नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश की आंवला लोकसभा सीट पर फिलहाल पिछले दो चुनावों से तो BJP का कब्जा है। लेकिन, लोकसभा चुनाव 2019 की राह में कांटे ही कांटे हैं और इन कांटों की वजह है SP-BSP महागठबंधन। महागठबंधन ने BJP के कब्जे वाली इस लोकसभा सीट का पूरा समीकरण ही बदल दिया है। 2014 लोकसभा चुनावों के आंकड़े कहते हैं आंवला लोकसभा सीट पर जो पहले कभी नहीं हुआ वो हो सकता है। यहां से BSP को लोकसभा चुनाव में अभी तक जीत नहीं मिली थी लेकिन इस बार BSP की उम्मीदवार रुचि वीरा मजबूत स्थिति में नजर आ रही हैं, कैसे? नीचे पढ़िए-
SP-BSP महागठबंधन का पाला भारी!
2014 लोकसभा चुनावों के आंकड़ों के मुताबिक, BJP के धर्मेंद्र कुमार को 4,09,907 वोट मिले थे। इस चुनाव में दूसरे नंबर के उम्मीदवार रहे थे समाजवादी पार्टी के कुंवर सर्वराज सिंह (अब वो कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार हैं) और तीसरे नंबर पर थीं बहुजन समाजपार्टी की सुनीता शाक्य। कुंवर सर्वराज सिंह को तब कुल 2,71,478 वोट मिले और सुनीता शाक्य को कुल 1,90,200 वोट मिले थे।
क्योंकि, SP और BSP अब साथ चुनाव लड़ रही हैं तो ऐसे में अगर SP के कुंवर सर्वराज सिंह और BSP की सुनीता शाक्य के कुल वोटों को जोड़ दिया जाए तो वो धर्मेंद्र कुमार को मिले वोटों से करीब 50,000 ज्यादा हो जाते हैं।
कुंवर सर्वराज सिंह के कुल वोट 2,71,478
+
सुनीता शाक्य के कुल वोट 1,90,200
=
4,61,678 > धर्मेंद्र कुमार के कुल वोट 4,09,907
ऐसे में समाजवादी पार्टी के समर्थन से BSP उम्मीदवार रुचि वीरा मजबूत स्थिति में उभरकर सामने आई हैं और लोकसभा चुनावों में जीत का बिगुज बजाने का दावा कर रही हैं। हालांकि, 2014 के मुकाबले साजनीतिक समीकरण सिर्फ महागठबंधन के लिहाज से ही नहीं बदले हैं बल्कि नेताओं के एक पार्टी से दूसरी पार्टी में जाने से भी समीकरणों में बदलाव आए हैं।
नेताओं की अदला-बदली
क्योंकि, जिन कुंवर सर्वराज सिंह ने 2014 का चुनाव समाजवादी पार्टी के टिकट पर लड़ा था वो इस बार कांग्रेस के टिकट पर चुनावी मैदान में उतरे हैं। लेकिन, 2014 के आंकड़े बता रहे हैं कि उनकी राह कांग्रेस के साथ आने भर से ही मुश्किलों से भर गई है। क्योंकि, 2014 में कांग्रेस के उम्मीदवार सलीम इकबाल शेरवानी को सिर्फ 93,861 वोट ही मिले थे। जबकि, जाति फैक्टर के लिहाज से भी उन्हें उस वक्त भायदा मिला था। क्योंकि, इस सीट पर करीब 35 फीसदी मुस्लिम मतदाता हैं।
अगर ऐसी ही स्थिति इस बार भी बरकरार रही तो समाजवादी पार्टी से कांग्रेस में आए और उम्मीदवार बने कुंवर सर्वराज सिंह के लिए खुद के दम पर चुनाव लड़ने जैसे हालात हो जाएंगे। और, हिंदी की एक मशहूर कहावत है कि ‘अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता।’ तो अब आप क्या कहिएगा? फिलहाल तो ये आंकड़ें यही कह रही हैं कि संभावनाओं में BSP की उम्मीदवार रुचि वीरा ही आगे निकलती दिखाई दे रही हैं। हालांकि, पहले रुचि वीरा भी समाजवादी पार्टी में थीं।
2014 का वोट परसेंटेज क्या कहता है?
2014 के चुनावों के वक्त आंवला लोकसभा सीट पर कुल 16,53,577 वोटर थे, जिसमें से 9,94,700 ने EVM के जरिए वोट किया था और 1,514 पोस्टल बैलेट या अन्य सर्विसेज के लिए वोट किया था। इस तरीके से कुल 9,96,214 वोट पड़े, ये सभी वोटों का कुल 60.22 फीसदी है। इस 60 फीसदी में से कुल 41.14 फीसदी वोट BJP को और SP-BSP को मिलाकर 46.34 फीसदी वोट मिले थे। हालांकि, अब नेताओं की अदला-बदली भी हुई है तो जाहिर है कि आकड़ों में भी अदला-बदली होने की पूरी गुंजाइश है।