नई दिल्ली। 2019 के लोकसभा चुनावों के लिए सभी राजनीतिक दलों ने तैयारियां शुरू कर दी है, इस बार का लोकसभा चुनाव 2014 में हुए चुनाव से ज्यादा रोचक बन गया है। एक तरफ भारतीय जनता पार्टी गठबंधन केंद्र में अपनी सरकार बचाने के लिए तैयारी कर रहा है तो दूसरी तरफ कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल भाजपा को हटाकर फिर से सत्ता में लौटने की जुगत मे लगे हैं। ऐसे में उन राज्यों के उपर नजर रखने की ज्यादा जरूरत हैं जहां पर लोकसभा की ज्यादा सीटें हैं और बड़ी पार्टियों को क्षेत्रीय दलों के साथ गठबंधन करना पड़ रहा है, उत्तर प्रदेश के बारे में हम पहले ही 2014 के चुनावों की जानकारी दे चुके हैं, अब चलिए जानते हैं कि बिहार में 2014 के दौरान क्या कुछ हुआ था।
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2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान बिहार में कुल 6,38,00,160 मतदाता थे जिनमें से 3,53,04,368 मतदाताओं ने अपने मताधिकार का उपयोग किया था। यानि कुल मतदान 55.33 प्रतिशत रहा था।
कुल मतदान में से भारतीय जनता पार्टी को 1,05,43,025 वोट मिले थे यानि भाजपा को कुल 29.86 प्रतिशत वोट पड़े थे, दूसरे नंबर पर राष्ट्रीय जनता दल था जिसे 20.46 प्रतिशत यानि 72,24,893 वोट मिले थे, तीसरे नंबर पर 16.04 प्रतिशत यानि 56,62,444 वोटों के साथ जनता दल यूनाइटेड और चौथे पर 8.56 प्रतिशत वोटों के साथ कांग्रेस थी। भाजपा ने रामविलास पासवान की पार्टी लोक जनशक्ति पार्टी के साथ गठबंधन किया था और LJP को कुल 6.50 प्रतिशत यानि 2295929 वोट मिले थे।
2019 के लोकसभा चुनावों के लिए भाजपा ने जनता दल यूनाइटेड और लोक जनशक्ति पार्टी के साथ गठबंधन किया है। 2014 में इन तीनों दलों को पड़े वोटों को आधार मानें तो 52 प्रतिशत से ज्यादा वोट बनते हैं। यानि इन तीनों दलों के गठबंधन को 2014 की तरह वोट मिल जाते हैं यो यह राष्ट्रीय जनता दल और कांग्रेस पर भारी पड़ सकते हैं।
यहां पर यह भी ध्यान रखना होगा कि बिहार में राष्ट्रीय जनता दल और कांग्रेस के साथ इस बार उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी भी गठबंधन करने जा रही है, साथ में पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की पार्टी भी इनके साथ है। ये चारों दल मिलकर भाजपा गठबंधन को चुनौती दे सकते हैं।