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क्या होता है ब्लैक बॉक्स, कैसे प्लेन क्रैश के बावजूद सही सलामत बच जाता है ये? जानें यहां

Black Box- हाल ही में नेपाल में प्लेन क्रैश होने से 72 लोगों की मौत हो गई है। आज यानी 16 जनवरी को ब्लैक बॉक्स मिला है। ये ब्लैक बॉक्स क्या होता है, कैसे ये सही सलामत बच जाता है? आइए इससे जुड़े सभी सवालों के जवाब जानते हैं।

Written By: Shailendra Tiwari @@Shailendra_jour
Published : Jan 16, 2023 13:25 IST, Updated : Jan 16, 2023 17:06 IST
ब्लैक बॉक्स
Image Source : INDIA TV ब्लैक बॉक्स

अक्सर आप ने सुना होगा कि कोई प्लेन दुर्घटनाग्रस्त हुआ है। अब उसका ब्लैक बॉक्स ढूंढा जा रहा। जिससे ये बता चल जाएगा कि प्लेन किन कारणों से दुर्घटनाग्रस्त हुआ। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या आपको पता है कि ब्लैक बॉक्स क्या होता है? हो सकता है कुछ लोगों को पता हो कि ये क्या है, लेकिन शायद उन्हें ये न पता हो कि इसका रंग लाल होता है फिर भी ये ब्लैक बॉक्स क्यों कहलाता है? दरअसल इसके पीछे कई रोचक कारण हैं। इन्हें जानकर आपको हैरान हो जाएंगे।

आखिर ब्लैक बॉक्स है क्या?

लेकिन आगे बढ़ने से पहले आपको बताना चाहेंगे कि आपको ये जानकारी इसलिए दे रहे हैं क्योंकि बीते दिन एक नेपाल प्लेन क्रैश होने से 72 लोगों ने जान चली गई है। इसके बाद आज यानी 16 जनवरी को मलबे से प्लेन का ब्लैक बॉक्स बरामद कर लिया गया है। ब्लैक बॉक्स मिलने के बाद कहा जा रहा है कि प्लेन क्रैश कैसे हुआ इसकी जानकारी इसी से मिलेगी। मगर ये जानना जरूरी है कि आखिर ब्लैक बॉक्स है क्या, जिससे दुर्घटना के कारण का पता लग जाता है।  

आपको जानकारी दे दें कि ब्लैक बॉक्स एक फ्लाइट रिकार्डर की तरह काम करता है। यह प्लेन की हर क्षण की जानकारी रखता है। यह किसी भी प्लेन में उड़ान के दौरान होने वाली सभी गतिविधियों को बारीकी से रिकॉर्ड करने वाला इक्विपमेंट है। यह प्लेन में पिछले हिस्से लगा होता है। 

'ब्लैक बॉक्स' क्यों प्लेन क्रैश के बावजूद सही सलामत बच जाता है?

दरअसल, ये बॉक्स टाइटेनियम का बना होता है जो काफी मजबूत धातु मानी जाती है। ब्लैक बॉक्स को टाइटेनियम के डिब्बे में बंद कर रखा जाता है। इसी कारण अगर ब्लैक बॉक्स काफी ऊंचाई से गिरता है तो भी उसे किसी भी प्रकार का नुकसान नहीं पहुंचता है।

कैसे हुई ब्लैक बॉक्स की खोज

साल 1953-54 में हवाई हादसों की बढ़ती हुई संख्या ने प्लेन बनाने वाली कंपनियों ने की नींद हराम कर दी थी। ऐसे में वो प्लेन में ऐसे किसी उपकरण लगाने पर विचार कर रहे थे कि जो हादसों के सही कारण को बता सके ताकि भविष्य में हादसों से सीख कर बचा जा सके। इसके लिए ब्लैक बॉक्स का आविष्कार किया गया। ब्लैक बॉक्स का अविष्कार डेविड रोनाल्ड वॉरेन ने किया था। ब्लैक बॉक्स का रंग लाल होता है, इसलिए शुरुआत में इसे 'रेड एग' नाम दिया गया। लेकिन सेकेंड वर्ल्ड वॉर के दौरान 1958 में इसका नाम बदल कर ब्लैक बॉक्स रख दिया गया। इसके भी पीछे का तर्क है कि ब्लैक बॉक्स की भीतरी दीवार को काला रखा जाता था इसीलिए इसे ब्लैक बॉक्स कहा गया।

कॉकपिट वॉइस रिकॉर्डर

ब्लैक बॉक्स में लगा यह रिकार्डर फ्लाइट की उड़ान के 2 घंटे तक समय की आवाज रिकार्ड करता है। यह इंजन की आवाज, इमरजेंसी अलार्म की आवाज, केबिन की आवाज और कॉकपिट की आवाज और फ्लाइट कंट्रोल के बीच की बातचीत रिकार्ड करता है। जिससे पता चल सके हादसे के पहले प्लेन में कैसा माहौल था।

फ्लाइट डाटा रिकॉर्डर

इसमें प्लेन की दिशा, ऊंचाई, फ्यूल कितनी है, गति, हलचल, केबिन का टेम्परेचर आदि समेक 88 प्रकार के आंकड़े रिकॉर्ड होते हैं। यह 25 घंटों से ज्यादा की रिकार्डेड जानकारी रखता है। ब्लैक बॉक्स 11000°C के तापमान को एक घंटे तक झेल सकता है और उसके भीतर लगा उपकरण 260°C के तापमान को 10 घंटे तक सहन कर सकता है।

ऐसे खोजते हैं ब्लैक बॉक्स

ब्लैक बॉक्स 30 दिनों तक बिना बिजली के काम कर सकता है। जब यह विमान से अलग होता है तो हर सेकंड एक बीप की आवाज/तरंग निकालता है। ये तरंग 30 दिनों तक निकलती रहती है। जिसे खोजी टीम 2 से 3 किलोमीटर के दायरे में आसानी से खोज सकते हैं। ये 15,000 फीट गहरे समुद्र में से भी तरंगें भेजता है।

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