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लोकसभा चुनाव: पांचवे चरण में बिहार की ये 2 सीटें बताएंगी लालू और पासवान की ताकत!

इन दोनों सीटों पर सामाजिक आधार हो या वोटबैंक की राजनीति, देश के मुद्दे हों या राज्य के मुद्दे, मतदाताओं ने ज्यादातर मौकों पर इन दोनों नेताओं को ही समर्थन दिया है।

Reported by: IANS
Published on: May 03, 2019 9:47 IST
Lalu Prasad Yadav and Ram Vilas Paswan | PTI File Photo- India TV Hindi
Lalu Prasad Yadav and Ram Vilas Paswan | PTI File Photo

पटना: लोकसभा चुनाव के पांचवें चरण में बिहार की 5 लोकसभा सीटों पर मतदान होना है। 06 मई को होने वाले इन चुनावों में पूरे देश की नजर इन 5 में से 2 सीटों, सारण और हाजीपुर पर विशेष तौर पर होगी। दरअसल, इन 2 सीटों पर मतदाता बिहार की राजनीति के 2 दिग्गज राष्ट्रीय जनता दल के अध्यक्ष लालू प्रसाद और लोक जनशक्ति पार्टी के प्रमुख रामविलास पासवान की सियासत की विरासत संभालने पर मुहर लगाएंगे। इन दोनों सीटों के परिणाम इन दोनों दिग्गजों की सियासी पैठ भी तय करेगी।

इस चुनाव में लालू प्रसाद के परिवार की परंपरागत सीट समझे जाने वाले सारण सीट से लालू की विरासत संभालने के लिए विपक्षी दल के महागठबंधन ने RJD के नेता और लालू के समधी चंद्रिका राय को चुनावी मैदान में उतारा है, वहीं राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) ने हाजीपुर लोकसभा क्षेत्र से लोजपा के प्रमुख रामविलास पासवान के भाई पशुपति कुमार पारस को अपना प्रत्याशी बनाया है। हाजीपुर से रामविलास 8 बार चुनाव जीतकर इस क्षेत्र का संसद में प्रतिनिधित्व कर चुके हैं।

इन दोनों सीटों पर सामाजिक आधार हो या वोटबैंक की राजनीति, देश के मुद्दे हों या राज्य के मुद्दे, मतदाताओं ने ज्यादातर मौकों पर इन दोनों नेताओं को ही समर्थन दिया है। सारण से लालू प्रसाद सर्वाधिक 4 बार चुनाव जीतकर संसद पहुंचे। सबसे पहले वर्ष 1977 में वह इसी सीट से चुनाव जीतकर संसद में पहुंचे थे। उसके बाद वर्ष 1989, 2004 और 2009 के ससंदीय चुनाव में भी लालू प्रसाद ने इस सीट से जीत हासिल की। हालांकि, लालू को यहां से हार का भी सामना करना पड़ा। पहले इस संसदीय सीट का नाम छपरा था।

माना जा रहा है कि इस बार लालू की संसदीय विरासत को संभालने के लिए चुनावी मैदान में उतरे RJD विधायक चंद्रिका राय का यहां से जीतना न केवल लालू के लिए, बल्कि पूरी पार्टी के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न है। इस चुनाव में लालू के समधी का मुख्य मुकाबला वर्तमान सांसद राजीव प्रताप रूडी से है। 4 दशकों से करीब सभी लोकसभा चुनाव में भागीदारी करने वाले केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान हाजीपुर लोकसभा क्षेत्र के चुनावी रण से बाहर हैं। इस बार उन्होंने इस सीट से अपने छोटे भाई और अपनी पार्टी लोजपा के प्रदेश अध्यक्ष पशुपति कुमार पारस को मैदान में उतारा है। 

इस सीट पर पारस का मुख्य मुकाबला RJD के नेता शिवचंद्र राम से है। कहा जा रहा है कि इस सीट के चुनाव का परिणाम न केवल गठबंधनों के विजई सीटों में इजाफा करेगा, बल्कि यह भी तय करेगा कि पासवान की पकड़ अपने क्षेत्र में आज भी बरकरार है या उनके चुनावी रण से गायब होने के बाद उनकी पकड़ ढीली हुई है। पासवान ने यहां से पहली बार साल 1977 के चुनाव में भाग्य आजमाया था। उसके बाद यहां से वह अब तक 8 बार चुनाव जीत चुके हैं। पासवान ने यहां से सर्वाधिक मतों से चुनाव जीतने का भी रिकार्ड बनाया है। 

ऐसे में यह तय है कि दोनों दलों ने भले ही यहां से प्रत्याशी उतरे हैं, मगर सही मायनों में सारण से जहां लालू की प्रतिष्ठा की परीक्षा होगी, वहीं हाजीपुर के परिणाम से पासवान की सियासी ताकत मापे जाएंगे। बहरहाल, इन दोनों सीटों पर पांचवें चरण में 6 मई को मतदान होना है, लेकिन 23 मई को मतगणना होने के बाद ही पता चल सकेगा कि क्षेत्र से अनुपस्थित होने के बाद इन दोनों दिग्गजों का उनके क्षेत्र में सिक्का आज भी उसी तरह चल रहा है या मतदाताओं का उनसे विश्वास टूट रहा है।

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