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कर्नाटक एग्जिट पोल में किसी को बहुमत नहीं, तो क्या गोवा, मणिपुर और मेघालय की तरह यहां भी बनेगी भाजपा सरकार?

कर्नाटक विधानसभा के लिए किए एक्ज़िट पोल में कोई भी दल बहुमत की तरफ बढ़ता नहीं दिख रहा है हालंकि इंडिया टीवी- वीएमआर के एक्ज़िट पोल के मुताबिक़ सत्तारुढ़ कांग्रेस 90 से 103 सीटों की रेंज में है जबकि बीजेपी 80 से 93 की रेंज में दिख रही है.

Written by: India TV News Desk
Updated on: May 12, 2018 22:53 IST
Rahul Gandhi, Modi- India TV Hindi
Rahul Gandhi, Modi

नयी दिल्ली: कर्नाटक विधानसभा के लिए किए एक्ज़िट पोल में कोई भी दल बहुमत की तरफ बढ़ता नहीं दिख रहा है हालंकि इंडिया टीवी- वीएमआर के एक्ज़िट पोल के मुताबिक़ सत्तारुढ़ कांग्रेस 90 से 103 सीटों की रेंज में है जबकि बीजेपी 80 से 93 की रेंज में दिख रही है. वहीं जनता दल (एस)-बीएसपी गठबंधन को 31 से 39 सीटें मिलने का अनुमान है. .

वहीं दूसरी तरफ सभी पोल का औसत देखें तो राज्य में कांग्रेस को 96, बीजेपी को 87 और जनता दल (एस)-बीएसपी गठबंधन को 36 सीटें मिलने का अनुमान है. ऐसे में सबसे बड़ा सवाल है कि कर्नाटक में सरकार किसकी बनेगी और कैसे बनेगी? सत्तारुढ़ कांग्रेस बहुमत के जादुई आंकड़े से 15 से 20 सीटें दूर दिख रही है. वहीं बीजेपी दूसरी बड़ी पार्टी तो बन रही है लेकिन बिना जनता दल (एस)-बीएसपी गठबंन के समर्थन के सरकार नहीं बना सकती. अब दिलचस्प बात ये है कि जद (एस)-बीएसपी गठबंधन 25 से 30 सीट जीतते दिख रहा है और सरकार किसकी होगी ये फ़ैसला उसके हाथ में होगा. राज्य में किसकी सरकार बनेगी और कौन किससे गठबंधन कर सकता है, ऐसी तीन संभावनाओं पर विचार करते हैं.

पहला समीकरण: कांग्रेस और जद(एस)-बीएसपी गठबंधन की सरकार

एक-दो को छोड़ दें तो ज़्यादातर एक्ज़िट पोल में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी के रुप में तो उभर रही है लेकिन जादुई आंकड़े से फ़ासले पर है यानी 112 सीटों से कुछ सीटें पीछे चल रही है. जनता दल (एस)-बीएसपी गठबंधन तीसरी सबसे बड़ी ताक़त बनकर उभर रहा है. एचडी देवगोड़ा को मुसलमानों के काफ़ी वोट मिलते हैं और ऐसे में ज़ाहिर है वह बीजेपी के साथ खड़ा होकर अपनी ताक़त को कम नहीं करना चाहेंगे क्योंकि उन्हें 2019 में फिर इन मतदाताओं के पास जाना है. इसके अलावा मायावती की बहुजन समाजवादी पार्टी ने हाल ही में उत्तर प्रदेश में दो लेकसभा सीटों के लिए हुए उप-चुनाव में बीजेपी के ख़िलाफ़ समाजवादी पार्टी के साथ तालमेल कर दोनों सीटें पर बीजेपी को शिकस्त दी थी. ज़ाहिर है मायावाती बीजेपी को समर्थन देकर यूपी में बन रहे समीकरण को बिगाड़ना नहीं चाहेगी. जद(एस)-बीएसपी गठबंधन के समर्थन के एवज में कांग्रेस 2019 लोकसभा चुनाव में जद(एस) और बीएसपी के साथ सीटों का तालमेल कर सकती है. 

दूसरा समीकरण: बीजेपी जद(एस)-बीएसपी गठबंधन को बाहर से समर्थन

एक्ज़िट पोल के औसत में बीजेपी 90 के आसपास सीटें निकालती दिख रही है. कर्नाटक में हार उसके लिए आगामी लोकसभा चुनाव के लिए शुभ संकेत नहीं माना जा सकता. पीएस मोदी ने यहां जमकर चुनाव प्रचार किया था और तब भी सत्तारुढ़ कांग्रेस को उखाड़ फ़ेकने में नाकाम रहने से लोगों के बीच एक नकारात्मक संदेश जाएगा. ऐसे में बीजेपी जनता दल (एस)-बीएसपी गठबंधन को बाहर से समर्थन देकर उसकी सरकार बनवा सकती है. लेकिन बीएसपी इस पर राज़ी होगी ये देखने वाली बात होगी क्योंकि इस गठबंधन में जनता दल (एस) और बीएसपी को कितनी-कितनी सीटें मिल रही हैं, ये अभी स्पष्ट नही है.

तीसरा समीकरण: कांग्रेस की चंद कम सीटों की भरपाई के लिए बीएसपी का आगे आना

बहुजन समाज पार्टी को अगर गठबंधन को मिलने वाली 25-30 सीटों में से 8-10 सीटें मिलती हैं तो ऐसी स्थिति में वो बीजेपी को समर्थन न देकर गठबंधन से अलग होकर कांग्रेस को समर्थन दे सकती है और उसकी सरकार में भागीदारी भी कर सकती है. यहां कांग्रेस को बड़ा दिल दिखाना होगा. अगर ये गठबंधन होता है तो बीएसपी विधानसभा में कांग्रेस की सरकार बनाने की क़ीमत लोकसभा चुनाव 2019 में वसूल सकती है और कुछ सीटों पर अपना दावा ठोक सकती है.

लेकिन क्या कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी के रुप में उभरने के बाद भी सरकार बनाने से चूक जाएगी?

हाल ही में कुछ राज्यों में हुए चुनाव के नतीजों को देखें तो कांग्रेस के लिए कहा जा सकता है कि ''हाथ को आया लेकिन मुंह को नही लगा.''  गोवा में 2017 में विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 17 सीटें मिली थीं और सरकार बनाने के लिए सिर्फ़ 4 सीटों की ज़रुरत थी लेकिन 13 सीटों के बावजूद बीजेपी ने एमजीपी और अन्य दलों के साथ मिलकर सरकार बना ली थी. इसी तरह 40 सदस्यीय मणिपुर विधानसभा में कांग्रेस को 28 सीटें मिली थीं जबकि बीजेपी को 21 मिली थीं लेकिन सके बावजूद बीजेपी ने एनपीपी आदि दलों के साथ मिलकर सरकार बना ली. मेघालय मे तो बीजेपी ने 2 सीटें जीतकर ही सरकार बना ली जबकि 60 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस को 20 सीटें मिली थीं. यहां बीजेपी ने एनपीपी के नेतृत्व में 6 दलों के साथ मिलकर सरकार बना ली. 

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