हैं।

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