रायपुर: छत्तीसगढ़ के कुल 18 साल के इतिहास में रिकार्ड 15 साल से वहां की सत्ता संभाल रहे डॉ रमन सिंह कहते हैं कि उन्हें राज्य में अभी बहुत काम करना है और फिलहाल उनके लिए दिल्ली दूर है। सिंह ने कहा कि वह मुख्यमंत्री के रूप में अपने तीनों कार्यकाल से पूरी तरह संतुष्ट हैं और राज्य की जनता से उन्हें अगाध स्नेह मिल रहा है। उन्होंने यहां पीटीआई को दिये साक्षात्कार में कहा, ‘‘फिलहाल मुझे लगता है कि दिल्ली दूर है। छत्तीसगढ़ में काम करके खुशी मिलती है और यहां बहुत काम करना है।’’ वह इन प्रश्नों का उत्तर दे रहे थे कि राजनीतिक कॅरियर की अगली पारी में वह अपने लिए क्या भूमिका देखते हैं और क्या इसमें राष्ट्रीय स्तर पर काम करने के लिए दिल्ली जाना शामिल होगा।
कुछ वर्गों में इस तरह की चर्चा है कि सिंह और कई राज्यों के दूसरे कुछ वरिष्ठ भाजपा नेताओं को केंद्र में भेजा जा सकता है। बहरहाल, सत्तारूढ़ पार्टी या उसके शीर्ष नेताओं की तरफ से इस बारे में कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। आयुर्वेद चिकित्सक रहे 66 वर्षीय सिंह 1980 के दशक में राजनीति में आये थे। वह दिसंबर 2003 में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री बने थे। इससे पहले मध्य प्रदेश से अलग राज्य बनने के बाद यहां करीब तीन साल तक कांग्रेस सत्ता में रही थी। मुख्यमंत्री बनने से पहले रमन सिंह तत्कालीन अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में केंद्रीय मंत्री थे। आगामी विधानसभा चुनाव में छत्तीसगढ़ में भाजपा को फिर से सत्ता पर काबिज करने के लिए पूरी तरह प्रयास कर रहे सिंह ने कहा कि राज्य सरकार ने कृषि क्षेत्र में जिस तरह का काम किया है और सार्वजनिक वितरण प्रणाली का जिस तरह का प्रदर्शन रहा है, उसके आधार पर राज्य में ‘सत्ता-समर्थक’ लहर है। विपक्ष के नेता सिंह के खिलाफ मजबूत सत्ता-विरोधी लहर होने की बात कर रहे हैं।
मुख्यमंत्री के रूप में चौथे कार्यकाल में भी विजय की उम्मीद के साथ काम कर रहे सिंह ने कहा कि राज्य के चुनावों का लोकसभा चुनाव पर कुछ असर हो सकता है लेकिन इसे केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के लिए जनमत संग्रह के तौर पर नहीं देखा जाना चाहिए।कई राजनीतिक पंडितों ने छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, राजस्थान, तेलंगाना और मिजोरम में होने वाले विधानसभा चुनावों को 2019 के लोकसभा चुनावों से पहले सेमीफाइनल की संज्ञा दी हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि अगर वह अगले कार्यकाल के लिए चुने जाते हैं तो उनकी प्राथमिकता नक्सल प्रभावित बस्तर में पूरी तरह शांति स्थापित करना होगा। सिंह ने कहा कि बस्तर क्षेत्र में नक्सलियों के लिए अब भी गुस्सा है और सत्ता में आने पर यहां शांति लाना उनकी प्राथमिकता में होगा। सलवा जुडूम पर उन्होंने कहा कि नक्सलियों को लेकर जनता में नाराजगी के कारण यह आंदोलन उपजा था जो आज भी है लेकिन इस तरह के आंदोलन ज्यादा लंबे समय तक नहीं चल सकते।