तिरूवनंतपुरम: आकाश गुंजा देने वाले कोलाहल से भरे 40 दिन के लंबे चुनावी अभियान के बाद मंगलवार को केरल में एक चरण के तहत मतदान होगा और इसमें कांग्रेस प्रमुख राहुल गांधी, केंद्रीय मंत्री अल्फोंस कण्णामथणम और मौजूदा कांग्रेसी सांसद शशि थरूर के राजनीजिक जीवन का फैसला मतपेटियों में कैद हो जाएगा। यह चुनाव सत्तासीन माकपा नीत एलडीएफ और कांग्रेस नीत विपक्ष यूडीएफ के लिए ‘करो या मरो’ का सवाल बना हुआ है।
यहां लोकसभा की 20 सीटें हैं और इन्हें दशकों से दो ध्रुवीय राजनीति के लिए जाना जाता है। लेकिन, अब भाजपा नीत राजग भी दस्तक दे रहा है और वह कम से कम तीन सीटों तिरूवनंतपुरम, पथनमथिट्टा और त्रिशूर पर इन दोनों परंपरागत मोर्चों के लिए चुनौती पेश कर रहा है। भगवा दल को उम्मीद है कि वह सबरीमला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश के मसले को अपने पक्ष में भुनाने में सफल रहेगी और इस बार लोकसभा सीटों के लिए इस दक्षिणी राज्य में कमल खिल जाएगा।
उच्चतम न्यायालय के 28 सितम्बर को आए फैसले को लागू करने के एलडीएफ के निर्णय के बाद राज्य में अभूतपूर्व प्रदर्शनों की बाढ़ आ गई थी। मिजोरम के राज्यपाल पद से इस्तीफा देकर आए भाजपा के वरिष्ठ नेता कुम्माणम राजशेख्ररन, पूर्व मंत्री और जानेमाने लेखक थरूर को तिरूवनंपुरम सीट से कड़ी टक्कर दे रहे हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह यहां प्रचार में काफी मेहनत कर चुके हैं। मोदी यहां की वायनाड सीट पर राहुल गांधी के लड़ने की यह कर आलोचना कर चुके हैं कि यह तुष्टिकरण की राजनीति है। कांग्रेस के लिए प्रचार में राहुल गांधी और उनकी बहन प्रियंका गांधी वाड्रा ने कमान संभाली तो माकपा के महासचिव सीताराम येचुरी, पोलितब्यूरो सदस्य प्रकाश करात और बृंदा करात, भाकपा के सुधाकर रेड्डी और डी. राजा ने चुनाव प्रचार में खुद को झोंक दिया।
यहां कुल 227 उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं। वायनाड में सबसे अधिक 20 और पालक्कड़ जिले की अलाथूर सीट पर केवल छह उम्मीदवार हैं। पुलिस ने 4,482 केंद्रों को संवेदनशील मतदान केंद्र घोषित किया है और इनमें से 162 उग्र वाम आतंकवाद से प्रभावित हैं। राज्य में कुल 2.61 करोड़ मतदाता हैं और इनमें 1,26,81,992 पुरूष और 1,34,64,688 महिला जबकि 173 ट्रांसजेंडर मतदाता हैं।