नई दिल्ली। दिल्ली सरकार ने यूपीएससी का सपना देखने वाले बच्चों के लिए एक नया कार्यक्रम शुरू किया। इस कार्यक्रम में स्टूडेंट्स के साथ युवा आईएएस, आईपीएस अधिकारी हर महीने संवाद करेंगे। अधिकारी अपनी पढ़ाई और तैयारी से जुड़े अनुभव शेयर करेंगे। वे स्कूली शिक्षा के दौरान ही सिविल सर्विस की तैयारी और लाइफ स्टाइल संवारने के टिप्स देंगे।
इससे स्टूडेंट्स में यूपीएससी परीक्षा समझ पैदा होगी तथा स्टडी प्लान बनाने में मदद मिलेगी। इस कड़ी की पहली सीरीज में गुरुवार को दिल्ली सरकार के शिक्षा निदेशक उदित प्रकाश ने स्टूडेंट के साथ अपनी यूपीएससी की तैयारी संबंधी अनुभव शेयर किए। कक्षा 9 से 12 वीं तक के लगभग 60 बच्चों के साथ प्रत्यक्ष संवाद के अलावा इस कार्यक्रम में लगभग 5000 बच्चे भी यूट्यूब लाइव के माध्यम से जुड़े।
अपनी यूपीएससी की तैयारियों से जुड़े अनुभव बताते हुए 2007 बैच के आईएएस उदित प्रकाश ने कई महत्वपूर्ण जानकारियां दीं। उन्होंने कहा, "मैंने दसवीं के बाद ही आइएएस बनने का लक्ष्य बना लिया था। इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग में स्नातक करने के बाद मैंने सिविल सर्विसेस में सफलता हासिल की।"
उन्होंने कहा कि सबसे पहले आप इस भ्रम को निकाल दें कि आइएएस बनने वाले लोग किसी अन्य ग्रह के प्राणी हैं। हमलोग किसी दूसरे प्लेनेट से नहीं आए बल्कि आप जैसे स्टूडेंट्स की तरह मैं भी एक साधारण स्टूडेंट था। उन्होंने कहा कि दिल्ली के सरकारी स्कूलों के बच्चों में कुछ कर दिखाने की काफी लगन है और आपके भीतर सिविल सर्विसेस में सफल होने के सभी गुण मौजूद हैं। इसीलिए आपमें इसकी समझ पैदा करने के लिए यह कार्यक्रम शुरू किया गया है।
कार्यक्रम के अंत में उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने भी बच्चों से कहा कि, "जो स्टूडेंट्स आइएएस बनने का सपना देखते हों, उन्हें इससे भी आगे का बड़ा सपना देखना चाहिए। उन्हें पहले यह लक्ष्य तय करना चाहिए कि आइएएस बनकर क्या करना है। यह सपना गांवों का विकास करना या देश से गंदगी हटाने या भ्रष्टाचार मिटाने का हो या फिर नफरत और हिंसा खत्म करने का। एक बार अपने बड़े लक्ष्य को लेकर स्पष्टता आ जाए कि आइएएस बनकर क्या करना है, तो सारी बाधाएं खुद दूर हो जाएंगी।"
उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि, "जो स्टूडेंट सिविल सर्विस की तैयारी करना चाहते हैं, उन्हें नवीं-दसवीं के समय से ही किस तरह का स्टडी-प्लान करना चाहिए, इसकी समझ पैदा करना हमारी कोशिश है। हम चाहते हैं कि युवा आइएएस आइपीएस अधिकारी हर महीने हमारे बच्चों से खुलकर संवाद करें। उन्हें बताएं कि आइएएस बनने के लिए उनकी पर्सनालिटी कैसी होनी चाहिए, भाषा कैसी हो, तैयारियां कैसे करें और इस बड़े सपने को हासिल करने की दिशा में किस तरह आगे बढ़ें।"