बीते दिनों केंद्र सरकार ने संसद में आईआईएम संशोधन बिल (The Indian Institutes of Management (Amendment) Bill, 2023) पेश किया है, जिसे लेकर देश में हंगामा-सा मचा हुआ है। मिली जानकारी के मुताबिक इस बिल में IIM के डायरेक्टर्स के अपॉइंटमेंट और हटाने को लेकर सरकार के पास ज्यादा अधिकार रहने वाले हैं। चर्चा तो यह भी है कि ये बिल IIM की स्वायत्तता को ही खतरे में है। इसके अतिरिक्त सरकार पर कई और आरोप भी लगाए जा रहे हैं। आइए जानते हैं क्या है ये बिल और कैसे संस्थानों के लिए खतरे की घंटी
क्या है IIM संशोधन बिल
केंद्र सरकार IIM एक्ट 2017 में संशोधन करने जा रही है। अब तक इस बिल के तहत देश के 20 इंडियन मैनेजमेंट ऑफ इंस्टिट्यूट (IIMs) को राष्ट्रीय महत्व के संस्थानों का दर्जा दिया गया है। IIM के डायरेक्टर की नियुक्ति अभी तक 2017 वाले एक्ट के तहत की जाती है। इस बिल में एक बोर्ड ऑफ गवर्नर की टीम द्वारा डायरेक्टर की नियुक्ति की जाती है। वहीं, सरकार के पास इसके तहत अधिकार कम हैं। नए संशोधन के मुताबिक सरकार इसी को बदलने के प्रयास में है।
केंद्र द्वारा लाए गए नए आईआईएम (संशोधन) बिल में राष्ट्रपति को सभी आईआईएम (भारतीय प्रबंधन संस्थान) में विज़िटर बनाए जाने का प्रावधान है। इस बिल में राष्ट्रपति को आईआईएम के कार्यों के ऑडिट और डायरेक्टर्स की नियुक्ति व हटाने की शक्ति देने का भी प्रावधान है। इसके कानून बनने पर राष्ट्रपति द्वारा ही आईआईएम के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स (बीओजी) के चेयरपर्सन की नियुक्ति भी तय होगी।
"आईआईएम एक्ट में संशोधन खतरे की घंटी"
द प्रिंट से बात करते हुए IIM अहमदाबाद के पूर्व डायरेक्टर बकुल ढोलकिया ने कहा, आईआईएम एक्ट में संशोधन खतरे की घंटी है, जिसे संस्थानों को गंभीरता से लेना चाहिए। ढोलकिया ने आगे कहा, ”मौजूदा संशोधन अधूरे हैं, जिसमें सरकार ने सिर्फ डायरेक्टर और अध्यक्ष की नियुक्ति का नियंत्रण ही अपने हाथ में लिया है।” उन्होंने आगे कहा, “मुझे इसकी चिंता है क्योंकि आईआईएम के कामकाज को लेकर मंत्रालय को ढेर सारी शिकायतें भेजी गई थीं, जिसके फलस्वरूप ये संशोधन लाए गए हैं। अब, अगर कल, बोर्ड के कामकाज के बारे में अधिक शिकायतें सरकार के पास जाती हैं ,तो और ज्यादा संशोधन किए जाएंगे, जो वास्तव में संस्थान की स्वायत्तता को खत्म कर देंगे।”
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