नई दिल्ली: चांदनी चौक संसदीय क्षेत्र की तीनों सीटों चांदनी चौक, बल्लीमारान और मटिया महल (जामा मस्जिद) पर आम आदमी पार्टी का परचम लहरा गया है। इन तीनों ही सीटों से कांग्रेस व भाजपा ने अपने दिग्गज नेताओं को मैदान में उतारा था। जहां कांग्रेस के लिए इन सीटों पर जमानत बचाना मुश्किल हो गया, वहीं भाजपा भी आम आदमी पार्टी को कोई टक्कर नहीं दे पाई। चांदनी चौक सीट से कांग्रेस प्रत्याशी अलका लांबा को अभी तक महज पौने पांच फीसदी वोट हासिल हुए हैं। वही आप ने उनपर बंपर पर बढ़त हासिल करते हुए 68 फीसदी वोट हासिल किए हैं। भाजपा यहां 26 प्रतिशत वोटों के साथ दूसरे नंबर पर है। हालांकि 26 फीसदी वोट हासिल करने के बावजूद भाजपा यहां आप का मुकाबला करने में पूरी तरह से विफल रही है।
चांदनी चौक विधानसभा से आप उम्मीदवार प्रह्लाद सिंह साहनी को अपराह्न् 2.30 बजे तक हुई गिनती के मुताबिक 30,178 वोट हासिल हुए हैं। कांग्रेस उम्मीदवार अलका लांबा को 2136 वोट मिले हैं। भाजपा के सुमन कुमार गुप्ता को 11,522 वोट हासिल हुए हैं। कांग्रेस पार्टी का प्रदर्शन यहां औसत से भी नीचे रहा है।
अलका लांबा ने पिछले विधानसभा चुनाव में आप के टिकट पर चांदनी चौक से रिकॉर्ड जीत हासिल की थी। तब उन्हें 36,000 से अधिक वोट हासिल हुए थे। उन्होंने भाजपा के सुमन कुमार गुप्ता को 16 हजार से अधिक वोटों से शिकस्त दी थी। हालांकि इस चुनाव में कांग्रेस का हाथ थामने के बाद अब अलका लांबा के लिए अपनी जमानत बचा पाना भी मुश्किल हो गया है। चुनावी रुझान सामने आने के बाद कांग्रेस उम्मीदवार अलका लांबा ने कहा, "जनता के फैसले को मैं स्वीकार करती हूं। लोगों ने आम आदमी पार्टी को चुना है और यह फैसला हम सबको स्वीकार है, लेकिन मेरी लड़ाई अभी आगे जारी रहेगी।"
कांग्रेस ने पिछले चुनाव में अलका लांबा की जबरदस्त जीत को देखते हुए उन्हें इस बार हाथ के निशान के साथ चुनाव में उतारा था। अलका से पहले प्रह्लाद सिंह साहनी कांग्रेस से विधानसभा चुनाव का टिकट मांग रहे थे। चांदनी चौक से कांग्रेस का टिकट न मिलने पर साहनी ने आम आदमी पार्टी के टिकट पर यह चुनाव लड़ा।
आम आदमी पार्टी की प्रवक्ता रहीं अलका को कांग्रेस ने मैदान में उतारा। वहीं तीन बार कांग्रेस के विधायक रहे प्रह्लाद सिंह साहनी पाला बदलकर आम आदमी पार्टी में शामिल हो गए। अलका के समर्थन में राहुल व प्रियंका गांधी ने पुरानी दिल्ली के हौज काजी चौक पर चुनावी सभा भी की, लेकिन इस चुनावी सभा का अलका लांबा को कोई लाभ नहीं मिल सका।