नई दिल्ली: दिल्ली के चांदनी चौक विधानसभा क्षेत्र से विधायक अलका लांबा ने आम आदमी पार्टी (आप) से इस्तीफा देने के बाद शुक्रवार शाम कहा कि उन्होंने कांग्रेस का दामन थाम लिया है। आप की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा देने के बाद लांबा ने कहा कि उन्होंने शाम में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से भेंट कर कांग्रेस का दामन थाम लिया। गांधी के आवास 10 जनपथ के बाहर लांबा ने कहा, ‘‘मैं छह साल कांग्रेस से दूर रही लेकिन हमेशा उसकी विचारधारा के साथ खड़ी रही। आज मैं कांग्रेस में लौट आयी हूं। कांग्रेस सदस्य के रूप में मैं पार्टी को मजबूत बनाने के लिए काम करुंगी।’’ हालांकि कांग्रेस ने अभी तक लांबा के पार्टी के शामिल होने की कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं की है।
लांबा ने शुक्रवार सुबह आप से इस्तीफा देने की घोषणा करते हुये ट्वीट किया था, ‘‘आप को अलविदा कहने और पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा देने का समय आ गया है। मेरे लिए पिछले छह साल का सफ़र बड़े सबक सिखाने वाला रहा। सभी का शुक्रिया।’’ इसके कुछ समय बाद ही लांबा ने आप नेतृत्व को ट्विटर पर ही अपने इस्तीफे की घोषणा कर इसे स्वीकार करने का कहा। उन्होंने कहा कि अब यह पार्टी ‘‘खास आदमी पार्टी’’ बन गई है। उन्होंने आप के प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज पर कटाक्ष किया, जिन्होंने कहा था कि लांबा अगर ट्विटर पर भी इस्तीफा देंगी तो इसे स्वीकार कर लिया जायेगा। उन्होंने ट्विटर पर कहा, ‘‘अरविंद केजरीवाल जी, आपके प्रवक्ताओं ने मुझे आपकी इच्छा के अनुसार, पूरे अहंकार के साथ कहा था कि पार्टी ट्विटर पर भी मेरा इस्तीफा स्वीकार करेगी। इसलिए कृपया ‘आम आदमी पार्टी’ की प्राथमिक सदस्यता से मेरा इस्तीफा स्वीकार करें, जो अब ‘खास आदमी पार्टी’ बन गई है।”
चांदनी चौक से आप विधायक लांबा ने पिछले महीने घोषणा की थी कि उन्होंने पार्टी छोड़ने और आगामी विधानसभा चुनाव निर्दलीय के रूप में लड़ने का मन बना लिया है। उल्लेखनीय है कि लांबा पिछले कुछ समय से आप नेतृत्व खासकर पार्टी के मुखिया और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की कार्यशैली से नाराज़ चल रही थीं। केजरीवाल पर पार्टी में मनमानी करने का आरोप लगते हुए उन्होंने कहा कि वह इसका सार्वजनिक तौर पर कई बार मुखर विरोध कर चुकी है। लांबा और आप के बीच पिछले कुछ समय से टकराव की स्थिति जो शुरू हुई, वह किसी न किसी रूप में चलती रही है। लोकसभा चुनाव में पार्टी की हार के बाद उन्होंने केजरीवाल से उनकी जवाबदेही का हवाला देते हुये कहा था कि पार्टी संयोजक होने के नाते उन्हें इसकी जिम्मेदारी लेनी चाहिए। इसके बाद लांबा को आप नेतृत्व ने पार्टी विधायकों के आधिकारिक व्हाट्सऐप ग्रुप से हटा दिया था।
उन्होंने लोकसभा चुनाव में पार्टी के लिए प्रचार करने से इनकार कर दिया था और उन्होंने केजरीवाल के रोडशो के दौरान मुख्यमंत्री की कार के पीछे चलने के लिए कहे जाने के बाद रोडशो में भाग नहीं लिया था। लांबा और आप के बीच सबसे पहले टकराव दिल्ली विधानसभा में उस समय उत्पन्न हुआ जब पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी से भारत रत्न सम्मान वापस लिए जाने संबंधी आप विधायकों के प्रस्ताव का उन्होंने विरोध किया। उन्होंने दिसंबर 2018 में ट्वीट किया था कि आप नेतृत्व ने उन्हें इस प्रस्ताव का समर्थन करने को कहा। उन्होंने ऐसा करने से इनकार कर दिया। लांबा ने कहा था कि वह इसके लिए किसी भी सजा का सामना करने के लिए तैयार हैं। उन्होंने अपना राजनीतिक सफर कांग्रेस से शुरू किया था। आप में शामिल होने से पहले उन्होंने करीब 20 साल कांग्रेस के छात्र संगठन से लेकर पार्टी में विभिन्न भूमिकाओं का निर्वाह किया।