जयपुर: लोकसभा चुनावों मे राजस्थान के मिशन 25 को फतह करने के लिए कांग्रेस ने पूरी ताकत झोंक दी है। बीजेपी का गढ माने जाने वाली जयपुर शहर सीट में शुक्रवार को प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने खुद ही मोर्चा सम्भाल लिया और सड़क पर कांग्रेस को वोट देने की अपील करने के लिए डोर टु डोर कैम्पेन करने लगे।
जयपुर के बापुनगर इलाके में मुख्यमंत्री व उपमुख्यमंत्री लोगो के घरों मे जाकर कांग्रेस को वोट डालने की अपील कर रहे थे। कहा जा रहा है कि डोर टु डोर कैम्पेन के लिए बापु नगर को इस लिए भी चुना गया क्योंकि जयपुर शहर की सीट मे इस इलाके को डाय हार्ट बीजेपी का गढ कहा जाता था लेकिन विधानसभा चुनावो मे कांग्रेस प्रत्याशी अर्चना शर्मा ने इसी वार्ड से चुनाव लडा पूरे शहर मे इस सीट पर सबसे ज्यादा टर्नआऊट मार्जन से कांग्रेस का वोट बैंक बढाया यही वजह है कि आज मुख्यमंत्री व उप मुख्यमंत्री खुद ही वोट मांगने के लिये निकल पड़े।
लोगों की नाराजगी 10 मिनट मे खत्म हुई गहलोत की डोर टु डोर कैम्पनिंग
मुख्यमंत्री गहलोत जिस वक्त वोट मांगने के लिये पहुंचे तो तेज रफ्तार से लोगो के घरो मे जाकर लोगो से मिलते हुये निकल गये। जिसके बाद इलाके के लोगो की शिकायत भी रही की पहली बार मुख्यमंत्री इस इलाके मे आये वोट मांगने के लिये लेकिन वो भी औपचारिकता भर ही रही। महज 10 से 12 मकानो मे गये उसके बाद गाड़ी मे बैठकर रवाना हो गये। प्रदेश के मुख्यमंत्री व उपमुख्यमंत्री को वोट मांगने के लिये क्यों सड़क पर उतरना पड़ा। ये सवाल हर किसी के जहन मे है। राजस्थान की 25 लोकसभा सीटों मे जयपुर शहर सीट के बापुनगर मे ही क्यों मुख्यमंत्री वोट मांगने के लिये घरों मे गये ये सवाल हर कोई पूछ रहा है। इसकी वजह ये भी मानी जा रही है कि जयपुर शहर को बीजेपी का गढ माना जा रहा है लेकिन कांग्रेस द्दारा बीजेपी के इस गढ को गिराने की कोशिश में मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री दोनों ने कमान संभाल ली है।
गुटबन्दी भी साफ नजर आई
वक्त था वोट मांगने का लोग घरो से बाहर निकल रहे थे कि उनके घर के बाहर मुख्यमंत्री व उपमुख्यमंत्री वोट मांगने के लिये आये है। लेकिन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत जिस रफ्तार से आगे बढते हुए डोर टु डोर कैम्पेन कर रहे थे उससे एसा लगा कि मानो उनको पता ही नहीं की उनके साथ उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट भी मौजूद है। कभी गहलोत आगे तो कभी बांए लेकिन एक बार भी एक साथ अपील करते हुए नही दिखे। इस नजारे से सियासी गलियारों में भी खुसफुसाहट होने लगी कि फिलहाल गहलोत और पायलट के बीच सबकुछ अभी सही नही हुआ है।