नई दिल्ली। राजनीतिक दलों ने 2019 के लोकसभा चुनावों की तैयारियां शुरू कर दी हैं और साथ में 2014 के नतीजों का आकलन भी शुरू किया है। 2014 के लोकसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी को सपष्ट बहुमत मिला था और पार्टी अकेले अपने दम पर सरकार बनाने की स्थिति में पहुंची थी, ऐसे में पार्टी 2019 के लोकसभा चुनावों में भी वैसा ही प्रदर्शन करने का दावा कर रही है।
2014 के लोकसभा चुनावों में 6 राज्य ऐसे थे जो भारतीय जनता पार्टी के लिए सबसे ज्यादा ताकत लेकर आए थे, 6 राज्यों में भाजपा ने अपने विरोधियों को टिकने तक का मौका नहीं दिया था और 91 लोकसभा सीटों में से 89 सीटें जीतने में कामयाब हुई थी। 6 राज्यों में भाजपा को 50 प्रतिशत से ज्यादा वोट मिले थे, एक राज्य गुजरात तो ऐसा था जहां पर भाजपा को 60% से ज्यादा वोट मिले थे, इन 6 राज्य यानि गुजरात, उत्तराखंड, राजस्थान, मध्य प्रदेश, गोवा और हिमाचल प्रदेश में से मध्य प्रदेश को छोड़ बाकी सभी राज्यों में BJP ने अपने विरोधियों को 1 भी सीट नहीं जीतने दी थी। मध्य प्रदेश में भी 29 सीटों में से 27 सीटें जीती थीं।
इन 6 राज्यों के अलावा कुछ राज्य और केंद्र शासित प्रदेश ऐसे भी हैं जहां पर BJP का मत प्रतिशत विरोधियों से कहीं ज्यादा। ऐसे राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में अरुणाचल प्रदेश, दिल्ली, दादर नगर हवेली और दमन तथा दीव रहे।
हालांकि 2014 में अकेले अपने दम पर सरकार बनाने लायक बनी भाजपा के लिए कुछ राज्य ऐसे भी रहे जहां उसकी कमजोरी खुलकर सामने आई, 6 राज्य ऐसे रहे जहां भाजपा को 10 प्रतिशत भी वोट नहीं मिल पाया। ये 6 राज्यों हैं सिक्किम, तमिलनाडु, त्रिपुरा, पंजाब, आंध्र प्रदेश और मेघालय। इन 6 राज्यों में कुल मिलाकर 82 लोकसभा सीटें हैं और भाजपा को सिर्फ 6 ही सीट मिल पायी थीं। तमिलनाडू, पंजाब और आंध्र प्रदेश को छोड़ दें तो त्रिपुरा, मेघालय और सिक्किम में BJP को कोई भी सीट नहीं मिली थी।
इन 6 राज्यों के अलावा कई बड़े राज्य ऐसे भी रहे जहां भाजपा को 10 प्रतिशत से ज्यादा वोट तो मिले लेकिन सीटें कम रह गई थीं। केरल, पश्चिम बंगाल और मणिपुर ऐसे राज्य थे जहां पर भाजपा को बहुत कम सीटें मिली थीं।
अब 2014 में भाजपा की ताकत वाले राज्यों को देखें तो उनमें मध्य प्रदेश और राजस्थान में भाजपा की सरकार नहीं है, ऐसे में 2014 जैसी स्थिति को दोहराने के लिए इन राज्यों में भाजपा को कड़ी मेहनत करनी पड़ सकती है। साथ में अगर विपक्ष भाजपा को हराना चाहता है तो उसे भी भाजपा की ताकत वाले राज्यों में उससे लोहा लेना पड़ेगा और साथ में अपनी ताकत वाले राज्य भी बचाने पड़ेंगे।