देवबंद (सहारनपुर): सपा-बसपा-रालोद महागठबंधन ने अपने लोकसभा चुनाव अभियान का बिगुल फूंकते हुए रविवार को जनता से आह्वान किया कि वह देश का भविष्य तय करने वाले इस चुनाव में भाजपा को सत्ता से उखाड़ फेंके। महागठबंधन के सहयोगी बसपा प्रमुख मायावती, सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव और राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) के मुखिया चौधरी अजित सिंह ने किसी चुनावी रैली में पहली बार मंच साझा करते हुए कहा कि इस बार चुनाव में गरीब, दलित और अल्पंसख्यक मिलकर जुमलेबाजों को सबक सिखाएंगे।
सबसे पहले संबोधन करने आईं बसपा प्रमुख मायावती ने भाजपा के साथ-साथ कांग्रेस को भी निशाने पर रखा। उन्होंने कहा कि आजादी के बाद से अब तक कांग्रेस, भाजपा और अन्य सरकारें देशहित के मामले में ज्यादातर विफल ही रही हैं। जनता को इन्हें अब और ज्यादा आजमाने की जरूरत नहीं है। इन सभी विरोधी पार्टियों को किसी भी कीमत पर सत्ता में नहीं आने देना है।
उन्होंने जनता से कहा कि आपको डॉक्टर भीमराव आम्बेडकर, राम मनोहर लोहिया और चौधरी चरण सिंह के सपनों को पूरा करना है। मायावती ने आरोप लगाया कि केंद्र की पिछली कांग्रेस सरकार की ही तरह मौजूदा भाजपा सरकार ने दलितों, पिछड़ों, मुस्लिम और अन्य धार्मिक अल्पसंख्यकों का कोई खास विकास नहीं किया। पूरे देश में आरक्षण का कोटा खाली पड़ा है। पहले कांग्रेस और अब भाजपा की सरकारों ने निजी क्षेत्र में आरक्षण की व्यवस्था किए बगैर निजी क्षेत्र के जरिए ही काम कराकर धन्नासेठों को ही काम दिया जा रहा है।
उन्होंने आरोप लगाया कि इस सरकार में भ्रष्टाचार काफी हद तक बढ़ा है और रक्षा सौदे भी इससे अछूते नहीं रहे हैं। कांग्रेस सरकार में बोफोर्स और मोदी सरकार में राफेल मामला इसका सुबूत है। अगर भाजपा को उत्तर प्रदेश से हटाना है तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ-साथ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भी 'भगाना' होगा। तभी भाजपा के जातिवादी, संकीर्ण, साम्प्रदायिक, तानाशाही और अन्याय करने वालों से छुटकारा मिलेगा।
मायावती ने पिछले दिनों जारी कांग्रेस के घोषणा पत्र की आलोचना करते हुए कहा कि ''कांग्रेस के मुखिया ने देश के अति गरीबों को वोट के लिए लुभाने को लेकर हर महीने छह हजार रुपये देने की जो बात कही है, उससे गरीबी का कोई स्थायी हल नहीं निकलेगा। अगर केंद्र में हमारी सरकार बनी तो वह अति गरीबी परिवारों को छह हजार रुपये देने के बजाय, उन्हें सरकारी और गैर सरकारी क्षेत्रों में स्थाई रोजगार देने की पूरी व्यवस्था करेगी।''
बिजनौर, कैराना, मुजफ्फरनगर, बागपत और सहारनपुर लोकसभा सीटों पर महागठबंधन के उम्मीदवारों के समर्थन में आयोजित इस संयुक्त रैली में मायावती ने खासकर मुस्लिम समाज से महागठबंधन के पक्ष में एकतरफा मतदान करने की अपील की। उन्होंने मुस्लिम मतदाताओं का आह्वान करते हुए कहा कि कांग्रेस नहीं बल्कि सिर्फ महागठबंधन ही भाजपा से लड़ सकता है। कांग्रेस ने महागठबंधन को हराने के लिए ही अपने प्रत्याशी खड़े किए हैं। अगर भाजपा को हराना है तो मुस्लिम बिरादरी के सभी लोग अपना वोट बांटने के बजाय महागठबंधन को एकतरफा वोट दें।
मायावती ने गन्ना किसानों की नब्ज पर हाथ रखने की कोशिश करते हुए कहा कि भाजपा की कर्जमाफी और बकाया गन्ना मूल्य का भुगतान महज जुमलेबाजी साबित हुआ। ''मैं विश्वास दिलाना चहाती हूं कि अगर केन्द्र में हमें सरकार बनाने का मौका मिला तो सभी राज्यों के किसानों का कोई भी बकाया नहीं रखने के सख्त निर्देश दिए जाएंगे।''
