पटना: बिहार विधानसभा चुनाव 2020 का तीसरा फेज बीजेपी के लिए अहम है। तीसरे चरण में बीजेपी 35 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। साल 2015 के चुनाव में पार्टी अपनी कुल 54 सीटों में से एक तिहाई से अधिक इन्हीं इलाकों में जीती थी। ऐसे में बीजेपी के समक्ष इस चुनाव में इससे भी अधिक सीटें जीतने की चुनौती भी है। वहीं महागठबंधन में शामिल राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) में शामिल जनता दल (युनाइटेड) के लिए जहां अपनी पुरानी सीटों को बचाए रखना चुनौती है। बता दें कि तीसरे और अंतिम चरण के विधानसभा चुनाव के लिए सात नवंबर को 78 सीटों के मतदाता मतदान करेंगे।
इस चरण में बीजेपी 35 सीटों पर चुनाव लड़ रही है वहीं उसकी सहयोगी जेडीयू ने 37 उम्मीदवार चुनावी मैदान में उतारे हैं। इसके अलावा एनडीए में शामिल विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के पांच और हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के एक प्रत्याशाी चुनावी मैदान में है। दूसरी ओर महागठबंधन में आरजेडी 46 सीटों पर जबकि उसकी सहयोगी कांग्रेस 25 सीटों में चुनावी मैदान में है।
पिछले चुनाव में महागठबंधन ने 78 में से 54 सीटें जीत ली थीं, लेकिन इस चुनाव में स्थिति बदल गई है। जेडीयू और बीजेपी के साथ आ जाने के बाद आरजेडी को पुरानी सफलता को बनाए रखना चुनौती है। आरजेडी पिछले चुनाव में इस क्षेत्र से 20 सीटें अपनी झोली में डाली थी। यही हाल जेडीयू की भी है। जेडीयू ने पिछले चुनाव में 23 सीटों पर विजय दर्ज की थी।
तीसरे चरण के चुनाव में आरजेडी और जेडीयू 23 सीटों पर आमने-सामने हैं जबकि 20 सीटों पर आरजेडी का बीजेपी से कांटे की लड़ाई है। कांग्रेस भी 14 सीटों पर बीजेपी और नौ सीटों पर जेडीयू के मुकाबले में खड़ी है। वर्ष 2010 में बीजेपी को मिली 91 सीटों में से 27 सीटें इस क्षेत्र से आई थी, यहीं कारण है कि बीजेपी इस क्षेत्र में अपने पुराने इतिहास को दोहराने के लिए कड़ी मेहनत कर रही है।
वैसे, कोशी और सीमांचल का चुनाव किसी भी दल के लिए आसान नहीं रहा है। यहां का गणित बराबर उलझा रहा है। सांसद असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआइएमआइएम) पहले से ही इस मुस्लिम बहुल सीमांचल इलाके में अपने प्रत्याशी उतारकर आरजेडी के मुस्लिम वोटबैंक में सेंध लगाने की तैयारी में है।
महागठबंधन में शामिल कांग्रेस के लिए भी इस चरण का चुनाव कम चुनौतीपूर्ण नहीं है। इस चरण में पार्टी के आधे निवर्तमान विधायकों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। पिछले चुनाव में पार्टी ने 27 सीटों पर चुनाव जीता था, लेकिन उसकी चार सीटिंग सीटें सहयोगी दलों के खाते में चली गई है।
इस चुनाव में कांग्रेस को जो 70 सीटें मिली हैं, उसमें 23 सीटिंग हैं, जिसमें इसी चरण में 11 सीटें हैं, जिनमें फिर से अपने कब्जे में रखना बड़ी चुनौती है। बहरहाल, सभी दल अपनी स्थिति में सुधार को लेकर कड़ी मेहनत कर रहे हैं, लेकिन मतदाता किसे पसंद करेंगे इसका पता तो 10 नवंबर को ही पता चलेगा, जब मतगणना के बाद परिणाम घोषित किया जाएगा।