लोकसभा चुनाव में जहां भारतीय जनता पार्टी ने प्रचंड बहुमत हासिल किया है, वहीं चुनाव परिणामों ने कई राजनीतिक पार्टियों के अस्तित्व पर संकट पैदा कर दिया है। 2015 में ताबड़तोड़ बहुमत के साथ दिल्ली की सत्ता पर कब्जा जमाने वाली आम आदमी पार्टी को भी मतदाताओं ने हाशिए पर ला दिया है। पिछले आम चुनावों में राष्ट्रीय स्तर पर उभरने वाली आम आदमी पार्टी दिल्ली में भी अपनी साख नहीं बचा सकी है। दिल्ली की सातों सीटों पर चुनाव लड़ने वाली केजरीवाल की पार्टी जहां चारों खाने चित्त हुई, वहीं तीन सीटों पर उसकी जमानत ही जब्त हो गई।
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दिल्ली में आम आदमी पार्टी ने आतिशी मारलेना, दिलीप पांडे, ब्रजेश गोयल, पंकज गुप्ता, गगन सिंह, बलबीर सिंह जाखड़ और राघव चडढा को चुनावी मैदान में उतारा था। इसमें राघव चड्ढा को छोड़ दें तो सभी उम्मीदवार तीसरे स्थान पर रहे। वहीं तीन उम्मीदवार जमानत बचाने के लिए जरूरी 1/6 वोट भी नहीं पा सके।
इन तीन उम्मीदवारों की जमानत जब्त
जमानत न बचा पाने वाले उम्मीदवारों में पहले हैं आम आदमी पार्टी के नेता दिलीप पांडे। पांडे को नॉर्थ ईस्ट दिल्ली से टिकट मिला था। वैसे पांडे के लिए यहां से लड़ाई हमेशा से मुश्किल थी। क्योंकि इनके सामने कांग्रेस की शीला दीक्षित और बीजेपी के मनोज तिवारी खड़े थे। तिवारी ने यहां से साढ़े तीन लाख से ज्यादा वोटों के साथ जीत दर्ज की। इसके अलावा नई दिल्ली लोकसभा सीट से आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी ब्रजेश गोयल भी जमानत न बचा सके। गोयल के सामने यहां मीनाक्षी लेखी और अजय माकन जैसे दिग्गज थे। गोयल को करारी हार झेलनी पड़ी। मीनाक्षी लेखी ने यहां से करीब ढ़ाई लाख से ज्यादा वोटों से जीत दर्ज की। आप के जमानत गंवाने वाले तीसरे उम्मीदवार चांदनी चौक सीट से खड़े पंकज गुप्ता रहे। इस सीट पर बीजेपी ने हर्ष वर्धन को उतारा था। उन्होंने दो लाख से भी ज्यादा वोटों के अंतर से जीत दर्ज की।
वोट शेयर में भी आप पिछड़ी
वोट शेयर के हिसाब से देखा जाए तो यहां भी आप की हालत बहुत पतली रही। इस चुनाव में आम आदमी पार्टी दिल्ली में उन पार्टियों के खिलाफ तीसरे स्थान पर पहुंच गई जिन्हें धूल चटाकर उसने दिल्ली की सत्ता हासिल की थी। विधानसभा चुनावों में मात्र 3 सीट जीतने वाली बीजेपी ने इस चुनाव में 56.56 फीसदी वोट हासिल किए, वहीं 2015 में आप से जोरदार पटखनी खा कर जीरो सीटें जीतने वाली कांग्रेस को यहां 22.51 फीसदी वोट मिले। जबकि अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी को 18.11 फीसदी वोट हासिल हुए हैं। यानि कि यदि लोकसभा चुनावों के लिए कांग्रेस और आप समझौता कर भी लेती तो दोनों मिलकर भाजपा के विजय रथ को न रोक पाते।