नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह को पश्चिम बंगाल के जाधवपुर में रैली आयोजित करने की अनुमति नहीं दिए जाने के बाद बीजेपी ने सूबे की ममता बनर्जी सरकार पर हमला बोल दिया है। पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने आरोप लगाया है कि प्रदेश की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी आम चुनावों में अपनी आसन्न हार को देखते हुए प्रमुख नेताओं की रैलियों को रोकने और हेलीकाप्टर नहीं उतरने देने जैसी तानाशाहीपूर्ण कार्य कर रही हैं। इसके साथ ही जावड़ेकर ने कहा कि निर्वाचन आयोग को इस पर संज्ञान लेना चाहिए।
केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री जावड़ेकर ने कहा, ‘आज अमित शाह की जाधवपुर में रैली थी, हमने उसकी अनुमति के लिए 4-5 दिन पहले आवेदन किया था। पहले वे कह रहे थे कि अनुमति मिल जाएगी। लेकिन कल रात 8.30 बजे बताया की अब अनुमति नहीं देंगे। बिना किसी कारण के रैली को अनुमति नहीं दी गई। हेलीकॉप्टर उतरने की अनुमति देने से भी मना कर दिया गया। ये लोकतंत्र की हत्या है। चुनाव आयोग को इस पर संज्ञान लेना चाहिए।’ जावड़ेकर ने आरोप लगाया कि पश्चिम बंगाल में तानाशाही चल रही है और चुनाव में अगर प्रमुख नेताओं की रैलियां नहीं करने देंगे तो इसका क्या मतलब रह जाएगा।
उन्होंने कहा, ‘प्रधानमंत्री की रैली हो, हमारे पार्टी अध्यक्ष का दौरा रोकना हो, अन्य नेताओं को राज्य में नहीं आने देने की बात हो, ऐसी घटनाएं देखने को मिली है। कुछ नेताओं को कोलकता में रोकना, किसी को गिरफ्तार करना, ये क्या है।’ भाजपा नेता ने आरोप लगाया कि यह तानाशाही है, लोकतंत्र की हत्या है, यह चुनाव आयोग को एक मूक प्रेक्षक बनाने की साजिश है। पश्चिम बंगाल सरकार पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि इनकी लोकतंत्र में बिल्कुल आस्था नहीं है। उन्होंने कहा, ‘उनको एहसास हो गया है कि ममता जा रही हैं और भाजपा आ रही है।’
इससे पहले भाजपा नेता अनिल बलूनी ने सोमवार को कहा कि निर्वाचन आयोग उनकी पार्टी को निशाना बनाने के तृणमूल कांग्रेस के कथित अलोकतांत्रिक तरीकों का मात्र ‘मूक दर्शक’ बन कर रह गया है। बलूनी ने बताया कि पार्टी विरोध प्रदर्शन करेगी और निर्वाचन आयोग का दरवाजा भी खटखटाएगी। उन्होंने कहा कि शाह की रैली सोमवार को जाधवपुर में होनी थी, जहां लोकसभा चुनाव के अंतिम चरण में 19 मई को मतदान होना है। बलूनी ने कहा कि शाह के हेलीकॉप्टर को उतरने के लिए दी गई अनुमति भी वापस ले ली गई है। उन्होंने कहा, ‘यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि निर्वाचन आयोग राज्य में इस तरह की घटनाओं और तृणमूल द्वारा किए जा रहे हिंसा के इस्तेमाल का केवल मूल दर्शक बन गया है।’