रांची: झारखंड विधानसभा चुनाव के पांचों चरणों का मतदान हो चुका है, सबकी नजर अब 23 दिसंबर को होने वाली मतगणना और आने वाले चुनाव परिणाम पर है। चुनाव परिणाम को लेकर भाजपा जहां अभी भी 'अबकी बार 65 पार' के अपने नारे पर कायम है और फिर से सत्ता पर काबिज होने का दावा कर रही है, वहीं राजद, कांग्रेस और झामुमो के नेता सरकार बदलने और गठबंधन के सत्ता में आने की बात कर रहे हैं। वैसे, भाजपा के लिए ये चुनाव परिणाम न केवल सत्ता में वापसी तय करेंगे, बल्कि पार्टी सांसदों के रिपोर्ट कॉर्ड भी इसी परिणाम से तय होने वाले हैं।
भाजपा के एक नेता ने बताया कि पार्टी ने इस चुनाव में अच्छे परिणाम के लिए अपने सभी सांसदों को चुनाव प्रचार में लगाया था और अपने-अपने क्षेत्रों में पार्टी के पक्ष में वोट प्रतिशत बढ़ाने की जिम्मेदारी दी थी। सूत्रों की मानें तो सांसदों का रिपोर्ट कॉर्ड भी वोट प्रतिशत ही तय करेगा।
भाजपा के एक नेता ने नाम जाहिर न करने की शर्त पर बताया कि पार्टी ने इससे पहले लोकसभा चुनाव में भी विधायकों को अपने-अपने क्षेत्र में वोट प्रतिशत बढ़ाने की जिम्मेदारी दी थी, और उसका लाभ भी पार्टी को मिला था। विधानसभा चुनाव में भी भाजपा ने इसी फॉर्मूले को लागू करने का प्रयास किया है।
कहा तो यह भी जा रहा है कि लोकसभा चुनाव के परिणाम को देखते हुए उसी पैमाने को लेकर इस विधानसभा में कई विधायकों के टिकट काटे भी गए और टिकट दिए भी गए। भाजपा नीत गठबंधन ने इस साल हुए लोकसभा चुनाव में राज्य की 14 में से 12 सीटों पर जीत दर्ज की थी।
पार्टी के रणनीतिकारों ने लोकसभा चुनाव में सफल रहे फॉर्मूले को विधानसभा चुनाव में भी लागू किया, यानी इस चुनाव में सांसदों को पार्टी के लिए वोट प्रतिशत बढ़ाने की जिम्मेदारी दी गई थी। पार्टी सूत्रों के मुताबिक, पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह, कार्यकारी अध्यक्ष ज़े पी़ नड्डा समेत अन्य शीर्ष नेतृत्व ने 65 पार का लक्ष्य हासिल करने में सांसदों को महती भूमिका निभाने का निर्देश दिया था।
सांसदों से कहा गया था कि वे अपने क्षेत्र में ज्यादा से ज्यादा समय बिताएं, प्रत्याशी के साथ छोटी-छोटी सभाओं में भी जाएं। सूत्रों का कहना है कि यह परिणाम पार्टी सांसदों के पार्टी में कद और प्रतिष्ठा को बढ़ाएगा और घटाएगा। पार्टी के कई सांसदों को चरणवार मतदान के लिए स्टार प्रचारकों की सूची में भी रखा गया था।
वैसे, एक्जिट पोल में बताई गई संभावनाओं को अगर हकीकत मान लिया जाए तो भाजपा के लिए सत्ता में वापसी आसान नहीं दिख रही है। ऐसे में जिन सांसदों के क्षेत्रों से विधायकों या प्रत्याशियों के वोट प्रतिशत में कमी आएगी, उन पर गाज गिरना तय माना जा रहा है या वैसे सांसदों को नसीहतों का पाठ भी पढ़ाया जा सकता है।
बहरहाल, अब तो लोगों को 23 दिसंबर का इंतजार है, जब झारखंड की सभी 81 विधानसभा सीटों के परिणाम घोषित किए जाएंगे।