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भाजपा पर देश में नफरत फैलाकर राज करने का आरोप लगाते हुए इस मौके पर कहा, ''अंग्रेजों ने लोगों को बांटकर देश पर राज किया था, लेकिन उससे ज्यादा अगर कोई हमें बांट रहा है तो वह भाजपा के लोग हैं।'' उन्होंने प्रधानमंत्री पर तंज किया कि पहले वह आपके बीच में चायवाला बनकर आए। जाने कितने लोगों ने अच्छे दिन, 15 लाख रुपये और करोड़ों नौकरियों के वादे पर भरोसा कर लिया। फिर चुनाव आया तो कहा जा रहा है कि 'मैं भी चौकीदार'। इस दफा चुनाव में गरीब, दलित, अल्पंसख्यक मिलकर एक-एक चौकीदार की चौकी छीनने का काम करेंगे।
अखिलेश ने प्रधानमंत्री मोदी पर कटाक्ष करते हुए कहा कि महागठबंधन को महामिलावट और 'सराब' बोलने वाले लोग सत्ता के नशे में हैं। ये महामिलावट का नहीं महापरिवर्तन का गठबंधन है। यह नई सरकार देने और नया प्रधानमंत्री बनाने का गठबंधन है। यह गठबंधन चौधरी चरण सिंह की विरासत को आगे बढ़ाने जा रहा है। कभी यह गठबंधन सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव और बसपा संस्थापक कांशीराम ने किया था। यही सपना आम्बेडकर और लोहिया ने देखा था। गठबंधन उसे पूरा करेगा।
सपा प्रमुख ने भाजपा और कांग्रेस को एक ही सिक्के के पहलू करार देते हुए कहा कि हम अपील करते हैं कि यह महागठबंधन तो बदलाव लाने के लिए है, मगर कांग्रेस बदलाव नहीं लाना चाहती। सोचिए देश के लिए कौन सोच रहा है। उन्होंने गन्ना किसानों का मुद्दा उठाते हुए कहा कि यहां के लोगों ने गन्ना पैदा करके पूरे देश को मिठास से जोड़ने का काम किया। आपके खेतों में गन्ना खड़ा रहे, मगर सरकार को कोई परवाह नहीं है।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री कहते हैं कि दुनिया को हमारे देश पर गर्व है। लेकिन हमारा देश हर चीज में पीछे चला जा रहा है। दुनिया के बाकी देश आगे बढ़ रहे हैं, वहीं हमारा देश पीछे जा रहा है। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में पिछले साल हुए उपचुनावों में बसपा के एक-एक कैडर ने मदद की और हम चुनाव जीत गए। कैराना में हम नफरत की दीवार गिराकर जीते। महागठबंधन का एक भी वोट घटने ना पाए और एक भी वोट बचने ना पाए। अगर ऐसा हुआ तो ऐतिहासिक जीत होगी।
वहीं अतं में रालोद मुखिया चौधरी अजित सिंह ने दावा किया कि इस दफा चुनाव में भाजपा हारेगी ही नहीं, बल्कि उसका सूपड़ा साफ हो जाएगा। उन्होंने कहा कि गरीब आदमी के पास एक ही ताकत है, वह है पांच साल में सरकार बदलने की। मगर भाजपा इसे खत्म करना चाहती है। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह कहते हैं कि अगर मोदी जीत गए तो 50 साल राज करेंगे। भाजपा सांसद साक्षी महाराज कहते हैं कि यह आखिरी चुनाव हैं। सोचिए, ये लोग आपका संवैधानिक हक छीन लेना चाहते हैं।
सिंह ने कहा, ''मोदी मन की बात में कहते हैं कि मैं तो फकीर हूं, झोला उठाकर चल दूंगा। हे भगवान! हमें भी ऐसा फकीर बना दो। मुफ्त की खाएंगे, सूट-बूट पहनेंगे, दुनिया घूमेंगे और कहेंगे कि मैं तो फकीर हूं।'' उन्होंने कहा कि मोदी ने साल 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले कहा था कि वह हर साल दो करोड़ रोजगार देंगे। मगर, रोजगार बढ़ना तो दूर, दो करोड़ कम हो गए। वह युवाओं को पकौड़ा बनाने की सलाह देते हैं।
सिंह ने कहा, ''क्या देश का प्रधानमंत्री झूठ बोलता है, नहीं यह कभी सच नहीं बोलता। मोदी के मां-बाप ने उसको सच बोलने की सलाह नहीं दी। मोदी अब कह रहे हैं कि तुम मुझे वोट दो मैं तुम्हें दो हजार रुपये दूंगा। प्रधानमंत्री तो देश का होता है लेकिन मोदी जी भाजपा के प्रधानमंत्री बने, वह हमारे प्रधानमंत्री नहीं हो सकते हैं।''
उन्होंने गन्ने के समर्थन मूल्य का जिक्र करते हुए कहा, ''मोदी ने कहा था कि गन्ने का दाम 400 रुपये प्रति क्विंटल होगा। मायावती और मुलायम यादव के शासन में गन्ना का दाम किसानों को मिलता था। आज अदालत के आदेश के बावजूद सरकार गन्ना मूल्य नहीं चुका रही है। मोदी और योगी किसान की फसल चर रहे हैं, सो अलग।''