एशिया के सबसे अमीर शख्स गौतम अडानी कितने पढ़े लिखे हैं क्या आपको पता है? गौतम अडानी की पढ़ाई व उनके शुरूआती सफर को लेकर आज हम आपको कुछ रोचक जानकारी देने वाले हैं। गौतम अडानी 1978 में सिर्फ 16 साल की उम्र में अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़कर अपनी किस्मत आजमाने के लिए मुंबई चले गए थे। इसके 3 साल बाद उन्हें बिजनेस में पहली कामयाबी हासिल हुई जब एक जापानी खरीदार को हीरे बेचने के लिए उन्हें कमीशन के तौर पर 10 हजार रुपये मिले। इसके साथ ही एक बिजनेसमैन के तौर पर अडानी का सफर शुरू हुआ और आज वह दुनिया के तीसरे सबसे अमीर बिजनेसमैन बन चुके हैं। फिर भी उन्हें अपनी पढ़ाई पूरी नहीं कर पाने का मलाल है।
पढ़ाई से बढ़ता है ज्ञान का दायरा
अडानी ने गुजरात में विद्या मंदिर ट्रस्ट पालनपुर के 75 साल पूरे होने के मौके पर आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि शुरुआती अनुभवों ने उन्हें अक्लमंद बनाया लेकिन पढ़ाई से आपके ज्ञान का तेजी से दायरा बढ़ाती है। बनासकांठा के शुरुआती दिनों के बाद अडानी अहमदाबाद चले गए थे जहां उन्होंने सेकेंडरी एजुकेशन पूरी करने के लिए 4 साल बिताए। अडानी ने कामर्स स्ट्रीम से ग्रेजुएशन की डिग्री पूरी नहीं की। उन्होंने ग्रेजुएशन में 2 साल पढ़ने के बाद अपनी पढ़ाई छोड़ दी और मुंबई चले गए। बता दें कि मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अडानी गुजरात यूनिवर्सिटी में पढ़ रहे थे। उन्होंने कहा, ''मैं सिर्फ 16 साल का था, जब मैंने अपनी पढ़ाई छोड़ने और मुंबई जाने का फैसला किया।
क्यों नहीं किया फैमिली बिजनेस ?
गौतम अडानी से आगे कहा कि एक सवाल मुझसे अक्सर पूछा जाता है - मैं मुंबई क्यों चला गया और अपनी फैमिली के साथ काम क्यों नहीं किया? युवा इस बात से सहमत होंगे कि एक किशोर लड़के की उम्मीद और आजादी की इच्छा को काबू कर पाना मुश्किल है। मुझे बस इतना पता था कि - मैं कुछ अलग करना चाहता था और यह मैं अपने दम पर करना चाहता था।'' उन्होंने आगे बताया कि मैंने रेलगाड़ी का एक टिकट खरीदा और गुजरात मेल से मुंबई जाने के लिए रवाना हो गया। मुंबई में मेरे चचेरे भाई प्रकाशभाई देसाई ने मुझे महेंद्र ब्रदर्स में काम दिलाया, जहां मैंने हीरों के व्यापार की बारीकियां सीखनी शुरू की। मैंने जल्द ही उस व्यवसाय को समझ लिया और लगभग 3 सालों तक महेंद्र ब्रदर्स के साथ काम करने के बाद मैंने झवेरी बाजार में हीरे का अपना ब्रोकरेज शुरू किया।'' उन्होंने कहा, ''मुझे अभी भी वह दिन याद है, जब मैंने एक जापानी खरीदार के साथ अपना पहला सौदा किया था। मैंने 10,000 रुपये का कमीशन बनाया था।'' यह एक उद्यमी के रूप में उनकी यात्रा की शुरुआत थी।
"पढ़ाई तेजी से ज्ञान का विस्तार करती है"
उन्होंने कहा, ''मुझसे एक और सवाल अक्सर किया जाता है कि क्या मुझे इस बात का कोई पछतावा है कि मैं कॉलेज नहीं गया। अपने जीवन और इसमें आए विभिन्न मोड़ों पर विचार करते हुए, मैं यह मानता हूं कि अगर मैंने कॉलेज की पढ़ाई पूरी की होती तो मुझे फायदा होता। मेरे शुरुआती अनुभवों ने मुझे बुद्धिमान बनाया, लेकिन अब मुझे एहसास होता है कि पढ़ाई तेजी से किसी के ज्ञान का विस्तार करती है।'' अडानी समूह के तहत आज दुनिया की सबसे बड़ी सौर ऊर्जा कंपनी, भारत का सबसे बड़ा हवाई अड्डा और बंदरगाह हैं। समूह का कारोबार ऊर्जा से लेकर सीमेंट उद्योग तक फैला है। समूह का बाजार पूंजीकरण 225 अरब अमेरिकी डॉलर है। यह सब पिछले साढ़े चार दशकों में हुआ है।