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बिहार चुनाव: सियासत का अजब खेल, कहीं पर दोस्ती, तो कहीं आमने-सामने

बिहार चुनाव में सियासत का अजब खेल दिख रहा है। सियासत के रंग में राजनीतिक दल कहीं आपस में गहरे दोस्त हैं, लेकिन बिहार के इस चुनावी मैदान में आमने-सामने खड़े हो कर ताल ठोंक रहे हैं। कहा तो यहां तक जा रहा है कि सब सत्ता के नजदीक पहुंचने का खेल है।

Reported by: IANS
Published on: October 07, 2020 13:06 IST
Chirag Paswan- India TV Hindi
Image Source : FILE PHOTO बिहार चुनाव: सियासत का अजब खेल, कहीं पर दोस्ती, तो कहीं आमने-सामने

पटना: बिहार चुनाव में सियासत का अजब खेल दिख रहा है। सियासत के रंग में राजनीतिक दल कहीं आपस में गहरे दोस्त हैं, लेकिन बिहार के इस चुनावी मैदान में आमने-सामने खड़े हो कर ताल ठोंक रहे हैं। कहा तो यहां तक जा रहा है कि सब सत्ता के नजदीक पहुंचने का खेल है। केंद्र में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) के साथ खड़ी लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) को बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का नेतृत्व खराब लगने लगता है जबकि झारखंड में झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के गलबहिया कर सत्ता का स्वाद चख रहे राष्ट्रीय जनता दल (राजद) को यहां अपने हिस्से की झामुमो को टिकट देना घाटे का सौदा दिखाई देने लगा। ऐसे में बिहार चुनाव में लोजपा और जदयू तथा राजद और झामुमो आमने-सामने खड़े हैं।

झारखंड विधानसभा चुनाव में राजद सिर्फ अपना खाता खोल सकी थी लेकिन इसके बावजूद उसके एक मात्र विधायक को मंत्री बनाकर सत्ता में शामिल किया गया। इसके बाद जब बिहार चुनाव की बारी आई तो बिहार में राजद को झामुमो का साथ गंवारा नहीं हुआ और झामुमो ने अकेले चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी।

झामुमो के महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य कहते हैं कि झामुमो सम्मान के साथ समझौता नहीं कर सकता है। साथ ही उन्होंने कहा कि राजद ने राजनीतिक मक्कारी की है, जिसके खिलाफ हम बोलने को मजबूर हैं। भट्टाचार्य ने तो राजद को उसकी हैसियत तक याद करा दिया। उन्होंने कहा कि राजद की हैसियत झारखंड में क्या थी? झामुमो के कारण झारखंड में उनका दीया टिमटिमा रहा है।

उन्होंने राजद को याद दिलाते हुए कहा कि राजद को लोकसभा और विधानसभा में उनकी हैसियत से ज्यादा दिया। उन्होंने कहा कि अपने संगठन के बूते बिहार में निर्णायक सीटों पर हम लड़ेंगे। उन्होंने कहा कि झामुमो ने झारखंड को संघर्ष करके हासिल किया है, खैरात में नहीं पाया है।

पार्टी ने झाझा, चकाई, कटोरिया, धमदाहा, मनिहारी, पिरपैती और नाथनगर से प्रत्याशी उतारने का फैसला किया है। कमोबेश यही हाल लोजपा का है। लोजपा के प्रमुख चिराग पासवान को केंद्र में राजग के साथ तो अच्छा लगता है, लेकिन बिहार चुनाव में उनको राजग का साथ नहीं भाया और चुनावी मैदान में राजग के खिलाफ चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी।

केंद्र में लोजपा के पूर्व अध्यक्ष रामविलास पासववान मंत्री हैं। लोजपा के प्रमुख चिराग कहते भी हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उनके आदर्श हैं और उन्हीं से वे संघर्ष करना सीखे हैं, लेकिन बिहार में भाजपा नेतृत्व वाला राजग उनको पसंद नहीं आता।

उल्लेखनीय है कि राजग यहां मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में चुनाव मैदान में है। वैसे, राजग के संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में मंगलवार को भाजपा नेताओं ने भी स्पष्ट कर दिया कि बिहार में नीतीश कुमार का नेतृत्व जिन्हें नहीं पसंद है वह राजग के साथ नहीं हो सकता है।

बहरहाल, बिहार के इस चुनाव में सियासत का अजब खेल दिख रहा है, जिससे चुनावी मैदान में मुकाबला रोचक हो गया है। वैसे, अब देखना होगा कि चुनाव मैदान में कहीं और की दोस्ती और यहां पर मुकाबला मतदाताओं को कितना रास आता है।

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