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बिहार में BJP को इस बार कम सीटों से करना होगा संतोष, जानिए क्यों

बिहार में इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर बदले हुए हालात में भाजपा को इस बार सीट बंटवारे में कम सीटों से संतोष करना पड़ सकता है।

Reported by: IANS
Published on: August 25, 2020 13:55 IST
BJP- India TV Hindi
Image Source : REPRESENTATIONAL IMAGE BJP

पटना: बिहार में इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर अब सभी राजनीतिक दल चुनावी मैदान में उतरने के लिए अपनी रणनीति को अंतिम रूप देने में जुटे हैं। बदले हुए हालात में भाजपा को इस बार सीट बंटवारे में कम सीटों से संतोष करना पड़ सकता है। बिहार के दोनों गठबंधन राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) और विपक्षी दल के महागठबंधन में शामिल घटक दलों के बीच सीट बंटवारे को लेकर अभी तक समझौता नहीं हुआ है, लेकिन इतना तय माना जा रहा है कि पिछले चुनाव की तुलना में इस बार चुनाव के परिदृश्य बदलने के बाद सीट बंटवारे को लेकर किसी दल को घाटा उठाना पड़ेगा तो किसी को इसका लाभ भी मिल सकता है।

राजग की बात करें तो भाजपा को इस बार पिछले चुनाव की तुलना में कम सीटें मिलनी तय है। पिछले चुनाव में महागठबंधन में जहां जनता दल-युनाइटेड (जदयू), राजद और कांग्रेस साथ थे, वहीं राजग में भाजपा के साथ राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा), हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) और लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) साथ थे। इस बार बदली हुई परिस्थिति में रालोसपा जहां महागठबांन के साथ हो गई है, वहीं जदयू राजग के साथ है और 'हम' ने महागठबंधन से नाता तोड़ लिया है।

पिछले चुनाव में भाजपा 150 से अधिक सीटों पर चुनाव लड़ी थी, जबकि इस बार भाजपा को इतनी सीटें मिलनी मुश्किल है। यही कारण है कि भाजपा में टिकट के दावेदार पटना से लेकर दिल्ली तक में अपनी गोटी सेट करने में लगे हैं। पार्टी नेता भी इसे सहर्ष स्वीकार कर रहे हैं। पार्टी के एक नेता कहते हैं, "ये सच है कि इस चुनाव में पिछले चुनाव से सीटें कम मिलेंगी। इस चुनाव में जदयू राजग के साथ है। इस कारण पिछले चुनाव में जिन्हें टिकट मिला हो इस चुनाव में उन्हें टिकट मिल ही जाए, यह जरूरी नहीं है।"

भाजपा के प्रवक्ता प्रेमरंजन पटेल भी कहते हैं, "2015 में जो चुनाव लड़ चुके हैं, उनको इस बार टिकट मिल ही जाए, इसकी संभावना कम है। खासकर वे सीटें जहां जदयू के सिटिंग विधायक हैं।" उन्होंने हालांकि यह भी कहा कि कई क्षेत्रों में सामाजिक समीककरण के बदलाव को देखते हुए कुछ सिटिंग विधायकों के भी पत्ते कट सकते हैं। उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव में भी भाजपा को कई सिटिंग सीटें छोड़नी पड़ी थीं।

इधर, सूत्रों का कहना है कि पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की पार्टी 'हम' के राजग में आने के बाद इन्हें भी हिस्सा देना होगा। वैसे, लोजपा के अध्यक्ष चिराग पासवान की जदयू से नाराजगी को लेकर भी तरह-तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। इस बीच, हालांकि भाजपा अध्यक्ष जे.पी. नड्डा ने बिहार कार्यसमिति की बैठक को संबोधित करते हुए साफ कर चुके हैं कि राजग में लोजपा, भाजपा और जदयू मिलकर चुनाव लड़ेंगे। राजग में कहीं किसी प्रकार का मतभेद नहीं है।

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