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गोधरा के मुसलमान इतिहास को कर चुके हैं दफ्न, विकास अहम चुनावी मुद्दा

दुनिया भर में कुख्यात गोधरा का ट्रेन अग्निकांड और उसके बाद हुए दंगों के 17 साल बाद इस छोटे-से शहर के मुसलमानों का कहना है कि उन्होंने बहुत पहले ही इस इतिहास को दफ्न कर दिया है और अब चाहते हैं कि नेता विकास पर ध्यान दें।

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: April 21, 2019 15:39 IST
Representational pic- India TV Hindi
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गोधरा: दुनिया भर में कुख्यात गोधरा का ट्रेन अग्निकांड और उसके बाद हुए दंगों के 17 साल बाद इस छोटे-से शहर के मुसलमानों का कहना है कि उन्होंने बहुत पहले ही इस इतिहास को दफ्न कर दिया है और अब चाहते हैं कि नेता विकास पर ध्यान दें। बड़ी संख्या में मुस्लिम निवासियों ने कहा कि 2002 के दंगों के बाद से इस इलाके में शांति है और कई लोग इसके लिए राज्य में भाजपा सरकार को श्रेय देते हैं।

पोलन बाजार इलाके के प्रतिष्ठित कारोबारी हाजी फारुख केसरी ने कहा, ‘‘साल 2002 के बाद यहां कोई बड़ा दंगा नहीं हुआ। हमारे बीच यह आम धारणा है कि जब तक भाजपा सत्ता में रहेगी तब तक शांति बनी रहेगी। यही वजह है कि हममें से कई भाजपा का समर्थन करते हैं।’’

उनकी ऑटोमोबाइल की दो दुकानें पोलन बाजार के नजदीक हैं जहां 2005 के बाद से स्थानीय मुसलमान हर दिन तिरंगा फहराते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘शांति और विकास एक साथ चलते हैं। अगर शांति होगी तो हम अपने कारोबार बढ़ा पाएंगे। यहां हिंदुओं और मुसलमानों के बीच कोई दरार नहीं है। मेरे कई कर्मचारी और ग्राहक हिंदू हैं। हम इस माहौल को बनाए रखना चाहते हैं। हमारे विकास के लिए यह जरुरी है।’’

गोधरा शहर पंचमहल लोकसभा सीट के तहत आता है जहां गुजरात में 25 अन्य संसदीय सीटों के साथ 23 अप्रैल को चुनाव होने हैं। सभी सीटें अभी भाजपा के पास हैं। एक अनुमान के मुताबिक, गोधरा में करीब 1.90 लाख लोगों की आबादी है और करीब 40 प्रतिशत मुसलमान हैं। पंचमहल निर्वाचन क्षेत्र में 17 लाख से अधिक मतदाता हैं जिनमें 2.18 लाख मुसलमान शामिल हैं। शहर में मुसलमानों के बीच इस पर लगभग सहमति है कि वे 2002 के ‘गोधरा कांड’ से काफी आगे बढ़ चुके हैं।

गौरतलब है कि अयोध्या से लौट रही साबरमती एक्सप्रेस की एक बोगी में आग लगने से 59 यात्रियों की मौत हो गई थी। इसके बाद भड़के दंगों में 1,000 से ज्यादा लोग मारे गए जिनमें से ज्यादातर अल्पसंख्यक समुदाय के थे।

गोधरा रेलवे स्टेशन के सामने एक मुस्लिम इलाके सिग्नल फलिया में मोहम्मद हुसैन ने कहा, ‘‘कोई इस पर चर्चा तक नहीं करता कि 2002 में क्या हुआ। हम बहुत आगे बढ़ चुके हैं। हम इसे क्यों याद करें जब हम इसमें शामिल नहीं थे। हम नहीं जानते कि इसके पीछे कौन लोग थे।’’ सिग्नल फलिया तब चर्चा में आया था जब आरोप लगा कि यहां रहने वाले लोगों ने 27 फरवरी 2002 को साबरमती एक्सप्रेस की एस6 बोगी में आग लगाई थी।

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