Spy Balloon: आधुनिकता में अपने चरम शिखर की तरफ कदम बढ़ाती ये दुनिया दिन प्रति दिन कुछ न कुछ नया कर रही है। इस दुनिया में समाया हर देश अपने आपको आधुनिक करने की होड़ में शामिल है। वहीं, आधुनिकता का एक पहलू राष्ट्रीय सुरक्षा से भी जुडा होता है। आप लोग सामान्य गुब्बारे और Hot air ballonn के बारे में तो बहुत अच्छे से जानते होंगे और उससे परिचित भी होंगे। लेकिन क्या आपको पता है कि हॉट एयर बैलून को जासूसी और मौसम की जानकारी के लिए भी प्रयोग में लिया जाता है। जासूसी के काम के लिए हम इसे एक जासूसी गुब्बारा भी कहते हैं।
क्या होता है जासूसी गुब्बारा
जासूसी गुब्बारों का अपना एक पुराना इतिहास है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक आज की सैटेलाइट एज में भी इन जासूसी बैलून को प्रयोग में लाया जाता है। कोलोराडो बोल्डर यूनिवर्सिटी में एयरोस्पेस इंजीनियरिंग साइंस के प्रोफेसर इयान बॉयड ने द कन्वर्सेशन न्यूज साइट को बताया कि ये बैलून बहुत हल्के होते हैं और इनमें हीलियम गैस को भरा जाता है। उनके मुताबिक बैलून्स वेल इक्विप्ड होते हैं। इनमें एडवांस लेवल लेवल के कैमरे लागये जाते हैं। धरती से इनकी निगरनी करना बेहद मुश्किल काम है क्यों कि ये जमीन से काफी ऊंचाई पर उड़ सकते हैं। इसलिए इनका प्रयोग मौसम संबंधी जानकरी लेने के लिए भी किया जाता है।
वाशिंगटन, डीसी में नेशनल डिफेंस यूनिवर्सिटी में नियर ईस्ट साउथ एशिया सेंटर फॉर स्ट्रैटेजिक स्टडीज के प्रोफेसर डेविड डेरोचेस के मुताबिक जासूसी गुब्बारे "इलेक्ट्रॉनिक सिग्नल्स को इकट्ठा करने" और कम्यूनिकेशन को बाधित करने में भी सक्षम हो सकते हैं।
पहली बार कब हुआ था इस्तेमाल
जानकारी के लिए आपको बता दें कि 1800 के दशक में निगरानी गुब्बारों के उपयोग में आए। फ्रांस ने 1859 में फ्रेंको-ऑस्ट्रियाई युद्ध में निगरानी के लिए Crew के साथ गुब्बारों का इस्तेमाल किया। इसके बाद बहुत जल्द 1861 से 1865 के बीच US civil War के दौरान इन गुब्बारों का फिर से इस्तेमाल किया गया। वहीं, फर्स्ट और सेकेंड वर्ल्ड वार में SPY Ballonn ज्यादा आम हो गए।
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