नई दिल्ली: आगामी लोकसभा चुनाव में सभी विपक्षी दलों को साथ लाने की पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की कवायद के तहत शनिवार को यहां आयोजित विशाल रैली में प्रमुख विपक्षी दलों के नेता एक मंच पर नजर आए और उन्होंने केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार को उखाड़ फेंकने की हुंकार भरी। आयोजक के रूप में एक तरह से इस रैली की अगुवाई कर रही ममता ने कहा कि मोदी सरकार की ‘एक्सपायरी डेट (उपयोग करने की अवधि)’ खत्म हो गई है। उन्होंने कहा कि राजनीति में शिष्टता होती है लेकिन भाजपा इसका पालन नहीं करती और जो भाजपा के साथ नहीं होता उसे वे चोर बता देते हैं। रैली में ममता ने ‘बदल दो, बदल दो, दिल्ली की सरकार बदल दो’ का नारा भी दिया। संयुक्त विपक्ष के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के मुद्दे पर ममता ने कहा कि विपक्षी दल एकसाथ मिलकर काम करने का वादा करते हैं और प्रधानमंत्री कौन होगा इस पर फैसला लोकसभा चुनाव के बाद होगा।
जनसैलाब की मौजूदगी में हुई इस रैली में पूर्व प्रधानमंत्री एवं जनता दल सेक्यूलर प्रमुख एच डी देवेगौड़ा, तीन वर्तमान मुख्यमंत्री - चंद्रबाबू नायडू (तेलुगु देशम पार्टी), एचडी कुमारस्वामी (जनता दल सेक्यूलर) और अरविंद केजरीवाल (आम आदमी पार्टी), छह पूर्व मुख्यमंत्री - अखिलेश यादव (समाजवादी पार्टी), फारुख अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला (दोनों नेशनल कांफ्रेंस), बाबूलाल मरांडी (झारखंड विकास मोर्चा), हेमंत सोरेन (झारखंड मुक्ति मोर्चा) और इसी हफ्ते भाजपा छोड़ चुके गेगांग अपांग, आठ पूर्व केंद्रीय मंत्री- मल्लिकार्जन खड़गे (कांग्रेस), शरद यादव (लोकतांत्रिक जनता दल), अजित सिंह (राष्ट्रीय लोक दल), शरद पवार (राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी), यशवंत सिन्हा, अरुण शौरी, शत्रुघ्न सिन्हा और राम जेठमलानी ने हिस्सा लिया। इनके अलावा, राजद नेता एवं बिहार के पूर्व उप-मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव, कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी, बसपा सुप्रीमो मायावती के प्रतिनिधि एवं राज्यसभा सदस्य सतीश चंद्र मिश्रा, पाटीदार आरक्षण आंदोलन के नेता हार्दिक पटेल और जानेमाने दलित नेता एवं गुजरात के निर्दलीय विधायक जिग्नेश मेवानी भी मंच पर नजर आए।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने तृणमूल कांग्रेस की महारैली की प्रशंसा करते हुए कहा कि विपक्षी गठबंधन का मकसद भाजपा को हराना एवं धर्मनिरपेक्ष सरकार बनाना है। ब्रिगेड परेड ग्राउंड में हुई रैली में कांग्रेस के प्रतिनिधि के तौर पर आए सिंघवी ने कहा, ‘‘हमने इस तरह की बदले की राजनीति पहले कभी नहीं देखी थी। जब अमित शाह ने उत्तर प्रदेश में 100 रैलियां की तो किसी ने सवाल नहीं पूछा, लेकिन जब राजद ने एक रैली का आयोजन किया तो उसे आयकर का नोटिस थमा दिया गया।’’ कांग्रेस नेता ने मोदी सरकार पर “घटिया राजनीति” करने का आरोप लगाते हुए कहा कि वोटों के बंटने का सबसे ज्यादा फायदा भाजपा को होता है। सिंघवी ने कहा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विपक्ष के गठबंधन का मजाक उड़ाते हैं लेकिन उनकी पार्टी ने कश्मीर में सबसे अनैतिक गठबंधन किया। वह उसके बारे में क्या कहेंगे?” कभी भाजपा का हिस्सा रहे पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा ने मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि आजादी के बाद यह पहली सरकार है जो विकास के आंकड़ों से ‘‘बाजीगरी’’ कर रही है।
