लखनऊ: बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो मायावती ने चुनाव आयोग द्वारा प्रचार पर लगाई गई रोक को लेकर आयोग पर जातिवादी मानसिकता से ग्रस्त होने का आरोप लगाया है। आयोग की इस कार्रवाई के बाद मायावती ने सोमवार रात लखनऊ में प्रेस कॉन्फ्रेंस करके आयोग की कार्रवाई पर प्रश्नचिन्ह लगाया। मायावती ने कहा कि उन्होंने कोई भी धार्मिक माहौल खराब नहीं किया था और आयोग ने कार्रवाई से पहले जो नोटिस उन्हें भेजा था, उसमें भड़काऊ भाषण के मुद्दे का कोई जिक्र नहीं था।
बसपा की राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा, ‘चुनाव आयोग ने बिना मेरा पक्ष सुने ही मुझ पर प्रतिबंध लगा दिया। अब अगले दो दिन होने वाली रैलियों में मैं तो नहीं जा पाऊंगी, लेकिन मेरे कार्यकर्ता मेरा संदेश लोगों तक जरूर पहुंचाएंगे।’ मायावती ने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग ने एकतरफा फैसला दिया है। उन्होंने कहा, ‘मुझे बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार से वंचित कर दिया गया है। इस दिन को चुनाव आयोग के इतिहास में एक काले दिन के रूप में जाना जाएगा। उन्होंने आयोग पर प्रधानमंत्री मोदी और अमित शाह को खुली छूट देने का आरोप भी लगाया।’
माया ने कहा कि मैं मीडिया को यह बताना चाहूंगी की आयोग ने 11 अप्रैल को जो नोटिस भेजा था उसमें यह जिक्र नहीं था कि हमने कोई भड़काऊ भाषण दिया है। बसपा सुप्रीमो ने कहा कि आयोग ने जो नोटिस भेजा था और जो जवाब उन्होंने भेजा था उसकी कॉपी भी मीडिया में जारी की जाएगी। गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव के बीच नेताओं के विवादित बयानों पर सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद अब चुनाव आयोग ने सख्त रुख अपनाया है। आयोग ने यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ के चुनाव प्रचार पर 72 घंटे की रोक लगा दी है। वहीं, मायावती 48 घंटे प्रचार नहीं कर पाएंगी।