नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव से पहले राजनीतिक पार्टियां युवा मतदाताओं को लुभाने में कोई कसर बाकी नहीं रखना चाहतीं। यही वजह है कि वे अपने छात्र संगठनों को कई तरह की जिम्मेदारियां देती हैं जिनमें मतदाताओं से बात करना, अपने उम्मदीवारों के लिए चुनाव प्रचार करना, उन्हें संबंधित क्षेत्र में ले जाना और युवा मतदाताओं से जोड़ना आदि शामिल हैं। छात्र संघ के चुनाव को लंबे समय से मुख्य धारा के चुनाव में प्रवेश के रास्ते के रूप में देखा जाता है। हालांकि राजनीतिक पार्टियां इन्हें युवाओं से जुड़ने और जनाधार बनाने के लिए एक प्रभावी तरीका मानती हैं।
लोकसभा के पहले चरण का चुनाव होने में करीब एक सप्ताह का समय शेष है। ऐसे में विभिन्न विश्वविद्यालयों के छात्र संघ अपनी अपनी मुख्य राजनीतिक पार्टियों के लिए प्रचार में जुट गए हैं। दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्र संघ के अध्यक्ष शक्ति सिंह अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के सदस्य हैं। उन्होंने बताया, ‘चुनाव की घोषणा से पहले हमने दिल्ली विश्वविद्यालय के कॉलेजों और निकट के कुछ आवासीय इलाकों में मतदाता जागरूकता अभियान चलाया और मतदाताओं से देश के हित में भाजपा को मत देने को कहा।’
वहीं जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) के छात्र नेता देश के विभिन्न हिस्सों में अपनी संबंधित राजनीतिक पार्टियों के लिए चुनाव प्रचार करने के लिए जाने की योजना बना रहे हैं। JNUSU की संयुक्त सचिव अमुथा जयदीप ने बताया,‘चुनाव प्रचार की योजनाओं को अंतिम रूप दिया जा रहा है। हम में से कुछ लोग बिहार और कुछ केरल जा रहे हैं।’ बनारस हिंदू विश्वविद्यालय, जामिया मिलिया इस्लामिया और यादवपुर विश्वविद्यालय के छात्र समूह भी राजनीतिक पार्टियों के लिए चुनाव प्रचार कर रहे हैं। इन संस्थानों के छात्र समूह छात्र संघ चुनाव बहाली की भी मांग कर रहे हैं।