नई दिल्ली: पूर्व लोक सेवकों, रक्षाकर्मियों, न्यायाधीशों और शिक्षाविदों के एक समूह ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को मंगलवार को पत्र लिखकर इस बात पर चिंता व्यक्त की है कि कुछ समूह निर्वाचन आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठाकर उसे बदनाम करने का कथित तौर पर प्रयास कर रहे हैं। इस पत्र पर 80 पूर्व लोक सेवकों, रक्षाकर्मियों, न्यायाधीशों, शिक्षाविदों और पेशेवरों ने हस्ताक्षर किए हैं। पत्र में लिखा गया है कि निर्वाचन आयोग पर ‘‘झूठे आरोप’’ लगाए जा रहे हैं और स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव कराने की उसकी क्षमता पर शंका जताई जा रही है।
इस पत्र पर हस्ताक्षर करने वालों में दिल्ली पुलिस के पूर्व आयुक्त आर एस गुप्ता, एयर मार्शल (सेवानिवृत्त) आर सी बाजपेयी, पूर्व राजनयिक अशोक कुमार और लेफ्टिनेंट जनरल ए के साहनी शामिल हैं। दरअसल, सत्तारूढ़ दल की संलिप्तता वाले चुनाव आचार संहिता उल्लंघन के कथित मामलों से निपटने में विशेष तौर पर नाकाम रहने को लेकर निर्वाचन आयोग की विश्वनीयता एवं कार्यप्रणाली पर चिंता जताते हुए पूर्व लोकसेवकों के एक समूह की अपील के जवाब में यह पत्र लिखा गया है।
राष्ट्रपति को लिखे पत्र में कहा गया,‘‘हम ईसी को बदनाम करने की कुछ समूहों की कोशिशों को लेकर चिंतित हैं। केवल भारत ही नहीं, बल्कि दुनियाभर में आयोग की काफी विश्वसनीयता है जो कई बार साबित हो चुकी है।’’ पत्र में कहा गया, ‘‘यह आयोग की निर्णय लेने की क्षमता को प्रभावित करने के लिए किसी बड़े षड्यंत्र का हिस्सा प्रतीत होता है।’’
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बायोपिक को लेकर समूह की आपत्तियों का जिक्र करते हुए पत्र में कहा गया, ‘‘ऐसा प्रतीत होता है कि निर्वाचन आयोग की स्वतंत्रता पर संदेह करने वाले लोग एक स्वतंत्र निर्माता द्वारा बनाई गई बायोपिक पर प्रतिबंध लगाने में आयोग के निर्णय को प्रभावित करने में सफल हो गए।’’