पटना: इस लोकसभा चुनाव में सात चरणों में हो रहे चुनाव में छठे चरण के तहत 12 मई को बिहार की आठ लोकसभा सीटों पर मतदाता अपने मताधिकार का उपयोग करेंगे। लोकसभा चुनाव 2014 में इन सभी आठ सीटों पर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के प्रत्याशी चुनाव जीतकर लेाकसभा पहुंचे थे। इस चुनाव में राजग के लिए इन सीटों में अपने कब्जे में रखने की चुनौती है।
पिछले चुनाव की तुलना में इस चुनाव में बिहार का सियासी परिदृश्य बदला है। पिछले चुनाव में राष्ट्रीय लोकसमता पार्टी (रालोसपा) राजग के साथ थी, जबकि इस चुनाव में रालोसपा विपक्षी महागठबंधन के साथ है। इस चुनाव में राजग के साथ जद (यू) है, जो पिछले चुनाव में अकेले चुनाव मैदान में उतरी थी।
बिहार के जिन आठ सीटों वाल्मीकिनगर, पूर्वी चंपारण, पश्चिम चंपारण, शिवहर, वैशाली, सीवान, गोपालगंज और महाराजगंज में रविवार को मतदान होना है, उन सभी सीटों पर पिछले चुनाव में नरेंद्र मोदी की आंधी में राजग ने कब्जा जमाया था। पिछले चुनाव में वैशाली लोकसभा क्षेत्र से लोजपा के प्रत्याशी विजयी हुए थे, जबकि शेष सभी सात सीटों पर भाजपा के उम्मीदवार जीत दर्ज किए थे।
इस चुनाव में इन आठ सीटों में से राजग के आठ में से चार वर्तमान सांसदों के टिकट कट गए हैं। जद (यू) को गठबंधन में आने के कारण भाजपा के कब्जे वाली तीन सीटें जद (यू) के हिस्से चली गई, जबकि लोजपा ने वैशाली सीट से रामकिशोर सिंह को टिकट काट वीणा देवी को चुनाव मैदान में उतारा है। माना जा रहा है कि न इन सभी आठ सीटों पर राजग और महागठबंधन के बीच सीधा मुकाबला है।
राजनीति में गहरी रुचि रखने वाले मुजफ्फरपुर स्थित लंगट सिंह कॉलेज के प्रोफेसर ललित सिंह कहते हैं कि बिहार में इन सभी सीटों पर जातीय आधार पर मतदान होना तय है, लेकिन मोदी फैक्टर भी मतदाताओं को अपनी ओर आकर्षित कर रहा है। उनका कहना है कि इस चरण में कुछ सीटों पर प्रत्याशियों की संख्या में वृद्धि से दोनों गठबंधन को नुकसान उठाना पड़ सकता है।
उनका कहना है कि दोनों गठबंधन में शामिल दल अगर अपने वोट बैंक को अन्य सहयोगी दलों के प्रत्याशी के लिए शिफ्ट कराने में सफल रहे तो कुछ सीटों पर उलटफेर से इनकार नहीं किया जा सकता।
इस चरण में पूर्वी चंपारण लोकसभा क्षेत्र में केंद्रीय मंत्री और राजग के प्रत्याशी भाजपा नेता राधामोहन सिंह का मुख्य मुकाबला रालोसपा के प्रत्याशी आकाश सिंह से है, जबकि गोपालगंज में जद (यू) के डॉ़ आलोक कुमार सुमन का राजद के सुरेंद्र राम से सीधी लड़ाई मानी जा रही है।
वैशाली में राजद के वरिष्ठ नेता रघुवंश प्रसाद सिंह के सामने लोजपा की उम्मीदवार वीणा देवी ताल ठोंक रही है तो सीवान से दो महिलाएं एक दूसरे के आमने-सामने हैं। यहां से जद (यू) की कविता सिंह पूर्व सांसद मोहम्मद शहाबुद्दीन की पत्नी और राजद प्रत्याशी हिना शहाब को कड़ी टक्कर दे रही हैं।
महाराजगंज से निवर्तमान सांसद भाजपा के नेता जनार्दन सिंह सिग्रीवाल एक बार फिर से चुनावी मैदान में हैं, जहां उनका मुख्य मुकाबला राजद के रणधीर सिंह से है। वाल्मीकिनगर में जद (यू) के वैद्यनाथ महतो और कांग्रेस के शाश्वत केदार के बीच कड़ा मुकाबला है, जबकि पश्चिमी चंपारण से भाजपा के संजय जायसवाल और रालोसपा के ब्रजेश कुशवाहा चुनावी मैदान में हैं। शिवहर में भाजपा प्रत्याशी रमा देवी और राजद के फैसल अली की आमने-सामने की लड़ाई है।
इस चुनाव में राजग में जहां भाजपा, लोजपा और जद (यू) शामिल हैं, वहीं महागठबंधन में राजद, कांग्रेस, रालोसपा के अलावे कई अन्य छोटे दल शामिल हैं।
मुजफ्फरपुर के वरिष्ठ पत्रकार और राजनीति के जानकार रवींद्र कुमार सिंह कहते हैं कि इस चुनाव में सहनी और कुशवाहा वर्ग का वोट राजग से बिदका नजर आ रहा है। हालांकि 'मोदी फैक्टर' और नीतीश कुमार का महिला मतदाताओं में पकड़ इसकी पूर्ति करता नजर आ रहा है।
उनका मानना है, "इस चुनाव में भूमिहार समाज के लोग भी राजग से नाराज हैं। क भूमिहार वर्ग का वोट महागठबंधन के साथ तो नहीं जाएगा, लेकिन नोटा की ओर बढ़ सकता है।"
सिंह कहते हैं कि छठा चरण का चुनाव राजग के लिए नहीं, बल्कि भाजपा के लिए 'अग्निपरीक्षा' है। सिंह भी मानते हैं कि दोनों गठबंधन के बीच इस चरण में मुकाबला बराबर का है।
बहरहाल, राजग और महागठबंधन के प्रत्याशी से लेकर स्टार प्रचारक मतदाताओं को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए जी-तोड़ मेहनत कर रहे हैं।
राजग जहां इस चरण में अपनी सीट बचाने की लड़ाई लड़ रहा है, वहीं महागठबंधन इन सीटों में से कुछ सीट हथियाने में जुटा हुआ है, लेकिन कौन कितना सफल होता है, इसका पता तो 23 मई के चुनाव परिणाम आने के बाद ही चलेगा।