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लोकसभा चुनाव 2019: त्रिशंकु संसद की स्थिति में इन क्षेत्रीय दलों की होगी बड़ी भूमिका

कुछ चुनाव सर्वेक्षण इस ओर इशारा कर रहे हैं कि लोकसभा चुनाव में भाजपा नेतृत्व वाला राजग बहुमत से कुछ सीटें पीछे रह सकता है। ऐसे में केंद्र में किसकी सरकार बनेगी यह तय करने में क्षेत्रीय पार्टियों की बड़ी भूमिका हो सकती है।

Reported by: IANS
Updated on: April 14, 2019 20:07 IST
loksabha elections 2019- India TV Hindi
loksabha elections 2019

नई दिल्ली: कुछ चुनाव सर्वेक्षण इस ओर इशारा कर रहे हैं कि लोकसभा चुनाव में भाजपा नेतृत्व वाला राजग बहुमत से कुछ सीटें पीछे रह सकता है। ऐसे में केंद्र में किसकी सरकार बनेगी यह तय करने में क्षेत्रीय पार्टियों की बड़ी भूमिका हो सकती है। वाई.एस. जगनमोहन रेड्डी के नेतृत्व वाली वाईएसआर कांग्रेस, के. चंद्रशेखर राव के नेतृत्व वाली टीआरएस, ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक की अगुवाई वाला बीजद और बसपा-सपा गठबंधन, जिन्होंने भाजपा नेतृत्व वाले राजग और कांग्रेस की अगुवाई वाले संप्रग दोनों से बराबर की दूरी बना रखी है, इन सभी पर खास नजर रहेगी।

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली तृणमूल कांग्रेस और चंद्रबाबू नायडू की तेदेपा भी केंद्र में सरकार गठन में भूमिका निभा सकते हैं। बनर्जी और नायडू भाजपा-विरोधी गठबंधन बनाने की कोशिश करते रहे हैं और यहां तक कि इस कोशिश में उन्होंने कांग्रेस से भी मेलजोल रखा। हालांकि, बनर्जी भाजपा पर कड़े तौर पर हमलावर होने के साथ ही कांग्रेस को भी निशाना बनाती रही हैं, जिसने भी बराबरी से जवाब दिया है।

बसपा और सपा जहां भाजपा की कड़ी निंदा करते रहे हैं, वहीं वे कांग्रेस को अपने चुनाव पूर्व गठबंधन से बाहर रखकर उसे महत्वहीन दर्शाते रहे हैं। ये क्षेत्रीय पार्टियां 543 लोकसभा सीटों में से 180 के करीब जीत सकती हैं और वे इस चुनाव में कितनी सीटें जीतेंगी, इससे ही उनकी भूमिका तय होगी। त्रिशंकु संसद कई संभावनाएं पैदा करेगी और गैर-कांग्रेसी और गैर-भाजपा खेमे ऐसी ही स्थिति चाहेंगे।

जगनमोहन रेड्डी ने इस महीने पहले कहा था कि उन्हें उम्मीद है कि त्रिशंकु संसद की स्थिति हो, ताकि वे राज्य के लिए बेहतर समझौता कर पाएं। मक्कल नीधि मैयम (एमएनएम) के नेता कमल हासन ने भी कहा है कि लोकसभा चुनाव त्रिशंकु संसद की स्थिति पैदा करेंगे और तीसरे मोर्चे की सरकार बने इसकी संभावना है। सेंटर फॉर स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसायटीज द्वारा किए गए एक चुनाव पूर्व सर्वेक्षण के अनुसार, वोट शेयर में वृद्धि के बावजूद प्रमुख राज्यों में 'अधिक एकजुट विपक्ष' के कारण भाजपा सीटें हार सकती है। सर्वेक्षण में भाजपा को 222 से 232 के बीच सीटें मिलने का अनुमान जताया गया है, जो कि 2014 में उसके द्वारा जीती गई 283 सीटों से काफी कम है।

चुनाव पूर्व सर्वेक्षण दर्शाता है कि कांग्रेस पार्टी 74-84 सीटें जीत सकती है, जिसने 2014 में केवल 44 सीटें जीती थीं। सर्वेक्षण के अनुसार, राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन बहुमत के आंकड़े तक पहुंच भी सकती है और नहीं भी और उसे 263 से 283 के बीच सीटें मिलने की संभावना है। संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (UPA) को 115 से 135 सीटें मिलने की संभावना जताई गई है।

मध्य मार्च में जारी किए गए सीवोटर-आईएएनएस सर्वेक्षण में कहा गया था कि राजग को 264 सीटें मिलने की संभावना है, जो कि सरकार बनाने के लिए जरूरी 272 के आंकड़े से आठ सीटें कम है। इस सर्वेक्षण में कांग्रेस नेतृत्व वाले संप्रग को केवल 141 सीटें मिलने का अनुमान जताया गया था।

कुछ सर्वेक्षणों में राजग को बहुमत मिलने की भविष्यवाणी भी की गई है। चुनाव से पहले एक संघीय मोर्चे के गठन की भी चर्चा है और राव ने चुनाव से पहले गैर-भाजपा और गैर-राजग दलों के साथ बैठकें भी कीं। ऐसे प्रयास चुनाव के बाद और तेज हो सकते हैं। अगर तीसरे मोर्चे के गठन की संभावना बनती है तो भाजपा और कांग्रेस के कुछ साझेदार भी उसमें शामिल हो सकते हैं।

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