पटना। बिहार विधानसभा चुनाव के लिए राजनीतिक दलों ने अपनी जोर आजमाइश शुरू कर दी है और मुख्य मुकाबला राष्ट्रीय जनता दल तथा कांग्रेस की अगुवाई वाले महागठबंधन और भाजपा तथा जनता दल यूनाइटेड की अगुवाई वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के बीच है। महागठबंधन ने सीटों के बंटवारे में कांग्रेस पार्टी को 70 सीटों दी हैं लेकिन कांग्रेस पार्टी को इन 70 सीटों पर जीत के लिए बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ सकता है। कांग्रेस के हिस्से में आई 70 सीटों में से 45 सीटें ऐसी हैं जहां पर पिछले 20 साल में पार्टी का कोई प्रत्याशी नहीं जीता है।
इतना ही नहीं, कांग्रेस के हिस्से में आई 70 सीटों में से 18 सीटें ऐसी हैं जहां पर कांग्रेस के साथी राष्ट्रीय जनता दल का भी 20 साल से कोई प्रत्याशी नहीं जिता है। हालांकि कांग्रेस के लिए राहत की बात यह जरूर है कि उसके हिस्से की 70 सीटों में 23 सीटें ऐसी हैं जो पार्टी ने 2015 के विधानसभा चुनाव में जीती थीं। लेकिन 2015 में जनता दल यूनाइटेड भी उनका सहयोगी था और इस बार जनता दल यूनाइटेड का भाजपा के साथ गठबंधन है।
कांग्रेस पार्टी ने इस बार अपने हिस्से की सीटों पर दूसरे दलों से उनकी पार्टी में शामिल हुए नेताओं को टिकट दिया है। कभी जनता दल यूनाइटेड के वरिष्ठ नेता रहे शरद यादव की बेटी सुभाषिनी को बिहारीगंज कांग्रेस ने टिकट दिया है और पूर्व एलजेपी नेता काली प्रसाद यादव को कुचायकोट से प्रत्याशी बनाया है। कभी भारतीय जनता पार्टी के दिग्गज नेता रहे शत्रुघन सिन्हा के बेटे लव को कांग्रेस ने बांकीपुर सीट से प्रत्याशी बनाया है।
2015 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 41 सीटों पर चुनाव लड़ा था और 27 पर जीत मिली थी। इस बार कांग्रेस ने युवा चेहरों पर ज्यादा दांव खेला है। पार्टी के 70 प्रत्याशियों में 7 महिलाएं और 12 मुस्लिम चेहरे हैं। पार्टी ने अलीगढ़ मुस्लिम युनिवर्सिटी के पूर्व छात्र नेता मश्कूर अहमद उस्मानी को जाले सीट से प्रत्याशी बनाया हुआ है। उस्मानी को जिन्ना समर्थक बताते हुए भारतीय जनता पार्टी ने कांग्रेस को घेरा है।