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हरियाणा में देवीलाल की विरासत के लिए जजपा और इनेलो के बीच जंग

हरियाणा में देवीलाल की विरासत हासिल करने की जंग में दुष्यंत चौटाला अपने चाचा से आगे निकल गए प्रतीत होते हैं। हरियाणा विधानसभा चुनाव में दुष्यंत के नेतृत्व वाली जननायक जनता पार्टी (जजपा) ने अभय चौटाला की इंडियन नेशनल लोक दल (इनेलो) को तीसरे स्थान पर पहुंचाया दिया है। 

Reported by: Bhasha
Published : October 17, 2019 17:59 IST
Dushyant Choutala
Dushyant Choutala File Photo

नयी दिल्ली: हरियाणा में देवीलाल की विरासत हासिल करने की जंग में दुष्यंत चौटाला अपने चाचा से आगे निकल गए प्रतीत होते हैं। हरियाणा विधानसभा चुनाव में दुष्यंत के नेतृत्व वाली जननायक जनता पार्टी (जजपा) ने अभय चौटाला की इंडियन नेशनल लोक दल (इनेलो) को तीसरे स्थान पर पहुंचाया दिया है। एक समय राज्य की राजनीति में प्रभुत्व रखने वाली इनेलो को हाशिये पर धकेलते हुए जजपा उसे कई सीटों पर अच्छी टक्कर दे रही है। पूर्व उप प्रधानमंत्री देवीलाल द्वारा स्थापित इनेलो के प्रभाव वाली हर सीट पर जजपा उनकी विरासत की उत्तराधिकारी साबित हो रही है। जजपा को मतदाताओं का समर्थन भी मिलता दिख रहा है। 

चौटाला परिवार में आई दरार के बाद इनेलो से अलग होकर हिसार के पूर्व सांसद दुष्यंत चौटाला ने अपनी पार्टी- जननायक जनता पार्टी, बना ली थी। दुष्यंत खुद को देवीलाल के सच्चे उत्तराधिकारी के तौर पर पेश करते हुए अपने भाषणों में उनके नाम और राजनीति का उल्लेख करते हैं लेकिन अपने दादा ओम प्रकाश चौटाला का नाम नहीं लेते जिन्होंने विरासत की जंग में अभय का साथ दिया था। विरासत को आगे ले जाने के प्रयास में दुष्यंत जींद जिले के ऊँचा कलां से चुनाव लड़ रहे हैं जहाँ उनका सीधा मुकाबला पूर्व केंद्रीय मंत्री और राज्य सभा सदस्य बीरेंदर सिंह की पत्नी और भाजपा की वर्तमान विधायक प्रेम लता से है। 

दुष्यंत के दादा ओम प्रकाश चौटाला ने 2009 में बीरेंदर सिंह को उसी सीट पर हराया था। हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव में हरियाणा की सभी 10 सीटों पर भाजपा की जीत हुई थी। लोकसभा चुनाव में जजपा और इनेलो दोनों ने प्रभावशाली प्रदर्शन नहीं किया था लेकिन इनेलो से निकली जजपा का प्रदर्शन इनेलो से बेहतर था। राज्य की राजनीति पर नजर रखने वालों के अनुसार जजपा, इनेलो के नए संस्करण के तौर पर उभरी है। भारतीय राजनीति में चाचा भतीजों में मतभेद की घटनाएं पहले भी होती रही हैं। भतीजों ने चाचा की परछाईं से बाहर निकलने की कोशिश की है लेकिन किसी प्रकार की छाप छोड़ने में असफल रहे हैं। यह राज ठाकरे के मामले में हो चुका है जिन्होंने शिवसेना छोड़ कर महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना बनाई थी और मनप्रीत बादल ने शिरोमणि अकाली दल से निकलकर पीपल पार्टी ऑफ पंजाब बनाई थी।

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