नई दिल्ली: महाराष्ट्र और हरियाणा चुनावों के नतीजे आ चुके हैं। दोनों ही राज्यों में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनके ज़रूर उभरी है लेकिन नतीजे वैसे नहीं हैं जैसे पार्टी के रणनीतिकार दावा कर रहे थे। महाराष्ट्र से लेकर हरियणा तक हर जगह सरकार बनाने का पेंच फंसा हुआ है। महाराष्ट्र में शिवसेना शनिवार को बैठक करने वाली है तो हरियाणा की तस्वीर आज साफ हो सकती है। वहीं, बीजेपी चीफ अमित शाह से मिलने के लिए हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर दिल्ली के लिए रवाना हो चुके हैं।
हरियाणा के निर्दलीय विधायक आज दिल्ली में बड़ा ऐलान कर सकते हैं। एक निर्दलीय विधायक रणजीत चौटाला ने बीजेपी के हरियाणा प्रभारी अनिल जैन से मिलकर बिना शर्त समर्थन की घोषणा की है। हरियाणा की रनिया विधायनसभा से जीतकर आए रंजीत चौटाला ने कल रात अनिल जैन से मुलाकात की और हरियाणा में बीजेपी सरकार के लिए समर्थन का ऐलान किया।
दरअसल हरियाणा की जनता इस बार तय नहीं कर पाई कि सत्ता किसको सौंपनी है और उसका नतीजा हुआ ये हुआ कि किसी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला जिसका नतीजा ये हुआ कि गुरुवार की शाम से ही विधायकों की दौड़ भाग शुरू हो गई। इस भागदौड़ में सबसे पहले निर्दलीय विधायकों को प्लेन में बैठकर दिल्ली लाया गया। आधी रात को सिरसा की सांसद सुनीता दुग्गल हरियाणा लोकहित पार्टी के विधायक गोपाल कांडा और दूसरे निर्दलीय विधायक रणजीत सिंह चौटाला को साथ लेकर सीधे बीजेपी के वर्किग प्रेसिडेंट जेपी नड्डा के घर पर पहुंचे।
सुनीता दुग्गल शाम से ही सक्रिय हो गई थीं और निर्दलीय विधायकों को प्लेन से लेकर दिल्ली भी आ गईं। हालांकि उन्होंने समर्थन की शर्तों पर कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया। दुग्गल के साथ सभी निर्दलीय विधायक जेपी नड्डा के घर से सीधे केन्द्रीय गृहमंत्री और बीजेपी के अध्यक्ष अमित शाह के घर पहुंचे, वहां पर मैराथन बैठक का सिलसिला शुरू हुआ।
हरियाणा में जो 8 निर्दलीय विधायक जीते हैं, उनमें से पांच ऐसे हैं जो बीजेपी के कार्यकर्ता थे। पार्टी से टिकट नहीं मिलने की वजह से नाराज होकर निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर मैदान में थे। बीजेपी को उम्मीद है कि निर्दलीय विधायकों का समर्थन उसे मिल जाएगा। धर्मपाल गोंदर बीजेपी से बगावत करके नीलोखेड़ी विधानसभा सीट से लड़े और जीते, नयन पाल रावत भी बीजेपी से बगावत करके पृथला सीट से चुनाव जीत चुके हैं।
वहीं रणधीर सिंह गोलन ने बीजेपी से बगावत करके पुंडरी सीट से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की, बलराज कुंडू ने भी बीजेपी से बगावत की और महम सीट से जीत हासिल की। सोमबीर सांगवान ने भी टिकट न मिलने की वजह से बीजेपी से बगावत की और चरखी दादरी सीट पर जीत हासिल की। बीजेपी अपने पुराने साथियों के दम पर आश्वस्त दिख रही है। अगर पुराने साथी साथ आ जाते हैं तो हरियाणा में कमल के दोबारा खिलने में ज्यादा मुश्किलें नहीं आएंगी।
हरियणा में बीजेपी ने अपने दम पर 40 सीटें जीती हैं। हरियाणा लोकहित पार्टी के विधायक गोपाल कांडा बीजेपी को समर्थन दे रहे हैं। निर्दलीय विधायक रणजीत चौटाला भी समर्थन का ऐलान कर चुके हैं। इनके अलावा अब बीजेपी के पांच बागी भी साथ आ जाते हैं तो बीजेपी के पास 47 विधायकों का साथ हो जाएगा जो सरकार बनाने के लिए काफी है।
इसके साथ साथ ये संकेत भी मिल रहे हैं कि दुष्यंत चौटाला भी बीजेपी को समर्थन दे सकते हैं। इन सबके बीच ये भी तय हो गया है कि सरकान मनोहर लाल खट्टर के नेतृत्व में ही बनेगी। बीजेपी संसदीय बोर्ड पहले ही ये फैसला कर चुका है। खुद पीएम मोदी ने भी ये साफ कर दिया। हरियाणा में बीजेपी के लिए रास्ता भले ही आसान दिख रहा हो लेकिन जब तक नतीजा सामने नहीं आता तब तक खट्टर की दोबारा ताज़पोशी के लिए इंतज़ार करना होगा।