पश्चिम बंगाल में राजभवन-राज्य सचिवालय के झगड़े को लेकर एक नया विवाद पैदा हो गया है। राज्य के शिक्षा मंत्री ब्रत्य बसु का एक बयान सामने आया है जिसपर विवाद छिड़ गया है। शिक्षा मंत्री ब्रत्य बसु ने अपने एक बयान में राज्यपाल सीवी आनंद बोस द्वारा नियुक्त अंतरिम कुलपतियों को "गुलाम" बताया। इस पर पश्चिम बंगाल कॉलेज टीचर्स एसोसिएशन के महासचिव केशब भट्टाचार्य की टिप्पणी भी आई है, उनहोंने कहा कि राज्य के एक मंत्री की ऐसी टिप्पणियां उनकी खराब अभिव्यक्ति है। उन्होंने कहा, "यह और भी दुर्भाग्यपूर्ण है क्योंकि राज्य के शिक्षा मंत्री खुद एक कॉलेज शिक्षक है।"
'पूरे शैक्षणिक समुदाय का अपमान'
इस टिप्पणी की आलोचना करते हुए, जादवपुर विश्वविद्यालय शिक्षक संघ के महासचिव पार्थ प्रतिम रॉय ने कहा, "मंत्री ने न केवल कुलपतियों का, बल्कि राज्य के पूरे शैक्षणिक समुदाय का अपमान किया है।" शिक्षा मंत्री के बयान पर अर्थशास्त्र के एक्सपीरिएंस्ड टीचर पी.के. मुखोपाध्याय ने कहा कि बसु को उनकी टिप्पणी के आधार पर कोर्ट में भी ले जाया जा सकता है। उन्होंने कहा, "इस तरह की टिप्पणी से न केवल अंतरिम कुलपतियों, जिन्हें उन्होंने निशाना बनाया, बल्कि राज्य के पूरे अकादमिक जगत की सामाजिक प्रतिष्ठा को नुकसान होता है।"
आलोचनाओं के बावजूद अपने रुख पर अड़े हैं बसु
शिक्षा मंत्रा के बयान पर मिली इतनी व्यापक आलोचनाओं के बावजूद बसु अपने रुख पर अड़े हुए हैं। उन्होंने कहा, "मैंने यह बात एक राजनेता के तौर पर कही है, न कि राज्य के शिक्षा मंत्री के तौर पर। मैंने जो कहा है वह मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और हमारी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी के बारे में इस्तेमाल की जा रही भाषा और विशेषणों की तुलना में कुछ भी नहीं है। अब इस मामले में विवाद या बहस शुरू करना किसी की भी स्वतंत्रता है।"
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