प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिहार के ससाराम में एक रैली को संबोधित करते हुए कहा कि जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल हटने का इंतजार देश बर्सों से कर रहा था और हमने इस पर फैसला लिया और आज ये लोग कह रहे हैं कि सत्ता में आए तो आर्टिकल 370 फिर लागू कर देंगे। और इनका दुस्साहस देखिए, इतना कहने के बाद भी ये लोग बिहार के लोगों से वोट मांगने की हिम्मत दिखा रहे हैं। जो बिहार अपने बेटे बेटियों को सीमा पर रखवाली के लिए भेजता है क्या यह उनकी भावनाओं का अपमान नहीं है। मैं जवानों और किसानों की भूमि बिहार से इन लोगों एक बात साफ कह देना चाहता हूं कि ये लोग जिसकी चाहे मदद लें लें देश अपने फैसलों से पीछे नहीं हटेगा।
इन लोगों को आपकी जरूरतों से कभी सरोकार नहीं रहा, इनका ध्यान रहा है अपने स्वार्थों पर, अपनी तिजोरी पर यही कारण है भोजपुर सहित पूरे बिहार में लंबे समय तक बिजली, सड़क और पानी जैसी मूलभूत सुविधाओं का विकास नहीं हो पाया। हालत ये थी कि कैमूर में जिस दुर्गावती सिंचाई योजना का शिलान्यास बाबू जगजीवन राम ने 70 के दशक में किया था वो इतने वर्षों में भी पूरी नहीं हुई थी, इस काम को एनडीए सरकार ही पूरा कर रही है।
बिहार के विकास की हर योजना को अटकाने और लटकाने वाले ये लोग हैं जिन्होंने अपने 15 साल के साशन में लगातार बिहार को लूटा है, बिहार का मान्य मर्दन किया। आपने बहुत विश्वास के साथ इन्हें सत्ता सौंपी थी लेकिन इन्होंने सत्ता को अपनी तिजोरी भरने का माध्यम बना लिया। जब बिहार के लोगों ने इन्हें सत्ता से बेदखल कर दिया और नीतीश जी को मौका दिया तो ये बौखला गए, जो बात में बता रहा हूं उसे बारीकी से समझने का प्रयास कीजिए। उनके अंदर एक गुस्सा आया और जहर भर गया, इसके बाद 10 साल तक इन लोगों ने दिल्ली में यूपीए की सरकार में रहते हुए बिहार पर बिहार के लोगों पर अपना गुस्सा निकाला और मुझे याद है, मैं गुजरात का मुख्यमंत्री था तथा नीतीश जी बिहार के, हम जब भारत सरकार की मीटिगों में जाते थे तो नीतीश जी उन्हें बार बार कहते थे कि बिहार के काम में रोड़े मत अटकाइए, बिहार की राजनीति का अखाड़ा दिल्ली को मत बनाइए।
लेकिन 10 साल तक यूपीए सरकार में बैठे लोगों ने पराजय के गुस्से में नीतीश जी को एक काम नहीं करने देते थे, नीतीश जी के 10 साल बर्बाद कर दिया। बाद में 18 महीने क्या हुआ ये मुझे कहने की जरूरत नहीं है, आप भली भांति जानते हैं। इन 18 महीनों में परिवार ने क्या क्या किया, कैसे कैसे खेल किए कौन सी बातें अखबारों में छाई रहती थी ये बातें मुझे कहने की जरूरत नहीं है। जब नीतीश जी इस खेल को भांप गए और समझ गए कि इन लोगों के साथ रहते हुए बिहार का भला तो छोड़िए बिहार और 15 साल पीछे चला जाएगा तो उन्हें सत्ता छोड़ने का फैसला करना पड़ा। बिहार के उज्वल भविष्य के लिए हम फिर एक बार नीतीश जी के साथ आए हैं।