नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव में शानदार प्रदर्शन करते हुए भारतीय जनता पार्टी (BJP) के लगातार दूसरी बार जीत दर्ज करने के बाद सभी निगाहें अब सरकार के गठन पर टिक गई है। ऐसी अटकलें भी लगाई जा रही है कि सरकार में अमित शाह समेत कई नए चेहरों को स्थान दिया जा सकता है। पार्टी के कई नेताओं का ऐसा विचार है कि शाह, मोदी मंत्रिमंडल में शामिल होंगे और उन्हें गृह, वित्त, विदेश या रक्षा में से कोई एक मंत्रालय दिया जा सकता है।
वित्त मंत्री अरुण जेटली और विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के समक्ष स्वाथ्य संबंधी समस्याएं हैं। ऐसे में उनके नई सरकार में शामिल होने को लेकर शंकाएं हैं। जेटली राज्य सभा के सदस्य हैं और वह 2014 के चुनाव में अमृतसर सीट पर हार गए थे। सुषमा स्वराज ने पिछला चुनाव मध्य प्रदेश के विदिशा से जीता था। हालांकि इस बार उन्होंने चुनाव नहीं लड़ा। इन दोनों नेताओं ने नई सरकार में शामिल होने या नहीं होने पर कोई टिप्पणी नहीं की है।
चुनाव प्रचार के दौरान शाह ने भी इस बारे में पूछे गए सवालों को टाल दिया और कहा कि यह पार्टी और प्रधानमंत्री के अधिकार क्षेत्र का विषय है। ऐसी उम्मीद है कि रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण नई सरकार में मुख्य भूमिका में रह सकती हैं। स्मृति ईरानी ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को अमेठी से पराजित किया है। ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि पार्टी उन्हें कोई बड़ी जिम्मेदारी दे सकती है। वहीं, राजनाथ सिंह, नितिन गडकरी, रविशंकर प्रसाद, पीयूष गोयल, नरेन्द्र सिंह तोमर, प्रकाश जावड़ेकर को नए मंत्रिमंडल में बनाए रखे जाने की संभावना है।
जेडीयू और शिवसेना को भी नए कैबिनेट में स्थान दिया जा सकता है क्योंकि दोनों दलों ने क्रमश: 16 और 18 सीट दर्ज करके शानदार प्रदर्शन किया है। केंद्रीय मंत्रिमंडल में पश्चिम बंगाल, ओडिशा और तेलंगाना से नए चेहरों को स्थान दिया जा सकता है। भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने बताया, ‘‘मंत्री परिषद में कई युवा चेहरों को स्थान दिए जाने की संभावना है क्योंकि भाजपा नेतृत्व पार्टी की दूसरी कतार तैयार करना चाहता है।’’
गौरतलब है कि मोदी के नेतृत्व में भाजपा ने चुनाव में 302 सीटों पर जीत दर्ज की है और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) को चुनाव में 350 सीटें हासिल हुई है। अधिकारियों ने बताया कि शुक्रवार शाम को कैबिनेट की बैठक में 16वीं लोकसभा भंग करने के बारे में एक प्रस्ताव की सिफारिश की जाएगी।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मिलने की संभावना है जिसके बाद वह लोकसभा भंग करने की कैबिनेट की सिफारिश का प्रस्ताव उन्हें सौपेंगे। वह केंद्रीय मंत्रिपरिषद का इस्तीफा भी उन्हें सौंप सकते हैं। 17वीं लोकसभा का गठन तीन जून से पहले किया जाना है। इस बारे में तीनों चुनाव आयुक्त राष्ट्रपति से मिलेंगे और नए चुने गए सदस्यों की सूची उन्हें सौपेंगे।