सिन्हा ने कहा कि मौजूदा शासन में अगर आप सरकार की तारीफ करते हैं तो वह ‘देश भक्ति’ है और अगर आलोचना करते हैं तो वह ‘देश द्रोह’ है। कश्मीर समस्या का हल निकालने के लिए गठित समिति में शामिल रहे सिन्हा ने कहा कि जब उन्होंने प्यार-मोहब्बत वाले वातावरण में सभी तबके के लोगों से बात करने का सुझाव दिया था तो उन्हें ‘‘पकिस्तानी एजेंट’’ बताया गया था। सिन्हा ने मोदी सरकार के नारे ‘सबका साथ, सबका विकास’ का भी मजाक उड़ाया। उन्होंने इसे ‘सबका साथ, सबका विनाश’ बताया। चुनावों में पारदर्शिता के लिए कागजी मतपत्र के जरिए मतदान की व्यवस्था फिर से लागू करने की वकालत करते हुए नेशनल कांफ्रेंस के प्रमुख फारूक अब्दुल्ला ने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) को ‘‘चोर मशीन’’ करार दिया।
जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘यह किसी एक व्यक्ति (प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी) को सत्ता से बाहर करने की बात नहीं है। यह देश को बचाने और आजादी के लिए लड़ने वालों के बलिदान का सम्मान करने की बात है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘ईवीएम, चोर मशीन है। ईमानदारी से कह रहा हूं। इसके इस्तेमाल पर रोक लगनी चाहिए। दुनिया में कहीं भी मशीन का इस्तेमाल नहीं होता है। ईवीएम का इस्तेमाल रोकने और पारदर्शिता के लिए मतपत्र प्रणाली को वापस लाने के लिए विपक्षी दलों को निर्वाचन आयोग और भारत के राष्ट्रपति से मिलना चाहिए।’’ जम्मू-कश्मीर के हालात के लिए भाजपा को जिम्मेदार ठहराते हुए अब्दुल्ला ने कहा कि लोग धार्मिक आधार पर बंट रहे हैं। ‘‘लोगों को पाकिस्तानी बताया जा रहा है। लेकिन सभी लोग.... लद्दाख से लेकर हर जगह पर... भारत में रहना चाहते हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मैं मुसलमान हूं और मुझे भारत से, अपने देश से प्यार है।’’
गुजरात के पाटीदार आंदोलन के नेता हार्दिक पटेल ने कहा कि नेताजी सुभाष चन्द्र बोस ने ‘गोरों’ के खिलाफ लड़ने की अपील की थी और हम ‘चोरों’ के खिलाफ लड़ रहे हैं। रैली में जुटे जैनसैलाब की ओर इशारा करते हुए पटेल ने कहा कि यह संकेत है कि भाजपा सत्ता से बाहर जा रही है। दलित नेता जिगनेश मेवानी ने शनिवार को कहा कि तृणमूल कांग्रेस की विपक्षी रैली में कई विपक्षी दलों का एकसाथ आना आगामी लोकसभा चुनाव में बदलाव का संदेश है। उन्होंने कहा कि ‘महागठबंधन’ आरएसएस और भाजपा की हार सुनिश्चित करेगा। मेवानी ने कहा, ‘‘भाजपा के साढ़े चार साल के शासन में गरीबों, अल्पसंख्यकों और दलितों के शोषण से देश अभूतपूर्व संकट से गुजर रहा है।’’
उन्होंने उम्मीद जताई कि केंद्र में ‘महागठबंधन’ की सरकार बनने पर वह संविधान के पालन को सुनिश्चित करेगा और देश एक सच्चा समाजवादी गणराज्य बनेगा। मिजोरम की ‘ज़ोरम नेशनलिस्ट पार्टी’ के नेता लालदूहोमा ने कहा कि नागरिकता संशोधन विधेयक के कारण पूरा पूर्वोत्तर ‘‘सुलग’’ रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘अगर विधेयक लागू किया गया तो भारत वह जगह नहीं रहेगा जो वह है...इसलिए हमें केंद्र में धर्मनिरपेक्ष सरकार चाहिए, ताकि यह विधेयक वापस ले लिया जाए या पूर्वोत्तर को छूट मिले।’’ झामुमो नेता हेमंत सोरेन ने भाजपा को देश से उखाड़ फेंकने का आह्वान करते हुए विपक्षी दलों से अपील की कि अगले लोकसभा चुनावों में वे इस ‘‘सांप्रदायिक’’ पार्टी को करारा जवाब दें। सोरेन ने कहा कि जिस तरह से भाजपा देश को चला रही है उससे देश में ‘‘हिंसा और अशांति का माहौल’’ पैदा हो गया है।
