मां-बाप अपने बच्चों को पढ़ा लिखा कर नौकरी के काबिल बनाते हैं। बच्चे सरकारी नौकरी पाने के लिए अपनी खुशियों को भुला देते हैं और रात-दिन कड़ी मेहनत करते हैं। देश में हर साल करीब डेढ़ करोड़ युवा नौकरी की दौड़ में शामिल हो जाता है। जैसा की हम सब जानते हैं कि भारत युवाओं का देश है और यहां कि वर्किंग पापुलेशन मतलब नौकरी करने की क्षमता रखने वाले लोगों की संख्या आबादी का सबसे बड़ा हिस्सा है। ऐसे में नौकरी की मांग ज्यादा है लेकिन सप्लाई कम है। मांग और सप्लाई का ये अंतर पेपर लीक को जन्म देता है।
सरकारी नौकरियों में सुरक्षा ज्यादा है लेकिन संख्या बहुत ही कम है। इसलिए सरकारी नौकरी पाने और दिलाने के नाम पर होता है पेपर लीक। इसमें कमाई बहुत ज्यादा है क्योंकि छोटी से छोटी नौकरी का पेपर लीक होने के बाद बीस पच्चीस लाख प्रति छात्र के हिसाब से बिक जाता है। करोड़ों अरबों का ये काला कारोबार हमारे बच्चों का सबसे बड़ा दुश्मन है। राजस्थान...उत्तराखंड...मध्यप्रदेश...गुजरात...उत्तरप्रदेश...बिहार...हिमाचल प्रदेश सहित दर्जनों राज्यों में हर साल पेपर लीक की की वारदात हो जाती हैं।
हमने अपनी स्टोरी में जांच के दौरान वो जगहें भी आईडेंटीफाई की हैं जहां से पेपर लीक होता है।
यहां से होते हैं पेपर लीक
1. सबसे ज्यादा खतरा प्रिंटिग प्रेस में रहता है क्योंकि यहां सबसे ज्यादा लोगों के संपर्क में पेपर आता है-
2. फिर बैंक लॉकर क्योंकि यहां भी थर्ड पार्टी इन्वॉल्वमेंट होता है
3. परीक्षा करवाने वाले कमीशन के स्ट्रॉग रुम
4. परीक्षा सेंटर
5. परीक्षा कंट्रोलर
इन लोगों की भूमिका होती है संदिग्ध
कई राज्यों में पेपरलीक केस की जांच के दौरान हमने उन लोगों को भी आइडेंटीफाई किया है जिनकी भूमिका पेपर लीक में संदिग्ध पाई गयी या जो दोषी साबित हुए...
जहां पेपर छपता है उस प्रिंटिंग प्रेस के कर्मचारी
अपने कोचिंग सेंटर का रिजल्ट सुधार कर बिजनेस चमकाने वाले आधुनिक ट्यूशन सेंटर
छात्रों के संपर्क में रहने वाले एजुकेशन कंसल्टेंट ये पेपर लीक के ग्राहक खोजते हैं
एडमिशन एजेंट ये भी पेपर लीक होने के बाद कमीशन पर ग्राहक खोजने का काम करते हैं
एक छात्र से एक पेपर के लिए 50 लाख तक कमाने वाला पेपर लीक माफिया
करोड़ों में काली कमाई का लालच करने वाले आयोग के कर्मचारी
बिना योग्यता और मेहनत नौकरी पाने की इच्छा रखने वाले छात्र जो एग्जाम देते हैं।