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कौन हैं रघुवर की नैया 'सरयू' में डुबाने वाले 'राय'?

सरयू राय ने मंत्री पद से इस्तीफा देकर रघुवर दास के खिलाफ चुनाव लड़ने का ऐलान किया था। उनका कहना था कि टिकट काटने के पीछे रघुवर दास ही हैं...

Reported by: IANS
Published on: December 23, 2019 19:01 IST
Independent candidate Saryu Roy- India TV Hindi
Independent candidate Saryu Roy

नई दिल्ली: भ्रष्टाचार के खिलाफ हमेशा आवाज बुलंद करने वाले और तीन मुख्यमंत्रियों लालू प्रसाद, जगन्नाथ मिश्र और मधु कोड़ा को जेल की सलाखों के पीछे भिजवाने में अहम भूमिका निभाने वाले सरयू राय आखिर किस बात को लेकर झारखंड के मुख्यमंत्री रघुवर दास से भिड़ गए और क्यों उन्होंने मंत्री पद के साथ ही भाजपा छोड़ दी। सरयू राय ने चुनाव प्रचार के दौरान मीडिया से कहा था कि अगर उन्हें पहले ही बता दिया जाता कि पार्टी उन्हें विधानसभा चुनाव में टिकट नहीं देगी तो वह शांत बैठ जाते, लेकिन पार्टी ने कहा कि टिकट दिया जाएगा और पहली, दूसरी, तीसरी और चौथी लिस्ट निकल गई मगर उनका नाम नहीं था। इससे उन्हें लगा कि उन्हें अपमानित किया जा रहा है और टिकट नहीं मिलेगा। इसके बाद उन्होंने मंत्री पद से इस्तीफा देकर रघुवर दास के खिलाफ चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया। उनका कहना है कि टिकट काटने के पीछे रघुवर दास ही हैं।

मुख्यमंत्री से अनबन की बात पर उन्होंने कहा था कि 2005 में वह नगर विकास मंत्री थे। तब "नगर विकास में रांची के सीवरेज के काम के लिए सिंगापुर की एक कंपनी मेनहार्ट की नियुक्ति की गई। मामला विधानसभा की मेरी समिति के सामने आया, जिसकी मैंने जांच की और कहा कि यह नियुक्ति गलत है। अब तो पांच अभियंता समूह के पैनल ने रिपोर्ट दी कि मेनहार्ट की गलत नियुक्ति हुई है। विजिलेंस की तकनीकी सेल ने भी कह दिया कि नियुक्ति गलत थी। टेंडर प्रक्रिया भी गलत हुई। कायदे से तो कार्रवाई होनी चाहिए थी।"

मीडिया ने जब पूछा कि क्या रघुवर दास चौथे मुख्यमंत्री होंगे जिन्हें वे जेल भिजवाएंगे? इस पर उन्होंने कहा था, "खनन विभाग के मसले पर मैं मुख्यमंत्री जी से कह चुका हूं कि यह रास्ता मधु कोड़ा का रास्ता है और इस पर चलने वाला वहीं पहुंचता है जहां मधु कोड़ा गए थे। मैं नहीं चाहता कि चौथा मुख्यमंत्री मेरे हाथ से जेल जाए। क्योंकि मुझे बहुत तकलीफ होती है जब मैं लालू जी की हालत देखता हूं, मधु कोड़ा की हालत देखता हूं। लालू जी हमारे मित्र रहे हैं। मधु कोड़ा हमारे अच्छे राजनीतिक कार्यकर्ता रहे हैं। इसलिए मैं बार-बार कहता हूं कि उस रास्ते पर मत चलिए।"

भारतीय राजनीति में सबसे चर्चित घोटालों में से एक पशुपालन घोटाले को उजागर करने वाले नेता का नाम सरयू राय है। उन्होंने 1994 में पशुपालन घोटाले का भंडाफोड़ किया था। घोटाले के दोषियों को सजा दिलाने के लिए उन्होंने हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक संघर्ष किया। इस मामले में राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव समेत कई नेताओं और अफसरों को जेल जाना पड़ा।

भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की बात करने वाली भाजपा से आखिर कहां चूक हो गई कि रघुवर दास की नैया 'सरयू' में डूब गई। भ्रष्टाचार खत्म करने के लिए हमेशा झंडा बुलंद करने वाले सरयू राय ने ही बिहार में अलकतरा घोटाले का भंडाफोड़ किया था। झारखंड के खनन घोटाले को उजागर करने में भी राय की महत्वपूर्ण भूमिका रही। सरयू राय ने 1980 में किसानों को दिए जाने वाले घटिया खाद, बीज, तथा नकली कीटनाशकों का वितरण करने वाली सहकारिता संस्थाओं के खिलाफ आवाज उठाई थी।

भाजपा के बागी नेता सरयू राय झारखंड में कैबिनेट मंत्री रहे हैं। जमशेदपुर पूर्व सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर मुख्यमंत्री रघुवर दास को पराजित कर जीत दर्ज की है। सरयू राय के ट्वीटर हैंडल पर कवर फोटो में लिखा है- 'अहंकार के खिलाफ चोट, जमशेदपुर करेगा वोट'। तो क्या अहंकार ने रघुवर दास की नैया डुबोई? इससे पहले जमशेदपुर पूर्वी से रघुवर दास लगातार पांच बार विधानसभा चुनाव जीत चुके हैं। 2014 में रघुवर दास ने कांग्रेस के आनंद बिहारी दुबे को लगभग 70 हजार वोटों से हराया था लेकिन इस बार वह अपने पुराने सहयोगी से मात खा गए।

उन्होंने जमशेदपुर पश्चिम सीट से 2014 के चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार बन्ना गुप्ता को 10,517 वोटों के अंतर से हराया था। जुझारू सामाजिक कार्यकर्ता और नैतिक मूल्यों की राजनीति करने वाले सरयू राय ने अविभाजित बिहार में अपने जीवन का काफी लंबा हिस्सा व्यतीत किया और झारखंड अलग राज्य बनने के बाद उन्होंने इसे कर्मभूमि बना लिया।

सरयू राय लंबे समय से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े हैं। 1962 में वह अपने गांव में संघ की शाखा में मुख्य शिक्षक थे। चार साल बाद वह जिला प्रचारक बनाए गए। संघ ने उन्हें 1977 में राजनीति में भेजा। फिर कुछ सालों तक राजनीति से अलग रहे। जेपी विचार मंच बनाकर किसानों के बीच काम किया। बाद में जब 1992 में बाबरी मस्जिद का विध्वंस हुआ, उसके बाद भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी के कहने पर भाजपा में आए। यहां उन्हें प्रवक्ता व पदाधिकारी बनाया गया, फिर एमएलसी, विधायक, मंत्री तक तक की जिम्मेदारी उन्होंने संभाली।

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