पटना: मेराज खालिद नूर को बिहार में लोग 'ओसामा बिन लादेन' के नाम से भी जानते हैं। इसकी वजह उनकी शक्लो-सूरत का कुख्यात आतंकवादी ओसामा बिन लादेन से मेल खाना है। इस खासियत की वजह से एक समय में वह राज्य के चुनावी माहौल में सक्रिय नजर आते थे लेकिन इस बार वह इससे नदारद हैं।
बिहार में सात चरण में से तीन चरण का लोकसभा चुनाव हो चुका है और नूर अपना व्यापार संभालने में लगे हुए हैं। एक बात साफ है: बिहार के 'ओसामा बिन लादेन' की अब मांग नहीं रही। किसी भी राजनैतिक दल ने उन्हें अपनी चुनावी रैली में इस बार आमंत्रित नहीं किया।
नूर की शिकायत है कि ज्यादातर लोग उन्हें ओसामा बिन लादेन कह कर ही बुलाते हैं। बहुत कम लोग उनका असली नाम जानते हैं। राजनैतिक पंडितों का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने भाषणों में लगातार पाकिस्तान और आतंकवाद का जिक्र कर रहे हैं। ऐसे में नूर की अब मांग नहीं रही।
नूर अवामी इंसाफ मोर्चा के प्रमुख हैं। 2014 में उन्होंने वाराणसी में नरेंद्र मोदी से मुकाबला करने के लिए पर्चा भरा था लेकिन उनका पर्चा खारिज हो गया था। पटना के रहने वाले नूर एक समय में राष्ट्रीय जनता दल प्रमुख लालू यादव और लोक जनशक्ति पार्टी नेता राम विलास पासवान के काफी नजदीकी हुआ करते थे।
नूर ने 2004 के आम चुनाव में पासवान और 2005 के विधानसभा चुनाव में लालू प्रसाद के लिए प्रचार किया था। उन्होंने कहा कि राजनेताओं ने मुस्लिम मतों को अपनी तरफ खींचने के लिए उनका इस्तेमाल किया और उसके बाद उन्हें हमेशा के लिए भूल गए। नूर 2004 में राजनीति में आए। उन्होंने पासवान की पार्टी से टिकट चाहा जो उन्हें नहीं दिया गया। फिर वह सितंबर 2005 में लालू यादव की पार्टी में शामिल हो गए।
एक समय उनकी मांग इतनी अधिक थी कि पासवान और लालू चुनाव प्रचार में अपने-अपने हेलीकॉप्टर में उनके लिए एक सीट रखते थे। उनकी इमेज ऐसी थी कि 2005 में तत्कालीन भाजपा नेता प्रमोद महाजन ने लालू व पासवान पर 'दुनिया के सर्वाधिक वांछित आतंकवादी' का महिमामंडन करने का आरोप लगाया था।
नूर मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष काजी मुजाहिदुल इस्लाम के पौत्र हैं। उनके पिता नूर अहमद का समाजवादी नेता जार्ज फर्नाडिज से करीबी रिश्ता था।