नई दिल्ली: भारत को दुनिया का सबसे बड़ा लोकंतत्र कहा जाता है और यहां चुनाव करवाना अपने आप में ही एक चुनौती है। न केवल व्यवस्था की दृष्टि से बल्कि खर्च की दृष्टि से भी। और खर्च की बात करें तो यह लगातार बढ़ता ही जा रहा है। इस बार देश में चुनावी खर्च 2016 में अमेरिका में हुए राष्ट्रपति चुनाव के दौरान हुए खर्च को पीछे छोड़ देगा। अब तक 16 लोकसभा चुनाव हो चुके हैं और खर्चे की बात करें तो सबसे कम खर्च दूसरे लोकसभा चुनाव 1957 में हुआ था। 1957 के आम चुनाव में 5.9 करोड़ रुपए खर्च हुए थे जबकि पहले लोकसभा चुनाव 1952 में 10.45 करोड़ रुपए खर्च हुए थे। इसके बाद होने वाले लोकसभा चुनावों में खर्च की राशि बढ़ती गई।
ऑल इंडिया रेडियो न्यूज ने ट्वीट कर चुनावी खर्चे संबंधित जानकारी पोस्ट की है जिसके अनुसार जहां 1952 के चुनावी प्रक्रिया पर 10.45 करोड़ रुपये का खर्चा आया था वहीं, 1957 में 5.9 करोड़, 1962 में 7.32 करोड़, 1967 में 10.79, 1971 में 11.6 करोड़, 1977 में 23.03 करोड़, 1980 में 54.77 करोड़, 1984 में 81.51 करोड़, 1989 में 154.22 करोड़, 1991 में 359.1 करोड़, 1996 में 597.34 करोड़, 1999 में 947.68 करोड़, 2004 में 1016.08 करोड़, 2009 में 1114.38 करोड़ रुपये का खर्चा आया था। 2014 में कराए गए मतदान पर निर्वाचन आयोग ने कुल 3870.34 करोड़ रुपये खर्च किए थे।
बता दें कि भारत में पहले 3 लोकसभा चुनावों में सरकारी खर्च हर साल लगभग 10 करोड़ रुपये था। यह खर्च 2009 के लोकसभा चुनावों में 1114.38 करोड़ था जो कि 2014 में 3 गुना बढ़कर 3,870 करोड़ रुपये हो गया था। एक और रोचक तथ्य यह है कि 1952 में हर एक वोटर पर सरकार को 62 पैसे का खर्च आता था जो कि 2004 में बढ़कर 17 रुपये और 2009 में 12 रुपये प्रति वोटर पर आ गया था।