नई दिल्ली: भाजपा को पूर्वी भारत के ग्रामीण इलाकों में सर्वाधिक सफलता मिली है जबकि उत्तर भारत के ग्रामीण इलाकों में सर्वाधिक नुकसान उठाना पड़ा है। लोकसभा नतीजों के विश्लेषण से साफ होता है कि भाजपानीत राजग ने अपनी सीटों की संख्या पूर्वी भारत के ग्रामीण इलाकों में 40 से बढ़ाकर 64 कर ली है। लेकिन, तस्वीर उत्तर भारत के ग्रामीण इलाकों में अलग है। यहां राजग के मत प्रतिशत में दस फीसदी की बढ़ोतरी के बावजूद राजग की सीटें 70 से घटकर 56 पर आ गईं।
संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) के लिए दक्षिण भारत के ग्रामीण और अर्ध शहरी इलाकों से अच्छी खबर आई। दक्षिण के ग्रामीण इलाकों में संप्रग को 10 सीटों का और अर्ध शहरी इलाकों में 20 सीटों का लाभ हुआ है। पूर्वी भारत के ग्रामीण इलाकों में कांग्रेसनीत संप्रग को सात सीटों का और अन्य को 17 सीटों का नुकसान हुआ है।
राजग को पूर्वोत्तर के शहरी इलाकों में एक सीट और तीन से चार फीसदी तक के वोट शेयर का नुकसान हुआ है। लेकिन, पूर्वोत्तर के ग्रामीण एवं अर्ध शहरी क्षेत्रों में इसने तीन अतिरिक्त सीटें जीतीं और इसका वोट शेयर यहां तीन से पांच फीसदी तक बढ़ गया। पूरब और अर्ध शहरी उत्तर में अन्य को 16 सीटों और सात-आठ फीसद मत प्रतिशत का नुकसान हुआ है।
नतीजों से साफ पता चल रहा है कि राजग को ग्रामीण भारत में अच्छा समर्थन मिला है जबकि माना यह जा रहा था कि ग्रामीण इलाकों के लोग परेशान हैं। अगर वे समस्याओं का सामना कर रहे हैं तो भी उन्हें यही लगा कि इनका समाधान प्रधानमंत्री मोदी के पास है।
भाजपा ने अपने बल पर 303 सीटें जीती हैं। राजग ने बिहार में 40 में से 39 सीट जीती है। भाजपा ने झारखंड में 11, पश्चिम बंगाल में 18, असम में नौ, अरुणाचल व त्रिपुरा की सभी दो-दो और ओडिशा में आठ सीटें जीती हैं। यह भी साफ हुआ कि अनुमानों से उलट, नतीजों में शहरी और ग्रामीण इलाकों को लेकर कोई बड़ा फर्क नहीं देखने को मिला।