बसपा नेता सतीश चंद्र मिश्रा ने कहा कि उत्तर प्रदेश में बसपा-सपा गठबंधन केंद्र की ‘दलित-विरोधी’ और ‘अल्पसंख्यक-विरोधी’ राजग सरकार के अंत की शुरुआत है। उन्होंने कहा कि केन्द्र की भाजपा सरकार को सत्ता से बाहर करने में सपा-बसपा गठबंधन के बाद यह रैली अगला कदम है। मिश्रा ने कहा कि इस ‘सफल’ रैली से पुष्टि हो गई है कि बाबा साहेब आंबेडकर द्वारा लिखे गए संविधान को सुरक्षित रखने के लिए भाजपा को हराना जरूरी है। पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण शौरी ने रैली को संबोधित करते हुए कहा कि आगामी लोकसभा चुनाव में भाजपा को सत्ता से बाहर करने के लिए विपक्ष को साथ मिलकर लड़ना होगा। विपक्षी दलों को चुनाव में साथ मिलकर भाजपा के खिलाफ एक उम्मीदवार उतारना चाहिए। द्रमुक अध्यक्ष एम के स्टालिन ने कहा कि आगामी आम चुनाव भाजपा के ‘‘कट्टर हिंदुत्व” के खिलाफ भारत के लोगों के लिए आजादी की दूसरी लड़ाई के समान होंगे। स्टालिन ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी समेत कुछ लोगों से “डरते” हैं।
ब्रिगेड परेड ग्राउंड में उन्होंने कहा, “अगले (लोकसभा) चुनाव आजादी की दूसरी लड़ाई जैसे होंगे। हम हिंदुत्व एवं कट्टर हिंदूवाद के जहर को फैलने से रोकेंगे। हमारी अपील मोदी को हराने और देश को बचाने की है।” स्टालिन ने केंद्र सरकार पर कॉर्पोरेट घरानों के लिए काम करने का आरोप लगाते हुए उसकी आलोचना की। उन्होंने कहा, “अगर मोदी फिर से सत्ता में आते हैं तो देश 50 साल पीछे चला जाएगा।” भारत को दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में से एक बताते हुए कर्नाटक के मुख्यमंत्री एच. डी. कुमारस्वामी ने प्रधानमंत्री मोदी पर कटाक्ष करते हुए कहा कि आज हम केंद्र में कुछ ‘अलोकतांत्रिक’ लोगों को ‘लोकतांत्रिक’ सरकार की अगुवाई करते देख रहे हैं। कुमारस्वामी ने कहा कि पिछले 70 साल में देश ने क्षेत्रीय पार्टियों को मजबूती से ऊभरते हुए देखा है। इन दलों ने अपने राज्यों के हितों की रक्षा की है और अपने लोगों की भावनाओं को समझा है।सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने शनिवार को कहा कि सपा और बसपा के साथ आने से देश में खुशी की लहर दौड़ गई है और इससे चिंतित होकर भाजपा उत्तर प्रदेश में एक-एक सीट जीतने की रणनीति तैयार करने लिए बैठकें कर रही है।
अखिलेश ने प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार को लेकर विपक्षी दलों से सवाल करने पर भी भाजपा से जवाब मांगा। उन्होंने कहा, ‘‘वे पूछते हैं विपक्षी दलों का प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार कौन है...हमारा कहना है कि हमारी तरफ से लोग प्रधानमंत्री उम्मीदवार का फैसला करेंगे। लेकिन, उनकी ओर से इस नाम (नरेंद्र मोदी) ने देश को निराश किया है, आपका दूसरा नाम कौन सा है?’’ सपा अध्यक्ष ने कहा कि आम लोगों को साथ लेकर विपक्षी दलों ने गठबंधन किया है, जबकि भाजपा ने सीबीआई और ईडी के साथ समझौता किया है। सपा प्रमुख रैली में मंच पर बसपा के महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा के बगल में बैठे। मिश्रा ने बसपा के प्रतिनिधि के रूप में रैली में भागीदारी की। रालोद प्रमुख अजित सिंह और उनके बेटे जयंत चौधरी भी मंच पर मौजूद थे।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने लोगों से केंद्र की ‘‘खतरनाक’’ भाजपा सरकार को किसी भी कीमत पर हराने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि देश गंभीर संकट के दोराहे पर है। देश और लोकतंत्र को बचाने के लिए मोदी सरकार को तुरंत बदलने की जरूरत है। तृणमूल कांग्रेस की विशाल रैली में उन्होंने कहा, ‘‘अगर (नरेंद्र) मोदी-(अमित) शाह की जोड़ी 2019 का चुनाव जीतकर देश में शासन करती रही तो वह संविधान को बदल देगी और कभी चुनाव नहीं करवाएगी। जर्मनी में हिटलर ने जो किया था, वही होगा।’’ उन्होंने भाजपा पर धर्म के नाम पर लोगों के बीच दुश्मनी फैलाने का आरोप लगाया। इससे पहले, ममता ने यह दावा भी किया कि भाजपा के वरिष्ठ नेताओं राजनाथ सिंह, सुषमा स्वराज और नितिन गडकरी को भाजपा में नजरअंदाज किया गया और अगर उनकी पार्टी फिर से लोकसभा चुनाव जीतती है तो उन्हें फिर नजरअंदाज किया जाएगा। रैली में ममता ने ‘बदल दो, बदल दो, दिल्ली की सरकार बदल दो’ का नारा भी दिया।