नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव 2014 में बीजेपी उत्तर प्रदेश में जो करिश्मा कर पाई थी क्या उसे 2019 में दोहरा पाएगी और अगर नहीं तो फिर सीटें कहां से आएंगी? बीजेपी की नजर बंगाल पर है और यही वजह है कि ममता बनर्जी अपने किले को बचाने के लिए चुनावी अखाड़े में ताल ठोककर उतर गई हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निशाने पर मायावती भी हैं क्योंकि यूपी में बीजेपी को अगर नुकसान होता है तो उसकी बड़ी वजह मायावती के साथ अखिलेश का गठबंधन है। छठे चरण का चुनाव खत्म हो चुका है लेकिन ममता, मायावती और मोदी के बीच महाभारत जारी है।
चुनाव जीतने के लिए बंगाल और यूपी में नैतिकता के मूल्य हर रोज टूट रहे हैं, या यूं कहें हर मंच से टूट रहे हैं। मायावती के लिए सत्ता एक लक्ष्य है और इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए जीत जरुरी है क्योंकि अगर इस चुनाव में भी हार हो गई तो समझिए कि उनकी सियासत बहुत हद तक सिमट जाएगी।
वहीं बंगाल में ममता की हार हो गई तो फिर कहने की जरुरत नहीं कि बंगाल में जो सियासी कीचड़ फैला है उसमें कमल खिल जाएगा और यूपी-बंगाल जीतने का मतलब मोदी जानते हैं कि दिल्ली के अखाड़े में ताल ठोककर वापस आ जाएंगे इसलिए बंगाल में ममता और यूपी में मायावती दोनों को पीएम ने अपने हमलों से बेचैन कर दिया है।
2019 की चुनावी जंग में बंगाल और उत्तर प्रदेश आज सबसे कड़वे युद्ध का नाम बन गया है। सियासत के कदमों को जमाए रखने और उखाड़ देने की इस लड़ाई में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी यूपी में होते हैं तो मायावती को घेरते हैं और बंगाल में रहते हैं तो ममता को क्योंकि यहां बाजी अगर बीजेपी मार ले गई तो 2019 की जंग में जीत तय है।
पिछले दिनों अलवर में हुए गैंगरेप का जो मामला सामने आया है उसे इस चुनावी माहौल ने भी मुद्दा बना दिया है। एक महिला के साथ राजस्थान के अलवर में पांच लोगों ने गैंगरेप किया था। इस पर पीएम मोदी कहते हैं कि इसे दबाने की कोशिश की गई थी क्योंकि राजस्थान की कांग्रेस सरकार को वोट बैंक की चिंता थी। नरेन्द्र मोदी ने मायावती से सवाल पूछा कि आप तो उस समाज की नेता हैं तो फिर राजस्थान सरकार को समर्थन क्यों दे रही हैं?
मायावती ने प्रधानमंत्री के सवाल का जवाब नहीं दिया उलटे पीएम से सवाल पूछने लगी हैं। दरअसल उत्तर प्रदेश में बीजेपी 2014 की अविश्विसनिय जीत फिर से हासिल करना चाहती है लेकिन मुश्किल इस बार यही है कि इस बार यूपी में समाजवादी और बहुजन समाज पार्टी का तालमेल हो गया है इसलिए पीएम मोदी मायावती को एसस-एसटी की याद दिलाते हैं तो मायावती उन्हें हताश कहती हैं।
वैसे मायावती के बाद ममता दीदी ही हैं जो पीएम नरेन्द्र मोदी को सबसे ज्यादा परेशान कर रही हैं। मोदी लहर में भी पार्टी बंगाल में जीत को तरस गई थी। उत्तर प्रदेश में 80 सीट, उसके बाद हर बड़े राज्यों में बीजेपी की पकड़ मजूबत है। बाकी बचा रह गया बंगाल जहां 42 सीट है। थप्पड़ की इस लड़ाई से अब बंगाल बहुत आगे बढ़ गया है। अब प्रधानमंत्री पर ममता ये आरोप लगा रही है कि पीएम मोदी चुनाव की आड़ में बंगाल में समानांतर सरकार चला रहे हैं।
बंगाल में कुल 42 लोकसभा सीटें हैं। छह चरणों में अब तक 30 सीटों का चुनाव निकल चुका है। बाकी बची हैं 12 सीटें। यही वजह है कि अब भी दोनों तरफ से जुबानी जंग जारी है। इस नफरत का आलम ये है कि टीएमसी के कार्यकर्ता, बीजेपी वालों के दुश्मन बन बैठे हैं। हर चरण के चुनाव में ये नजर आ रहा है, कहीं पैर टूटता है, कहीं हाथ और कहीं हत्या हो जाती है। अब तो जय श्री राम के नारों से भी ममता नाराज हो जाती हैं।
बीजेपी, बंगाल में इन नारों को उछालकर बताना चाह रही है कि ममता हिंदुओं के त्योहारों से, उनकी पूजा-अर्चना से कितनी नफरत करती हैं। फिलहाल तो बंगाल में आखिरी चरण में 12 सीटों पर मतदान है लेकिन पीएम मोदी को लगता है दिल्ली के लिए बंगाल को काबू में करना होगा और ममता को लगता है कि अगर बंगाल निकल गया तो फिर बचेगा क्या। जो डर मायावती को यूपी में है वही डर बंगाल में ममता को और इस डर ने मायावती और ममता को बेलगाम कर दिया है।